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ग़ज़ल - न तू ग़लत न मैं ग़लत (Ghazal - Na Tu Galat Na Mein Galat)

4:25
 
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तू आग थी मैं आब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

तू ज़िन्दगी मैं ख़्वाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

उधर भी आग थी लगी इधर भी जोश था चढ़ा,

नया नया शबाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

जो सुर्ख़ प्यार का निशाँ तिरी निगाह में रोज था,

मिरे लिये गुलाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

ख़मोश लब तिरे रहे हमेशा उस सवाल पर,

वही तिरा जवाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

ख़ुशी व ग़म का बाँटना मिरे लिए वो प्यार था,

तिरे लिए हिसाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

दिलों में गाँठ क्यूँ पड़ी ये आज तक नहीं पता,

वो वक़्त ही ख़राब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

अलग अलग है रास्ता अलग अलग हैं मंज़िलें,

कोई न हम-रिकाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

शाइर - विवेक अग्रवाल 'अवि'

सुर और संगीत - रणधीर सिंह

--- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/vivek-agarwal70/message
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तू आग थी मैं आब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

तू ज़िन्दगी मैं ख़्वाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

उधर भी आग थी लगी इधर भी जोश था चढ़ा,

नया नया शबाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

जो सुर्ख़ प्यार का निशाँ तिरी निगाह में रोज था,

मिरे लिये गुलाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

ख़मोश लब तिरे रहे हमेशा उस सवाल पर,

वही तिरा जवाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

ख़ुशी व ग़म का बाँटना मिरे लिए वो प्यार था,

तिरे लिए हिसाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

दिलों में गाँठ क्यूँ पड़ी ये आज तक नहीं पता,

वो वक़्त ही ख़राब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

अलग अलग है रास्ता अलग अलग हैं मंज़िलें,

कोई न हम-रिकाब था न तू ग़लत न मैं ग़लत।

शाइर - विवेक अग्रवाल 'अवि'

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