seven सार्वजनिक
[search 0]
अधिक
Download the App!
show episodes
 
This podcast presents Hindi poetry, Ghazals, songs, and Bhajans written by me. इस पॉडकास्ट के माध्यम से मैं स्वरचित कवितायेँ, ग़ज़ल, गीत, भजन इत्यादि प्रस्तुत कर रहा हूँ Awards StoryMirror - Narrator of the year 2022, Author of the month (seven times during 2021-22) Kalam Ke Jadugar - Three Times Poet of the Month. Sometimes I also collaborate with other musicians & singers to bring fresh content to my listeners. Always looking for fresh voices. Write to me at HindiPoemsByVivek@gmail.com #Hind ...
  continue reading
 
Loading …
show series
 
रघुपुङ्गव राघवेंद्र रामचन्द्र राजा राम। सर्वदेवादिदेव सबसे सुन्दर यह नाम। शरणत्राणतत्पर सुन लो विनती हमारी। हरकोदण्डखण्डन खरध्वंसी धनुषधारी। दशरथपुत्र कौसलेय जानकीवल्लभ। विश्वव्याप्त प्रभु आपका कीर्ति सौरभ। विराधवधपण्डित विभीषणपरित्राता। भवरोगस्य भेषजम् शिवलिङ्गप्रतिष्ठाता। सप्ततालप्रभेत्ता सत्यवाचे सत्यविक्रम। आदिपुरुष अद्वितीय अनन्त पराक्रम। रघुप…
  continue reading
 
श्री राम नवमी - (हरिगीतिका छंद) श्री राम नवमी पर्व पावन, राम मंदिर में मना। संसार पूरा राममय है, राम से सब कुछ बना॥ संतों महंतों की हुई है, सत्य सार्थक साधना। स्त्री-पुरुष बच्चे-बड़े सब, मिल करें आराधना॥ नीरज नयन कोदंड कर शर, सूर्य का टीका लगा। मस्तक मुकुट स्वर्णिम सुशोभित, भाग्य भारत का जगा॥ आदर्श का आधार हो तुम, धैर्य का तुम श्रोत हो। चिर काल तक ज…
  continue reading
 
समापन है शिशिर का अब, मधुर मधुमास आया है। सभी आनंद में डूबे, अपरिमित हर्ष छाया है॥ सुनहरे सूत को लेकर, बुना किरणों ने जो कम्बल। ठिठुरते चाँद तारों को, दिवाकर ने उढ़ाया है॥ ... ... समर्पित काव्य चरणों में, बनाई छंद की माला। नमन है वागदेवी को, सुमन ‘अवि’ ने चढ़ाया है॥ गीतकार - विवेक अग्रवाल "अवि" स्वर - श्रेय तिवारी --------------- Full Ghazal is avai…
  continue reading
 
बड़ा टूट कर दिल लगाया है हमने जुदाई को हमदम बनाया है हमने तेरा अक्स आँखों में हमने छिपाया तभी तो न आँसू भी हमने बहाए तेरा नूर दिल में अभी तक है रोशन 'अक़ीदत से तुझको इबादत बनाकर लबों पर ग़ज़ल सा सजाया है हमने.. बड़ा टूट कर दिल लगाया है हमने सबब आशिक़ी का भला क्या बतायें ये दिल की लगी है तो बस दिल ही जाने न सोचा न समझा मोहब्बत से पहले सुकूं चैन अपना…
  continue reading
 
मेरी यह कविता "प्रतिशोध" पुलवामा के वीर बलिदानियों और भारतीय वायु सेना के पराक्रमी योद्धाओं को समर्पित हैचलो फिर याद करते हैं कहानी उन जवानों की।बने आँसू के दरिया जो, लहू के उन निशानों की॥......नमन चालीस वीरों को, यही संकल्प अपना है।बचे कोई न आतंकी, यही हम सब का सपना है॥The full Poem is available for your listening.You can write to me on HindiPoems…
  continue reading
 
बड़ी ख़ूबसूरत शिकायत है तुझको कि ख़्वाबों में अक्सर बुलाया है हम ने बड़ी आरज़ू थी हमें वस्ल की परजुदाई को हमदम बनाया है हमने तेरा अक्स आँखों में हमने छिपाया तभी तो न आँसू भी हमने बहाएतेरा नूर दिल में अभी तक है रोशन 'अक़ीदत से तुझको इबादत बनाकरलबों पर ग़ज़ल सा सजाया है हमनेभुलाना तो चाहा भुला हम न पाएतेरी याद हर पल सताती है हमको नहीं आज कल की है तुझस…
  continue reading
 
किताबें छोड़ फोनों को, नया रहबर बनाया है।तिलिस्मी जाल में फँस कर सभी कुछ तो भुलाया है। उसी के साथ गुजरे दिन, उसी के साथ सोना है। समंदर वर्चुअल चाहे, असल जीवन डुबोना है।ट्विटर टिकटौक गूगल हों, या फिर हो फेसबुक टिंडर।हैं उपयोगी सभी लेकिन, अगर लत हो बुरा चक्कर।भुला नज़दीक के रिश्ते, कहीं ढूँढे हैं सपनों को।इमोजी भेज गैरों को, करें इग्नोर अपनों को।ये मेट…
  continue reading
 
तुम को देखा तो ये ख़याल आया। प्यार पाकर तेरा है रब पाया। झील जैसी तेरी ये आँखें हैं। रात-रानी सी महकी साँसें हैं। झाँकती हो हटा के जब चिलमन, जाम जैसे ज़रा सा छलकाया। तुम को देखा …… देखने दे मुझे नज़र भर के। जी रहा हूँ अभी मैं मर मर के। इस कड़ी धूप में मुझे दे दे, बादलों जैसी ज़ुल्फ़ की छाया। तुम को देखा …… ज़िंदगी भर थी आरज़ू तेरी। तू ही चाहत तू ज़िंदगी…
  continue reading
 
एक किताब सा मैं जिसमें तू कविता सी समाई है, कुछ ऐसे ज्यूँ जिस्म में रुह रहा करती है। मेरी जीस्त के पन्ने पन्ने में तेरी ही रानाई है, कुछ ऐसे ज्यूँ रगों में ख़ून की धारा बहा करती है। एक मर्तबा पहले भी तूने थी ये किताब सजाई, लिखकर अपनी उल्फत की खूबसूरत नज़्म। नीश-ए-फ़िराक़ से घायल हुआ मेरा जिस्मोजां, तेरे तग़ाफ़ुल से जब उजड़ी थी ज़िंदगी की बज़्म। सूखी नहीं …
  continue reading
 
बड़ा पावन है दिन आया हरे कृष्णा हरे कृष्णा। ख़ुशी भी साथ में लाया हरे कृष्णा हरे कृष्णा। मदन मोहन मुरारी की छवी लगती मुझे प्यारी, तभी तो झूम कर गाया हरे कृष्णा हरे कृष्णा। नहीं असली जगत में कुछ वही बस एक सच्चा है, सभी कुछ कृष्ण की माया हरे कृष्णा हरे कृष्णा। नहीं कुछ कामना बाकी तेरे चरणों में आ बैठा, सभी कुछ है यहीं पाया हरे कृष्णा हरे कृष्णा। सुनो व…
  continue reading
 
ये आज़ादी मिले हमको हुए हैं साल पचहत्तर। बड़ा अच्छा ये अवसर है जरा सोचें सभी मिलकर। सही है क्या गलत है क्या मुनासिब क्या है वाजिब क्या। आज़ादी का सही मतलब चलो समझें ज़रा बेहतर। Full Poem is available for listening You may write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com
  continue reading
 
न सुकून है न ही चैन है; न ही नींद है न आराम है। मेरी सुब्ह भी है थकी हुई; मेरी कसमसाती सी शाम है। न ही मंज़िलें हैं निगाह में; न मक़ाम पड़ते हैं राह में, ये कदम तो मेरे ही बढ़ रहे; कहीं और मेरी लगाम है। कि बड़ी बुरी है वो नौकरी; जो ख़ुदी को ख़ुद से ही छीन ले, यहाँ पिस रहा है वो आदमी; जो बना किसी का ग़ुलाम है। --- --- शाइर - विवेक अग्रवाल 'अवि' आवाज़ - …
  continue reading
 
कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया साहिर उस दौर के शायर थे जब शायरी ग़म-ए-जानाँ तक न सिमट ग़म-ए-दौराँ की बात करने लगी थी। इस ग़ज़ल का मतला भी ऐसा ही है जो न सिर्फ खुद के गम पर हालात के गम का ज़किर भी करता है। आज इसी ग़ज़ल में कुछ और अशआर जोड़ने की हिमाकत की है। मुलाइज़ा फरमाइयेगा।…
  continue reading
 
तू आग थी मैं आब था न तू ग़लत न मैं ग़लत। तू ज़िन्दगी मैं ख़्वाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत। उधर भी आग थी लगी इधर भी जोश था चढ़ा, नया नया शबाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत। जो सुर्ख़ प्यार का निशाँ तिरी निगाह में रोज था, मिरे लिये गुलाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत। ख़मोश लब तिरे रहे हमेशा उस सवाल पर, वही तिरा जवाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत। ख़ुशी व ग़म का बाँटना मिरे…
  continue reading
 
ये जिंदगी का मोड़ वो, कि बस समय है प्यार का। सवाल ना जवाब ना, न वक़्त इंतिज़ार का। क्यों छोड़ कर चले गए, ये आज तक नहीं पता। मिली मुझे बड़ी सजा, मेरी भला थी क्या ख़ता। कि आज भी जिगर में है, वो अक्स मेरे यार का। ये जिंदगी का मोड़ वो, कि बस समय है प्यार का। मिले थे आखिरी दफा, न कुछ सुना न कुछ कहा। नजर से बस नजर मिला, न अश्क़ भी कहीं बहा। न देख तू यहाँ वहाँ,…
  continue reading
 
सब कहते हैं हम अब स्वतंत्र हैं पर सच कहूँ तो लगता नहीं निज भाषा का तिरस्कार देखता हूँ स्वदेशी पोशाकों को होटल, क्लब से निष्काषित होते देखता हूँ सर्वोच्च न्यायालय में अंग्रेजी में मी लार्ड को टाई न पहनने के ऊपर फटकार लगाते देखता हूँ Full Poem is available for listening You may write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com…
  continue reading
 
आओ बच्चों आज तुमको, एक पाठ नया पढ़ाता हूँ। प्रकृति हमको क्या सिखलाती, ये तुमको बतलाता हूँ। Full Poem is available for listening You may write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com
  continue reading
 
कलम की कोख से जन्मी, मेरे मन की तू दुहिता है। बड़ी निर्मल बड़ी निश्छल, बड़ी चंचल सी सरिता है॥ मेरे मन की व्यथा समझे, अकेलेपन की साथी है। मेरा अस्तित्व है तुझसे, नहीं केवल तू कविता है॥ Full Poem is available for listening You may write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com
  continue reading
 
नहीं घबरा के तुम हटना ये मंज़िल मिल ही जाएगी। डटे रहना निरंतर तुम सफलता हाथ आएगी। परीक्षाएं बहुत होती हैं दृढ़ निश्चय परखने को, लगन सच्ची लगी तुमको तो मेहनत रंग लाएगी। ... ... अगर हँसता ज़माना है तो चिंता तुम नहीं करना, अभी हँसती है जो दुनिया वही सर पर बिठाएगी। विवेक अग्रवाल 'अवि' Full Ghazal is available for listening You may write to me at HindiPoem…
  continue reading
 
कड़ी मेहनत बड़ी मुद्दत लगे पैसा कमाने में। नहीं लगता ज़रा सा वक़्त पैसे को गँवाने में। बड़ा आसान है कहना कि पैसा ही नहीं सब कुछ, बिना पैसे नहीं मिलता यहाँ कुछ भी ज़माने में। --- --- बड़ी ताकत है पैसे में सभी पर ये पड़े भारी, अदालत में चले पैसा यही चलता है थाने में। अमीरी के सभी साथी गरीबी बस अकेली है, भरी जेबें ज़रूरी है सभी रिश्ते निभाने में। Full Ghazal i…
  continue reading
 
आज सुनाता कथा पुरानी, जब सोने की चिड़िया भारत था। सुख समृद्धि से सज्जित, स्वर्ण-भूमि में सबका स्वागत था। अमरावती से सुन्दर नगरी, जहाँ महाकाल का धाम था। समस्त विश्व का केंद्र थी, उज्जयिनी जिसका नाम था। इंद्र से भी वैभवशाली, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य सम्राट थे। चहुँ ओर फैला था कीर्ति सौरभ, गौरव से उन्नत ललाट थे। स्वर्ण रजत मोती माणिक, धन धान्य से भरे थ…
  continue reading
 
ग़ज़ल - घर में सजते चाँद सितारे, बस क़िस्से और कहानी में घर में सजते चाँद सितारे, बस क़िस्से और कहानी में। सोने चाँदी के गुब्बारे, बस क़िस्से और कहानी में। रोज़ बिखरते ख़्वाब यहाँ पर, टूटे दिल भी हमने देखे, सच होते हैं सपने सारे, बस क़िस्से और कहानी में। नफ़रत झूठ फ़रेब दिखा है, इस ज़ालिम दुनिया में अपनी, सभी लोग सच्चे और प्यारे, बस क़िस्से और कहानी में।…
  continue reading
 
एक ग़ज़ल लिखी है चन्दा पर, छत पर आके पढ़ लेना। है तेरी याद में गाया नगमा, जब हवा बहे तो सुन लेना। Full Poem is available in video & audio format. You can write to me at HindiPoemsByVivek@gmail.com
  continue reading
 
बड़ी पुत्री है संस्कृत की सरल भाषा तथा बोली। निरंतर सीखती रहती सभी से बन के हमजोली॥ अनेकों रूप लेकर भी बड़ी मीठी है अलबेली। भले अवधी या ब्रजभाषा खड़ी बोली या बुन्देली॥ ये जयशंकर महादेवी निराला जी की कविता है। मधुर मोहक सरस सुन्दर चपल चंचल सी सरिता है॥ .. .. हमें सर्वोच्च दुनिया में अगर भारत बनाना है। तो सोतों को जगाना है व हिंदी को बढ़ाना है॥ चलो हिंद…
  continue reading
 
परिवार का चूल्हापरिवार का चूल्हा,मात्र प्रेम की अग्नि से नहीं चलता,ईंधन भी माँगता है।कर्तव्य की लकड़ियाँ आवश्यक हैं,चूल्हे के जलते रहने के लिए।कभी कभी त्याग का घी-तेल,भी डालना होता है,और व्यवहारिकता की फुँकनी से,समझौते की हवा भी फूँकनी होती है।असुविधाओं का धुँआ सहन करते हुए।Full poem is available for listeningWrite to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.c…
  continue reading
 
इस कविता में आत्मा के अजर अमर स्वरुप का वर्णन कर उसका अंतिम लक्ष्य ब्रह्म प्राप्ति बता कर उसके तीन अलग अलग मार्गों की परिचर्चा की गयी है। यही जीवन का सबसे बड़ा रहस्य है और यही सबसे बड़ा ज्ञान है। इसीलिए इसे ब्रह्मज्ञान भी कहा गया है आओ चलो एक गहरा राज तुम सबको बतलाता हूँ। जीवन का ये सत्य शाश्वत आज तुम्हें समझाता हूँ। पञ्च तत्व से बनी ये काया तन अपना …
  continue reading
 
मुझे मोक्ष मत देना मोहन, मत करना मुक्ति मार्ग प्रशस्त। संध्या की जब बेला आये, और हो जीवन का सूर्य अस्त॥ नहीं कामना वैकुण्ठ की मुझको, न चाहूँ इंद्र का सिंहासन। सम्पूर्ण सृष्टि में नहीं बना कुछ, मेरी भारत भूमि सा पावन॥ श्वेत किरीट शोभित मस्तक पर, करे पयोधि पद-प्रक्षालन। सप्तसिंधु से सिंचित ये भूमि, सर्वोच्च सदा से रही सनातन॥ इस पुण्य भूमि में क्रीड़ा …
  continue reading
 
आज की इस विशेष प्रस्तुति में मेरी कविताओं को आवाज़ दी है मेरे दो अज़ीज़ साथियों नरेश कुमार नरूला जी और वाचस्पति पांडेय जी ने। कवितायेँ हैं १ - मृगतृष्णा २ - मैं प्रलय हूँ -------------------- You can write to me on HindiPoemsByVivek@gmail.com
  continue reading
 
वो जो ज़िन्दगी थी मेरी कभी; वो जो पहला पहला ख़ुमार था। मुझे ज़िन्दगी में नहीं मिला; मेरी ज़िन्दगी का जो प्यार था। ये जो अश्क़ अपने ही पी रहा; ये जो क़िस्त क़िस्त में जी रहा, मैं चुका रहा हूँ वो आज भी; जो तेरा पुराना उधार था। मेरी ज़िन्दगी का उसूल है; जो तुझे ख़ुशी दे क़ुबूल है, क्यूँ शिकायतें मेरे दिल में हों; न कभी भी कोई क़रार था। जो नसीब में है लिखा नहीं;…
  continue reading
 
ट्रिक और ट्रीट? मैं मूक स्तब्ध दरवाजे पर खड़ा था, सामने बच्चों का एक झुण्ड अड़ा था। कोई भूत कोई चुड़ैल कोई सुपर हीरो बना हुआ, पूरे आत्मविश्वास के साथ द्वार पर तना हुआ। एक एक कर मैंने सबके चेहरों को निहारा, कोई पापा की परी कोई माँ का राजदुलारा। कोई ड्रैकुला बना लाल दाँत दिखा रहा था, तो कोई हैरीपॉटर बन स्पेल्स सिखा रहा था। ऊँचा नुकीला हैट पहने एक कन्या …
  continue reading
 
देवालय में बैठा बैठा मैं मन में करता ध्यान। शुभ दिन आया मैं करूँ दीप कौन सा दान। मिटटी के दीपक क्षणभंगुर और छोटी सी ज्योति। बड़ी क्षीण सी रौशनी बस पल दो पल की होती। मन में इच्छा बड़ी प्रबल दुर्लभ हो मेरा दान। सारे व्यक्ति देख करें बस मेरा ही गुण गान। इस नगर में हर व्यक्ति के मुख पर हो मेरा नाम। इसी सोच में डूबा बैठा आखिर क्या करूँ मैं काम। सोचा चाँदी…
  continue reading
 
नियामतें जो मिली शुक्र सुब्ह शाम करें। कि ख़्वाहिशों को कभी भी न बे-लगाम करें। वो मुस्कुरा के हैं पूछे कि हाल कैसा है, सजा के झूठ लबों पर दुआ सलाम करें। सजा रखे थे जो अरमां लुटा दिए तुम पर, बचे हुए हैं ये सपने कहो तमाम करें। ख़ता नहीं थी हमारी पता नहीं तुझको, तुझे यकीं जो दिलाये वो कैसा काम करें। बिकी हुई है अदालत जो ठीक दो कीमत, चलो कहीं से गवाहों…
  continue reading
 
भारत माता के हम बच्चे, सबसे प्यारा अपना भारत। दूर दूर तक देखा जग में, सबसे न्यारा अपना भारत॥ भिन्न भिन्न भोजन हैं अपने, भिन्न भिन्न है अपनी बोली। भिन्न भिन्न उत्सव हैं अपने, ओणम बीहू पोंगल होली॥ भिन्न भिन्न इन त्योहारों ने, खूब सँवारा अपना भारत। दूर दूर तक देखा जग में, सबसे न्यारा अपना भारत॥ भारत माता के हम बच्चे, सबसे प्यारा अपना भारत। दूर दूर तक …
  continue reading
 
प्रथम सर्ग रास लीला की कथा को, मैं सुनाता आज। ध्यान से सुन लो मनोहर, गूढ़ है ये राज॥ पुण्य वृन्दावन हमारा, प्रेम पावन धाम। रात को निधि-वन पधारें, रोज श्यामा श्याम॥ दिव्य दर्शन दें प्रभु हर, पूर्णिमा की रात। मान लो मेरा कहा ये, सत्य है यह बात॥ पेड़-पौधे पुष्प-पत्ते, झूमते मनमीत। मोर कोयल मिल सुनाते, प्रेम रस के गीत॥ जीव-जंतु भी करे हैँ, हर्ष से गुण-गा…
  continue reading
 
घरों के साथ जीवन भी सजाते हैं दिवाली पर। नयी उम्मीद के दीपक जलाते हैं दिवाली पर। चमकते हैं ये घर आँगन ज़रा झाड़ू लगा अंदर, ये जाले बदगुमानी के हटाते हैं दिवाली पर। जुबां मीठी बने सबकी न कड़वे बोल हम बोलें, बना ऐसी मिठाई इक खिलाते हैं दिवाली पर। प्रकाशित मन करे ऐसा जलाओ दीप हर घर में, दिलों से आज अँधियारा मिटाते हैं दिवाली पर। लबों पर मुस्कुराहट ला भुल…
  continue reading
 
ग़ज़ल - इश्क़ भी तुम ने किया बस यूँ ही आते जाते इश्क़ भी तुम ने किया बस यूँ ही आते जाते। दर्द कितना है दिया हम को यूँ जाते जाते। दोस्ती ख़ूब निभाई थी बड़े दिन हमसे, फ़र्ज़ दुश्मन का भी बनता है निभाते जाते। मेरे बस में तो नहीं है कि जला दूँ इनको, ख़त जो तुमने थे लिखे उन को जलाते जाते। मुस्कुराहट है लबों पर जो सजाई झूठी, रोक कर हैं जो रखे अश्क़ बहाते जाते। क…
  continue reading
 
ग़ज़ल - मेरी मुहब्बत नयी नहीं है बड़ी पुरानी है ये कहानी, मेरी मुहब्बत नयी नहीं है। जो फाँस बन के गड़ी हुयी है, जिगर में हसरत नयी नहीं है। कभी लिखे थे दिलों पे अपने, जो नाम इक दूसरे के हमने, नहीं धुलेंगे वो आंसुओं से, छपी इबारत नयी नहीं है। न तू ये जाने जगह जो मैंने, तेरे लिये थी कभी बनायी, सजा के दिल में तुझे है पूजा, मेरी इबादत नयी नहीं है। दवा नहीं…
  continue reading
 
कभी कभी जीवन से निराश हो चुके व्यक्ति आत्महत्या तक के बारे में सोचने लगते हैं जबकि यह किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। अभी कुछ दिनों पहले विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर मैंने एक ग़ज़ल के माध्यम से ऐसे व्यक्तियों को नकारात्मक सोच से निकल सकारात्मकता की ओर जाने का सन्देश देने का प्रयास किया गया है। साथ ही यह भी चेष्टा रही है कि शुद्ध हिंदी क…
  continue reading
 
अजेय सैनिकों चलो, लिये तिरंग हाथ में। समक्ष शत्रु क्या टिके, समस्त हिन्द साथ में॥ ललाट गर्व से उठा, स्वदेश भक्ति साथ है। अशीष मात का मिला, असीम शक्ति हाथ है॥ चले चलो बढ़े चलो, कि देश है पुकारता। सवाल आज आन का, कि आस से निहारता॥ सदैव शौर्य जीतता, कि शक्ति ही महान है। कि वीर की वसुंधरा, यही सदा विधान है॥ चढ़ा लहू कटार से, यहाँ उतार आरती। भले तू खंड-खंड…
  continue reading
 
श्रीकृष्ण माहात्म्य हरिगीतिका छंद (२८ मात्रिक १६,१२ पर यति) प्रथम सर्ग - श्रीकृष्ण बाल कथा श्रीकृष्ण की सुन लो कथा तुम, आज पूरे ध्यान से। भवसागरों से मुक्ति देती, यह कथा सम्मान से॥ झंझावतों की रात थी जब, आगमन जग में हुआ। प्रारब्ध में जो था लिखा तय, कंस का जाना हुआ॥ गोकुल मुझे तुम ले चलो अब, हो प्रकट बोले हरी। माया वहाँ मेरी है जन्मी, तेज से है वो भ…
  continue reading
 
ग़ज़ल - नहीं फ़ख़्र-ए-वतन उसका ये हिंदुस्तान थोड़े है लुटाते जान सैनिक ही हमारी जान थोड़े है। बचाते अजनबी को भी कोई पहचान थोड़े है। नहीं अहसान मानो तो समझ इक बार हम जायें, मगर मारो जो तुम पत्थर वहाँ ईमान थोड़े है। ख़िलाफ-ए-'मुल्क साजिश कर जो दुश्मन की ज़बाँ बोले, नहीं फ़ख़्र-ए-वतन उसका ये हिंदुस्तान थोड़े है। कहे भारत के टुकड़े जो वो अपना हो नहीं सकता, पढ़ा…
  continue reading
 
बचपन से खूब सुनी हैं, दादी नानी से कहानी। जादुई परियों के किस्से, और सुन्दर राजा रानी। कथा मैं उनकी सुनाता, जो देश के हैं बलिदानी। ना उनको आज भुलाओ, ज़रा याद करो कुर्बानी। आज़ाद हवा में साँसे, खुल कर हम सब ले पाये। क्यूँकि कुछ लोग थे ऐसे, जो अपनी जान लुटाये। उन सब की बात करूँ मैं, नहीं जिनका बना है सानी। ना उनको आज भुलाओ, ज़रा याद करो कुर्बानी। सन स…
  continue reading
 
दिन रात मुझे याद यूँ आया न करो तुम। हर वक़्त यूँ तड़पा के सताया न करो तुम। दिन भर तो मुझे नींद नहीं होती मयस्सर, आ ख्वाब में हर रात जगाया न करो तुम। इक वक़्त था मुस्कान हमेशा थी लबों पर, वो वक़्त मुझे याद दिलाया न करो तुम। लगता है तेरे दिल में कहीं कुछ तो बचा है, जो भी है दिल में वो छुपाया न करो तुम। इस वक़्त से बढ़कर है नहीं कुछ भी यहाँ पर, बेकार की बात…
  continue reading
 
शारदा स्तुति हरिगीतिका छंद (२८ मात्रिक १६,१२ पर यति) है हंस पर आरूढ़ माता, श्वेत वस्त्रों में सजी। वीणा रखी है कर तिहारे, दिव्य सी सरगम बजी॥ मस्तक मुकुट चमके सुशोभित, हार पुष्पों से बना। फल फ़ूल अर्पण है चरण में, हम करें आराधना॥ संगीत का आधार हो माँ, हर कला का श्रोत हो। जग में प्रकाशित हो रही जो, वेद की वह ज्योत हो॥ वरदायिनी पद्मासिनि माँ, अब यही अभि…
  continue reading
 
आओ पर्यावरण बचायें यह प्रकृति हम से नहीं, इस प्रकृति से हम हैं। प्रकृति सरंक्षण हेतु हम जितना भी करे कम है। पंच तत्व बन प्रकृति ही इस तन को निर्मित करती है। सौंदर्य सुधा की सुरभि से सबको आकर्षित करती है। जीवनदायी प्रकृति करती है सब का पालन पोषण। निज स्वार्थ में हम कर बैठे इस देवी का शोषण। भूमि हमको भोजन देती पर हम इसको विष देते। दूषित करते उन नदियो…
  continue reading
 
कुछ और नहीं सोचा कुछ और नहीं माँगा। हर वक्त तुझे चाहा कुछ और नहीं माँगा। दौलत से क्या होगा यदि दिल ही रहे खाली। बस साथ रहे तेरा कुछ और नहीं माँगा। मिलता है बड़ी किस्मत से यार यहाँ सच्चा। मिल जाये वही हीरा कुछ और नहीं माँगा। दीदार खुदा का हो यदि पाक नज़र अपनी। दिल साफ़ रहे अपना कुछ और नहीं माँगा। सब लोग बराबर हैं ना कोइ बड़ा छोटा। ना भेद रहे थोड़ा कुछ और…
  continue reading
 
न हूँ मैं मेधा, न बुद्धि ही मैं हूँ।अहंकार न हूँ न चित्त ही मैं हूँ।न नासिका में न नेत्रों में ही समाया।न जिव्हा में स्थित न कर्ण में सुनाया।न मैं गगन हूँ न ही धरा हूँ।न ही हूँ अग्नि न ही हवा हूँ।जो सर्वत्र सर्वस्व आनंद व्यापक।मैं बस शिवा हूँ उसी का संस्थापक।नहीं प्राण मैं हूँ न ही पंचवायु।नहीं पंचकोश और न ही सप्तधातु।वाणी कहाँ बांच मुझको सकी है।मे…
  continue reading
 
श्रीकृष्ण मेरे इष्ट भगवन, नित्य करता ध्यान मैं। मुरली मनोहर श्याम सुन्दर, भक्तिरस का गान मैं॥ कोमल बदन चन्दन सजा है, भव्य यह श्रृंगार है। कर में सजी वंशी सुनहरी, देखता संसार है॥ सम्पूर्ण जग में आप ही हो, आप से ही सब बना। है आप पर सर्वस्व अर्पण, आप की आराधना॥ मम मात तुम तुम तात हो तुम, बन्धु तुम ही हो सखा। प्रियतम तुझे ही मानता मैं, तुम बिना क्या है…
  continue reading
 
कौन हैं राम कैसे थे राम, कब थे राम कहाँ है राम? अक्सर ऐसे प्रश्न उठाते, लोगों को मैंने देखा है। श्रद्धा-सूर्य पर संशय-बादल, मंडराते मैंने देखा है। है उनको बस इतना बतलाना, मैंने राम को देखा है । पितृ वचन कहीं टूट ना जाये सौतेली माँ भी रूठ ना जाये राजसिंहासन को ठुकराकर परिजनों को भी बहलाकर एक क्षण में वैभव सारा छोड़ रिश्ते नातों के बंधन तोड़ कुल-देश-धर…
  continue reading
 
Loading …

त्वरित संदर्भ मार्गदर्शिका