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हिंदी (Hindi)

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बड़ी पुत्री है संस्कृत की सरल भाषा तथा बोली।

निरंतर सीखती रहती सभी से बन के हमजोली॥

अनेकों रूप लेकर भी बड़ी मीठी है अलबेली।

भले अवधी या ब्रजभाषा खड़ी बोली या बुन्देली॥

ये जयशंकर महादेवी निराला जी की कविता है।

मधुर मोहक सरस सुन्दर चपल चंचल सी सरिता है॥

..

..

हमें सर्वोच्च दुनिया में अगर भारत बनाना है।

तो सोतों को जगाना है व हिंदी को बढ़ाना है॥

चलो हिंदी दिवस पर सब प्रतिज्ञा आज करते हैं।

कि भारत देश उपवन में छटा हिंदी की भरते हैं॥

Full Poem is available for listening

You may write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com

#Hindi #HindiDiwas #WorldHindiDay #VishvHindiDiwas

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निरंतर सीखती रहती सभी से बन के हमजोली॥

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भले अवधी या ब्रजभाषा खड़ी बोली या बुन्देली॥

ये जयशंकर महादेवी निराला जी की कविता है।

मधुर मोहक सरस सुन्दर चपल चंचल सी सरिता है॥

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हमें सर्वोच्च दुनिया में अगर भारत बनाना है।

तो सोतों को जगाना है व हिंदी को बढ़ाना है॥

चलो हिंदी दिवस पर सब प्रतिज्ञा आज करते हैं।

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