Artwork

Nayi Dhara Radio द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Nayi Dhara Radio या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal
Player FM - पॉडकास्ट ऐप
Player FM ऐप के साथ ऑफ़लाइन जाएं!

Tumhari Kavita | Prashant Purohit

3:05
 
साझा करें
 

Manage episode 448867927 series 3463571
Nayi Dhara Radio द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Nayi Dhara Radio या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal

तुम्हारी कविता | प्रशांत पुरोहित

तुम्हारी कविता में उसकी काली आँखें थीं-

कालिमा किसकी-

पुतली की,

भँवों की,

कोर की,

या काजल-घुले आँसुओं की झिलमिलाती झील की?

तुम्हारी ग़ज़ल में उसकी घनी ज़ुल्फ़ें थीं—

ज़ुल्फ़ें कैसीं-

ललाट लहरातीं,

कांधे किल्लोलतीं,

कमर डोलतीं,

या पसीने-पगी पेशानी पे पसरतीं, बट खोलतीं?

तुम्हारी नज़्म में उसकी आवाज़ थी -

आवाज़ कैसी-

गाती हुई,

बुलाती हुई,

अलसाती हुई,

या हाँफती काली आँखों से चुपचाप आती हुई?

तुम्हारे छंदों में उसकी पतली कमर थी-

कमर कैसी-

लहराती आँच-सी,

दूज के दो चाँद-सी,

नूरो-जमाल-सी,

या पसलियों व पेट को जोड़े रखने के असफल प्रयास-सी?

तुम्हारी कविता में उसके पाँव थे -

पाँव कैसे -

महावर-रचे,

मख़मल-पगे,

बिछुआ-सजे,

या जो फटी बिवाई के साथ धरती पकड़कर चले?

तुम्हारे गीतों में उसकी गोरी बाँहें थीं-

बाँहें कैसीं-

हरसिंगार-डाल,

वैजयंती-माल,

कोई अनंग-जाल,

या जो उठीं ऐंठन-भरी कसी मुट्ठियों को संभाल?

  continue reading

637 एपिसोडस

Artwork
iconसाझा करें
 
Manage episode 448867927 series 3463571
Nayi Dhara Radio द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Nayi Dhara Radio या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal

तुम्हारी कविता | प्रशांत पुरोहित

तुम्हारी कविता में उसकी काली आँखें थीं-

कालिमा किसकी-

पुतली की,

भँवों की,

कोर की,

या काजल-घुले आँसुओं की झिलमिलाती झील की?

तुम्हारी ग़ज़ल में उसकी घनी ज़ुल्फ़ें थीं—

ज़ुल्फ़ें कैसीं-

ललाट लहरातीं,

कांधे किल्लोलतीं,

कमर डोलतीं,

या पसीने-पगी पेशानी पे पसरतीं, बट खोलतीं?

तुम्हारी नज़्म में उसकी आवाज़ थी -

आवाज़ कैसी-

गाती हुई,

बुलाती हुई,

अलसाती हुई,

या हाँफती काली आँखों से चुपचाप आती हुई?

तुम्हारे छंदों में उसकी पतली कमर थी-

कमर कैसी-

लहराती आँच-सी,

दूज के दो चाँद-सी,

नूरो-जमाल-सी,

या पसलियों व पेट को जोड़े रखने के असफल प्रयास-सी?

तुम्हारी कविता में उसके पाँव थे -

पाँव कैसे -

महावर-रचे,

मख़मल-पगे,

बिछुआ-सजे,

या जो फटी बिवाई के साथ धरती पकड़कर चले?

तुम्हारे गीतों में उसकी गोरी बाँहें थीं-

बाँहें कैसीं-

हरसिंगार-डाल,

वैजयंती-माल,

कोई अनंग-जाल,

या जो उठीं ऐंठन-भरी कसी मुट्ठियों को संभाल?

  continue reading

637 एपिसोडस

सभी एपिसोड

×
 
Loading …

प्लेयर एफएम में आपका स्वागत है!

प्लेयर एफएम वेब को स्कैन कर रहा है उच्च गुणवत्ता वाले पॉडकास्ट आप के आनंद लेंने के लिए अभी। यह सबसे अच्छा पॉडकास्ट एप्प है और यह Android, iPhone और वेब पर काम करता है। उपकरणों में सदस्यता को सिंक करने के लिए साइनअप करें।

 

त्वरित संदर्भ मार्गदर्शिका