Artwork

Vivek Agarwal द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Vivek Agarwal या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal
Player FM - पॉडकास्ट ऐप
Player FM ऐप के साथ ऑफ़लाइन जाएं!

ग़ज़ल - दिन रात मुझे याद (Ghazal - Din Raat Mujhe Yaad)

6:58
 
साझा करें
 

Manage episode 335463693 series 3337254
Vivek Agarwal द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Vivek Agarwal या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal

दिन रात मुझे याद यूँ आया न करो तुम।

हर वक़्त यूँ तड़पा के सताया न करो तुम।

दिन भर तो मुझे नींद नहीं होती मयस्सर,

आ ख्वाब में हर रात जगाया न करो तुम।

इक वक़्त था मुस्कान हमेशा थी लबों पर,

वो वक़्त मुझे याद दिलाया न करो तुम।

लगता है तेरे दिल में कहीं कुछ तो बचा है,

जो भी है दिल में वो छुपाया न करो तुम।

इस वक़्त से बढ़कर है नहीं कुछ भी यहाँ पर,

बेकार की बातों में गँवाया न करो तुम।

माना कि तेरे दिल में नहीं इश्क़ मेरा अब,

अपना जो कभी था वो पराया न करो तुम।

_____________________

लेखन - विवेक अग्रवाल 'अवि'

संगीत और सुर - रानू जैन

  continue reading

95 एपिसोडस

Artwork
iconसाझा करें
 
Manage episode 335463693 series 3337254
Vivek Agarwal द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Vivek Agarwal या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal

दिन रात मुझे याद यूँ आया न करो तुम।

हर वक़्त यूँ तड़पा के सताया न करो तुम।

दिन भर तो मुझे नींद नहीं होती मयस्सर,

आ ख्वाब में हर रात जगाया न करो तुम।

इक वक़्त था मुस्कान हमेशा थी लबों पर,

वो वक़्त मुझे याद दिलाया न करो तुम।

लगता है तेरे दिल में कहीं कुछ तो बचा है,

जो भी है दिल में वो छुपाया न करो तुम।

इस वक़्त से बढ़कर है नहीं कुछ भी यहाँ पर,

बेकार की बातों में गँवाया न करो तुम।

माना कि तेरे दिल में नहीं इश्क़ मेरा अब,

अपना जो कभी था वो पराया न करो तुम।

_____________________

लेखन - विवेक अग्रवाल 'अवि'

संगीत और सुर - रानू जैन

  continue reading

95 एपिसोडस

همه قسمت ها

×
 
Loading …

प्लेयर एफएम में आपका स्वागत है!

प्लेयर एफएम वेब को स्कैन कर रहा है उच्च गुणवत्ता वाले पॉडकास्ट आप के आनंद लेंने के लिए अभी। यह सबसे अच्छा पॉडकास्ट एप्प है और यह Android, iPhone और वेब पर काम करता है। उपकरणों में सदस्यता को सिंक करने के लिए साइनअप करें।

 

त्वरित संदर्भ मार्गदर्शिका