कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Society
सार्वजनिक
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सर्वश्रेष्ठ Society पॉडकास्ट हम पा सकते हैं
सर्वश्रेष्ठ Society पॉडकास्ट हम पा सकते हैं
Over the years, podcasts have become an increasingly popular medium because they are well-packed, can be followed from any place, at any time and without Internet connection. Listening to podcasts enables people gain a clearer insight about the social affairs and social issues in every corner of the world. In this catalog, there are podcasts where well-read hosts and guests discuss about people of different religions and their way of life and culture, of different communities, countries, continents, different philosophies as well as different points of view on society. Also, literature fans can learn more about the latest news from their favourite genres, emerging authors, current best selling books and literary theories. Furthermore, people can find interviews and true and inspiring life stories told by people from all walks of life. Some podcasts house activists who fight for the rights of the oppressed, ranging from animals to people, aiming at creating a better society.
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Teen Taal is a witty, comedy oriented Hindi podcast where three musketeers talk about various issues with a pinch of humour and fun. The topic of conversation varies from politics, Indian society, jokes, Viral stuff on social media, food, movies and many more. Catch your share of fun every Saturday with Kamlesh Kishore Singh, Kuldeep Mishra & Asif Khan. इस पॉडकास्ट के नायक और खलनायक हैं,तीन तिलंगे- कमलेश किशोर सिंह, आसिफ खान और कुलदीप मिश्र. ये तीनों लोग हफ़्ते की घटनाओं पर अतरंगी अ ...
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Din Bhar is a daily news analysis podcast in Hindi language presented by Aaj Tak Radio. It covers issues ranging from Politics and international relations to health, society, cinema and sports. Did your regular prime time debate miss something that really matters to you? Close your day with Din Bhar, wherein we pick four big news stories of the day and analyse them with help of experts in a manner that is easy to understand. दिन भर के शोर के बाद शाम ढल गई है. हमारे यहां आइए. ख़बरों के सबसे अ ...
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Hi there beautiful! In my podcast, I bring you topics that are close to women's heart. Using research and storytelling (and poetry), I shed light on issues that are often ignored by the society, such as contribution of full time mothers, grey hair and society ki soch, challenges faced by working mothers. I hope that you will find your story reflected in my podcasts. I also have a weekly news (samachar) brief where you can catch up with the latest from the world. So join me on a new journey e ...
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साहित्य और रंगकर्म का संगम - नई धारा एकल। इस शृंखला में अभिनय जगत के प्रसिद्ध कलाकार, अपने प्रिय हिन्दी नाटकों और उनमें निभाए गए अपने किरदारों को याद करते हुए प्रस्तुत करते हैं उनके संवाद और उन किरदारों से जुड़े कुछ किस्से। हमारे विशिष्ट अतिथि हैं - लवलीन मिश्रा, सीमा भार्गव पाहवा, सौरभ शुक्ला, राजेंद्र गुप्ता, वीरेंद्र सक्सेना, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा, विपिन शर्मा, हिमानी शिवपुरी और ज़ाकिर हुसैन।
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हमें ज़िन्दगी में एक दोस्त ऐसा ज़रूर चाहिए होता है जो हमारी problems को सुने और समझे भी, क्यूंकि बिना समझे ज्ञान तो सभी देतें हैं। एक टुकड़ा ज़िन्दगी का, में Ashish Bhusal आपके उस दोस्त की कमी पूरा करना चाहतें हैं। In each episode, Ashish will talk about a common yet pressing issue proposed by you. And he will share a few tips to resolve it. To get your issue featured and resolved on this podcast DM Ashish on Instagram @ashupanti. And to stay updated on Ek Tukda Zindagi ka follow us on FB, IG, T ...
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Bhalta Raja - Musical presentation on the lines of Altaf Raja. RJ Ravi imitates Altaf like nobody else and uses the sarcasm to highlight important matters of the society.
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Hum lekar aaye hain aap logon ke liye ek bahut hi khaas audio series jo ki inspired hai “Maila Aanchal” upanyas se jiske lekhak hai “Phanishwar Nath Renu”. Aaiye samajhte hain gaon ki kathinaiyon, gareebi, zamindari pratha ke bare mein vistaar se Depak Yadav ke aawaz mein.Toh der kis baat ki shuru kariye sunana “Maila Anchal” sirf “Audio Pitara” par. #audiopitara #sunnazaroorihai #audio #series #rural #life #poverty #zamindari #system #mailaaanchal #books #society #culture #history
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हमारे आस-पास कब क्या वारदात हो जाए कौन आपका दुश्मन साबित हो जाए ये जानना मुश्किल है। जब जुर्म दस्तक देता है तो उसकी आवाज़ बहुत कम पर रफ़्तार तेज़ होती है, लेकिन उसके शुरू होने के 4 मुख्य कारण होते हैं, पहला - लालच, दूसरा - मोह, तीसरा - माया यानि पैसा और शोहरत, चौथा - बदला। इस श्रंखला में अंकुश बख्शी पेश करेंगे अपराध जगत के तमाम मामलों की रिपोर्ट, सुनिए और सावधान रहिए।
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Chandragupt Maurya ki Kahani by Jaishankar Prasad : History Podcast
Audio Pitara by Channel176 Productions
Mauraya Samrajya ke sansthapak Chandragupt ne apni sujhbhujh aur himmat par Bharat ki taraf badhte videshi hamlavar Sikandar ko roka tha. Isi Chandragupt ko kendra mein rakh kar Jayshankar Prasad ne 'Chandragupt' shirshak se natak ki rachna ki hai, jisme Bharatiya itihaas, darshan evam sanskriti ki jhalak milti hai. Aise hi, interesting audio stories aur podcast suniye only on Audio Pitara par. #chandragupt #journey #power #struggles #sacrifices #ancient #india #epic #audiopitara #sunnazaroo ...
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“Skandagupta" is a drama by the poet "Jaishankar Prasad". The play revolves around the historical figure Skandagupta, a "Gupta dynasty" emperor who ruled in ancient India. The play explores Skandagupta's challenges and commitment to upholding justice and righteousness through the dramatic narrative. The drama delves into themes of leadership, duty, and patriotism while also depicting the personal struggles and decisions faced by Skandagupta. Skandagupta" is a drama written by Hindi poet and ...
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25 Sarvshreshth Kahaniyan (Hindi Audiobook) by Manto (25 Selective Stories of Saadat Hasan Manto)
Audio Pitara by Channel176 Productions
Saadat Hasan Manto was a renowned Urdu writer who gained fame for his stories with a touch of mystery and cool detachment. And now, Audio Pitara has brought to you 'Saadat Hasan Manto,' featuring "25 Sarvshreshth Kahaniyaan" a Hindi audiobook narrated by Kishore and his team. Experience Manto's intriguing tales, where you will discover the true meaning of love and passion—a must-listen audiobook exclusively on "Audio Pitara”. These captivating stories, including "Thanda Gosht”, "Toba Tek Sin ...
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Paish hai aapke liye brand new series ‘’Pratinidhi kahaniyan’’ jo likhi gayi hain ek bahut hi jaani-maani lekhika, upanyaskar,aur bahut hi achhi film nirmata Ismat Chugtai dwara. Iss series main honge 14 interesting episodes jisme aap janenge muslim dharm ke bare main,lekhika ke jeewan ke baare main aur bhi bahut kuch khaas, toh rukna kisliye? Shuru kariye sari sunana or janiye Ismat Chugtai ke bare main sirf ‘’Audio Pitara’’ par. Stay Updated on our shows at audiopitara.com and follow us on ...
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लयताल।कैलाश वाजपेयी कुछ मत चाहो दर्द बढ़ेगा ऊबो और उदास रहो। आगे पीछे एक अनिश्चय एक अनीहा, एक वहम टूट बिखरने वाले मन के लिए व्यर्थ है कोई क्रम चक्राकार अंगार उगलते पथरीले आकाश तले कुछ मत चाहो दर्द बढ़ेगा ऊबो और उदास रहो यह अनुर्वरा पितृभूमि है धूप झलकती है पानी खोज रही खोखली सीपियों में चाँदी हर नादानी। ये जन्मांध दिशाएँ दें आवाज़ तुम्हें इससे पहले…
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Kalkatta Ke Ek Tram Mein Madhubani Painting | Gyanendrapati
1:55
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1:55कलकत्ता के एक ट्राम में मधुबनी पेंटिंग।ज्ञानेन्द्रपति अपनी कटोरियों के रंग उँड़ेलते शहर आए हैं ये गाँव के फूल धीर पदों से शहर आई है सुदूर मिथिला की सिया सुकुमारी हाथ वाटिका में सखियों संग गूँथा वरमाल जानकी ! पहचान गया तुम्हें में यहाँ इस दस बजे की भभक:भीड़ में अपनी बाँहें अपनी जेबें सँभालता पहचान गया तुम्हें मैं कि जैसे मेरे गाँव की बिटिया आँगन से …
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घर में वापसी । धूमिल मेरे घर में पाँच जोड़ी आँखें हैं माँ की आँखें पड़ाव से पहले ही तीर्थ-यात्रा की बस के दो पंचर पहिए हैं। पिता की आँखें— लोहसाँय की ठंडी सलाख़ें हैं बेटी की आँखें मंदिर में दीवट पर जलते घी के दो दिए हैं। पत्नी की आँखें आँखें नहीं हाथ हैं, जो मुझे थामे हुए हैं वैसे हम स्वजन हैं, क़रीब हैं बीच की दीवार के दोनों ओर क्योंकि हम पेशेवर ग़रीब…
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सुबह 10 बजे का न्यूज़ पॉडकास्ट- 5 मिनट
6:15
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6:15प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से चार नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई, जम्मू-कश्मीर के में सुरक्षाबलों ने दो आतंकियों को मार गिराया, दिल्ली एयरपोर्ट का एयर ट्रैफिक सिस्टम हुआ ठीक, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 65.08% मतदान हुआ, प्रियंका गांधी वाड्रा कटिहार में चुनाव प्रचार करेंगी, दिल्ली के रिठाला मेट्रो स्टेशन के पास …
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प्रदूषण का 'प्र' पलायन का लॉयन और रेलवे की थाली : तीन ताल, S2 129
2:53:21
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2:53:21- अतीत का गुड्डू मुस्लिम और सरकारी शुक्ला का का सिस्टम - पुलिस-ईडी और सीबीआई में मतभेद और भ्रस्टाचार में टैलेंट - भ्रष्टाचार का टैलेंट और केकड़ा मानसिकता - बाधा का आधा और विकसित की बाधा - कमाऊ शुक्ला और उसका रचनात्मक व्यवहार - कैलू यादव की मर्डर टेकनीक और दुलारचंद यादव की मोहब्बत - जय जोहार ममदानी और कुटिल खल कामी - न्यू यॉर्क क्यों आबाद रहे और न्यू…
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रम्ज़ । जौन एलिया तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन मुज़्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नहीं पा सकता ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता…
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Baat Karni Mujhe Mushkil | Bahadur Shah Zafar
2:43
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2:43बात करनी मुझे मुश्किल । बहादुर शाह ज़फ़र बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी जैसी अब है तिरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी ले गया छीन के कौन आज तिरा सब्र ओ क़रार बे-क़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी उस की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू कि तबीअ'त मिरी माइल कभी ऐसी तो न थी अब की जो राह-ए-मोहब्बत में उठाई तकलीफ़ सख़्त होती हमें मंज़िल कभी ऐसी तो न थी च…
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बहुत दूर का एक गाँव | धीरज कोई भी बहुत दूर का एक गाँव एक भूरा पहाड़ बच्चा भूरा और बूढ़ा पहाड़ साँझ को लौटती भेड़ और दूर से लौटती शाम रात से पहले का नीला पहाड़ था वही भूरा पहाड़। भूरा बच्चा, भूरा नहीं, नीला पहाड़, गोद में लिए, आँखों से। उतर आता है शहर एक बाज़ार में थैला बिछाए, बीच में रख देता है, नीला पहाड़। और बेचने के बाद का, बचा नीला पहाड़ अगली सु…
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सूअर के छौने । अनुपम सिंह बच्चे चुरा आए हैं अपना बस्ता मन ही मन छुट्टी कर लिये हैं आज नहीं जाएँगे स्कूल झूठ-मूठ का बस्ता खोजते बच्चे मन ही मन नवजात बछड़े-सा कुलाँच रहे हैं उनकी आँखों ने देख लिया है आश्चर्य का नया लोक बच्चे टकटकी लगाए आँखों में भर रहे हैं अबूझ सौन्दर्य सूअरी ने जने हैं गेहुँअन रंग के सात छौने ये छौने उनकी कल्पना के नए पैमाने हैं सूर…
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Ma Nahin Thi Wah | Vishwanath Prasad Tiwari
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1:23माँ नहीं थी वह । विश्वनाथ प्रसाद तिवारी माँ नहीं थी वह आँगन थी द्वार थी किवाड़ थी, चूल्हा थी आग थी नल की धार थी।द्वारा Nayi Dhara Radio
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उलाहना।अज्ञेय नहीं, नहीं, नहीं! मैंने तुम्हें आँखों की ओट किया पर क्या भुलाने को? मैंने अपने दर्द को सहलाया पर क्या उसे सुलाने को? मेरा हर मर्माहत उलाहना साक्षी हुआ कि मैंने अंत तक तुम्हें पुकारा! ओ मेरे प्यार! मैंने तुम्हें बार-बार, बार-बार असीसा तो यों नहीं कि मैंने बिछोह को कभी भी स्वीकारा। नहीं, नहीं, नहीं!…
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Pansokha Hai Indradhanush | Madan Kashyap
6:20
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6:20पनसोखा है इन्द्रधनुष - मदन कश्यप पनसोखा है इन्द्रधनुष आसमान के नीले टाट पर मखमली पैबन्द की तरह फैला है। कहीं यह तुम्हारा वही सतरंगा दुपट्टा तो नहीं जो कुछ ऐसे ही गिर पड़ा था मेरे अधलेटे बदन पर तेज़ साँसों से फूल-फूल जा रहे थे तुम्हारे नथने लाल मिर्च से दहकते होंठ धीरे-धीरे बढ़ रहे थे मेरी ओर एक मादा गेहूँअन फुंफकार रही थी क़रीब आता एक डरावना आकर्षण थ…
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wHI MP3 नवंबर 2025 - 09
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wHI MP3 नवंबर 2025 - 06
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wHI MP3 नवंबर 2025 - 01
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wHI MP3 नवंबर 2025 - 04
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wHI MP3 नवंबर 2025 - 07
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गॉसिप से क्रांति, फार्ट ऑफ लिविंग और कटियाबाज़ी का सुख : तीन ताल, S2 128
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2:20:58- डीलक्स से शुरुआत और बस का सेमी कंडक्टर - सतीश शाह का निधन और साराभाई VS साराभाई - पीयूष पांडे के क्रिएटिव ऐड और मूंछ - पास्ट में जीने वाले तालिबानी लड़ाके - तेजस्वी यादव के वादे और नीतीश कुमार की लेगेसी - सीक्रेट सेफ़ रखने वाले लोग और बतकही वाली बुआ - कानाफूसी का FM और गॉसिप की कोड लैंगवेज - हाईटेंशन तार काटने वाला चोर और बिजली का फायदा - चिट्ठियां…
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बुद्धू।शंख घोष मूल बंगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल कोई हो जाये यदि बुद्धू अकस्मात, यह तो वह जान नहीं पाएगा खुद से। जान यदि पाता यह फिर तो वह कहलाता बुद्धिमान ही। तो फिर तुम बुद्धू नहीं हो यह तुमने कैसे है लिया जान?द्वारा Nayi Dhara Radio
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मेरी ख़ता । अमृता प्रीतम अनुवाद : अमिया कुँवर जाने किन रास्तों से होती और कब की चली मैं उन रास्तों पर पहुँची जहाँ फूलों लदे पेड़ थे और इतनी महक थी— कि साँसों से भी महक आती थी अचानक दरख़्तों के दरमियान एक सरोवर देखा जिसका नीला और शफ़्फ़ाफ़ पानी दूर तक दिखता था— मैं किनारे पर खड़ी थी तो दिल किया सरोवर में नहा लूँ मन भर कर नहाई और किनारे पर खड़ी जिस्म…
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नीट एंड क्लीन यूनीवर्सटी, कंसिस्टेंसी का कमाल और डिसिप्लिन का डंडा : तीन ताल
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1:17:23- लखनऊ में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में जय हो के साथ शुरुआत - PCM और CPM - सफलता और असफलता क्या है? - शिक्षित और साक्षर होने में अंतर - श्रम का सम्मान और दिमाग से काम करने वाले लोग - लेमन वाला सुसू और सुविधा - डिसिप्लिन डंडा है या आज़ादी-विरोधी? - टैलेंट वर्सेज कंसीस्टेंसी! क्या जरूरी है? - डेस्टिनी तक कैसे पहुंचे? और डिसक्राइब करने का फायदा - घटिया रिकमे…
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पुरानी बातें | श्रद्धा उपाध्याय पहले सिर्फ़ पुरानी बातें पुरानी लगती थीं अब नई बातें भी पुरानी हो गई हैं मैंने सिरके में डाल दिए हैं कॉलेज के कई दिन बचपन की यादें लगता था सड़ जाएँगी फिर किताबों के बीच रखी रखी सूख गईं कितनी तरह की प्रेम कहानियाँ उन पर नमक घिस कर धूप दिखा दी है ज़रुरत होगी तो तल कर परोस दी जाएँगी और इतना कुछ फ़िसल हुआ हाथों से क्योंकि नह…
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ख़ाली मकान।मोहम्मद अल्वी जाले तने हुए हैं घर में कोई नहीं ''कोई नहीं'' इक इक कोना चिल्लाता है दीवारें उठ कर कहती हैं ''कोई नहीं'' ''कोई नहीं'' दरवाज़ा शोर मचाता है कोई नहीं इस घर में कोई नहीं लेकिन कोई मुझे इस घर में रोज़ बुलाता है रोज़ यहाँ मैं आता हूँ हर रोज़ कोई मेरे कान में चुपके से कह जाता है ''कोई नहीं इस घर में कोई नहीं पगले किस से मिलने रोज…
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Kahan Tak Waqt Ke Dariya Ko | Shahryar
2:02
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2:02कहाँ तक वक़्त के दरिया को । शहरयार कहाँ तक वक़्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें ये हसरत है कि इन आँखों से कुछ होता हुआ देखें बहुत मुद्दत हुई ये आरज़ू करते हुए हम को कभी मंज़र कहीं हम कोई अन-देखा हुआ देखें सुकूत-ए-शाम से पहले की मंज़िल सख़्त होती है कहो लोगों से सूरज को न यूँ ढलता हुआ देखें हवाएँ बादबाँ खोलीं लहू-आसार बारिश हो ज़मीन-ए-सख़्त तुझ को फू…
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Kharab Television Par Pasandeeda Programme | Satyam Tiwari
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3:00ख़राब टेलीविज़न पर पसंदीदा प्रोग्राम देखते हुए | सत्यम तिवारी दीवारों पर उनके लिए कोई जगह न थी और नए का प्रदर्शन भी आवश्यक था इस तरह वे बिल्लियों के रास्ते में आए और वहाँ से हटने को तैयार न हुए यहीं से उनकी दुर्गति शुरू हुई उनका सुसज्जित थोबड़ा बिना ईमान के डर से बिगड़ गया अपने आधे चेहरे से आदेशवत हँसते हुए वे बिल्कुल उस शोकाकुल परिवार की तरह लगते जि…
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फ़्री विल । दर्पण साह अगस्त का महिना हमेशा जुलाई के बाद आता है, ये साइबेरियन पक्षियों को नहीं मालूम मैं कोई निश्चित समय-अंतराल नहीं रखता दो सिगरेटों के बीच खाना ठीक समय पर खाता हूँ और सोता भी अपने निश्चित समय पर हूँ अपने निश्चित समय पर क्रमशः जब नींद आती है और जब भूख लगती है इससे ज़्यादा ठीक समय का ज्ञान नहीं मुझे जब चीटियों की मौत आती है, तब उनके प…
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दूध-दही-ड्रामा, मेंटल हेल्थ की मार्केट और झटकेदार हरियाणा : तीन ताल, S2 127
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3:31:16- फुस्स के साथ शुरुआत और ओंकार यादव का स्वागत - बुड्ढा बनने का सपना और हाथी के साथ एडवेंचर - लोकपाल BMW के साथ करप्शन कैसे रोकेंगे? - गाड़ियों का संसार और गाड़ीवान का नेचर - महिपाल मोटरेबल की कविता और असरानी को ट्रिब्यूट - शेख हरियाणवी का भंडारा मैडम बैठ बोलेरो में वाले सुनील फौजी - हरियाणा में स्त्रियों से राब्ता और फूफा बनने का शौक - हरियाणा के राम…
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Prarthna | Antonio Rinaldi | Translation - Dharamvir Bharti
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1:42प्रार्थना। अन्तोन्यो रिनाल्दी अनुवाद : धर्मवीर भारती सई साँझ आँखें पलकों में सो जाती हैं अबाबीलें घोसलों में और ढलते दिन में से आती हुई एक आवाज़ बतलाती है मुझे अँधेरे में भी एक संपूर्ण दृष्टि है मैं भी थक कर पड़ रहा हूँ जैसे उदास घास की गोद में फूल धूप के साथ सोने के लिए हवा हमारी रखवाली करे— हमें जीत ले यह आस्मान की निचाट ज़िंदगी जो हर दर्द को धारण…
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Lagta Nahi Hai Dil Mera | Bahadur Shah Zafar
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2:11लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में । बहादुर शाह ज़फ़र लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में किस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में इन हसरतों से कह दो कहीं और जा बसें इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार मे…
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Ghaas | Carl Sandburg | Translation - Dharamvir Bharti
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1:45घास । कार्ल सैंडबर्ग अनुवाद : धर्मवीर भारती आस्टरलिज़ हो या वाटरलू लाशों का ऊँचे से ऊँचा ढेर हो— दफ़ना दो; और मुझे अपना काम करने दो! मैं घास हूँ, मैं सबको ढँक लूँगी और युद्ध का छोटा मैदान हो या बड़ा और युद्ध नया हो या पुराना ढेर ऊँचे से ऊँचा हो, बस मुझे मौक़ा भर मिले दो बरस, दस बरस—और फिर उधर से गुज़रने वाली बस के मुसाफ़िर पूछेंगे : यह कौन सी जगह है? ह…
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Jo Ulajh Kar Rah Gayi Filon Ke Jaal Mein | Adam Gondvi
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1:48जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में । अदम गोंडवी जो उलझकर रह गई है फ़ाइलों के जाल में गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई रमसुधी की झोंपड़ी सरपंच की चौपाल में खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में जिसकी क़ीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहौल में ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसा…
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आस्था | प्रियाँक्षी मोहन इस दुनिया को युद्धों ने उतना तबाह नहीं किया जितना तबाह कर दिया प्यार करने की झूठी तमीज़ ने प्यार जो पूरी दुनिया में वैसे तो एक सा ही था पर उसे करने की सभी ने अपनी अपनी शर्त रखी और प्यार को कई नाम, कविताओं, कहानियों, फूलों, चांद तारों और जाने किन किन उपमाओं में बांट दिया जबकि प्यार को उतना ही नग्न और निहत्था होना था जितना कि…
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अनुभव | नीलेश रघुवंशी तो चलूँ मैं अनुभवों की पोटली पीठ पर लादकर बनने लेखक लेकिन मैंने कभी कोई युद्ध नहीं देखा खदेड़ा नहीं गया कभी मुझे अपनी जगह से नहीं थर्राया घर कभी झटकों से भूकंप के पानी आया जीवन में घड़ा और बारिश बनकर विपदा बनकर कभी नहीं आई बारिश दंगों में नहीं खोया कुछ भी न खुद को न अपनों को किसी के काम न आया कैसा हलका जीवन है मेरा तिस पर मुझे…
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स्त्री का चेहरा। अनीता वर्मा इस चेहरे पर जीवन भर की कमाई दिखती है पहले दुख की एक परत फिर एक परत प्रसन्नता की सहनशीलता की एक और परत एक परत सुंदरता कितनी किताबें यहाँ इकट्ठा हैं दुनिया को बेहतर बनाने का इरादा और ख़ुशी को बचा लेने की ज़िद एक हँसी है जो पछतावे जैसी है और मायूसी उम्मीद की तरह एक सरलता है जो सिर्फ़ झुकना जानती है एक घृणा जो कभी प्रेम का …
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इस्लाम की फुल प्रैक्टिस, खर्चीले खां चा और स्वीट भ्रष्टाचार : तीन ताल, S2 126
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3:15:24- गोभी को डंसने वाला सांप और ज़हरीली ब्रोकली - मटन खाने वाला बकरा और बंदूक के साथ देवबंदी - भारत का सेक्युलरिज्म और सुप्रीम कोर्ट में जागा हिन्दू - अजूबा महबूबा और तालिबान का बॉयज़ हॉस्टल - हदसाने वाला बिहार चुनाव, जयराम रमेश के बाल - कांग्रेस में फैटा-फैटी और 'पियाक' समर्थक पीके - नोबेल विहीन ट्रंप और पाकिस्तान के उल्टी दिलाने वाले बयान - भारत में ज…
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Jeb Mein Sirf Do Rupaye | Kumar Ambuj
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2:13जेब में सिर्फ़ दो रुपये - कुमार अम्बुज घर से दूर निकल आने के बाद अचानक आया याद कि जेब में हैं सिर्फ दो रुपये सिर्फ़ दो रुपये होने की असहायता ने घेर लिया मुझे डर गया मैं इतना कि हो गया सड़क से एक किनारे एक व्यापारिक शहर के बीचोबीच खड़े होकर यह जानना कितना भयावह है कि जेब में है कुल दो रुपये आस पास से जा रहे थे सैकड़ों लोग उनमें से एक-दो ने तो किया मुझे न…
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18 Number Bench Par | Doodhnath Singh
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1:5718 नम्बर बेंच पर। दूधनाथ सिंह 18 नम्बर बेंच पर कोई निशान नहीं चारों ओर घासफूस –- जंगली हरियाली कीड़े-मकोड़े मच्छर अँधेरा वर्षा से धुली हरी-चिकनी काई की लसलस चींटियों के भुरेभुरे बिल –- सन्नाटा बैठा सन्नाटा । क्षण वह धुल-पुँछ बराबर कौन यहाँ आया बदलती प्रकृति के अलावा प्रशासनिक भवन से दूर कुलसचिव के सुरक्षा-गॉर्ड की नज़रों से बाहर ऋत्विक घटक की डोलती…
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wHI MP3 जनवरी 2026 - 03
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नन्ही पुजारन।असरार-उल-हक़ मजाज़ इक नन्ही मुन्नी सी पुजारन पतली बाँहें पतली गर्दन भोर भए मंदिर आई है आई नहीं है माँ लाई है वक़्त से पहले जाग उठी है नींद अभी आँखों में भरी है ठोड़ी तक लट आई हुई है यूँही सी लहराई हुई है आँखों में तारों की चमक है मुखड़े पे चाँदी की झलक है कैसी सुंदर है क्या कहिए नन्ही सी इक सीता कहिए धूप चढ़े तारा चमका है पत्थर पर इक फ…
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Mujhe Sneh Kya Mil Na Sakega? | Suryakant Tripathi Nirala
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1:43मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा?। सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' मुझे स्नेह क्या मिल न सकेगा? स्तब्ध, दग्ध मेरे मरु का तरु क्या करुणाकर खिल न सकेगा? जग के दूषित बीज नष्ट कर, पुलक-स्पंद भर, खिला स्पष्टतर, कृपा-समीरण बहने पर, क्या कठिन हृदय यह हिल न सकेगा? मेरे दु:ख का भार, झुक रहा, इसीलिए प्रति चरण रुक रहा, स्पर्श तुम्हारा मिलने पर, क्या महाभार यह झिल न सक…
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wHI MP3 जनवरी 2026 - 01
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wHI MP3 जनवरी 2026 - 02
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wHI MP3 जनवरी 2026 - 04
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wHI MP3 जनवरी 2026 - 05
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wHI MP3 जनवरी 2026 - 06
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wHI MP3 दिसंबर 2025 - 07
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शुद्धिकरण | हेमंत देवलेकर इतनी बेरहमी से निकाले जा रहे छिलके पानी के कि ख़ून निकल आया पानी का उसकी आत्मा तक को छील डाला रंदे से यह पानी को छानने का नहीं उसे मारने का दृश्य है एक सेल्समैन घुसता है हमारे घरों में भयानक चेतावनी की भाषा में कि संकट में हैं आप के प्राण और हम अपने ही पानी पर कर बैठते हैं संदेह जब वह कांच के गिलास में पानी को बांट देता है …
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प्रेम और घृणा | नताशा तुम भेजना प्रेम बार-बार भेजना भले ही मैं वापस कर दूँ लौटेगा प्रेम ही तुम्हारे पास पर मत भेजना कभी घृणा घृणा बंद कर देती है दरवाज़े अँधेरे में क़ैद कर लेती है हम प्रेम सँजो नहीं पाते और घृणा पाल बैठते हैं प्रेम के बदले न भी लौटा प्रेम तो लौटेगी चुप्पी बेबसी प्रेम अपरिभाषित ही सही घृणा परिभाषा से भी ज़्यादा कट्टर होती है!…
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Antardwand | Alain Bosquet | Translation - Dharamvir Bharti
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1:40अंतर्द्वंद | आलेन बास्केट अनुवाद : धर्मवीर भारती मेरा बायाँ हाथ मुझे प्राणदंड देता है मेरा दायाँ हाथ मेरी रक्षा करता है मेरी आँखें मुझे निर्वासन देती हैं मेरी वाणी मुझे प्रताड़ित करती है : अब समय आ गया है कि तुम अपने साथ संधिपत्र पर हस्ताक्षर कर दो! और इस पुराने हृदय में हज़ारों लड़ाइयाँ लड़ी जा रही हैं मेरे शत्रु और मेरे हताश मित्रों के बीच जो अंत …
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