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ग़ज़ल - नहीं फ़ख़्र-ए-वतन उसका ये हिंदुस्तान थोड़े है (Ghazal)

5:52
 
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ग़ज़ल - नहीं फ़ख़्र-ए-वतन उसका ये हिंदुस्तान थोड़े है

लुटाते जान सैनिक ही हमारी जान थोड़े है।

बचाते अजनबी को भी कोई पहचान थोड़े है।

नहीं अहसान मानो तो समझ इक बार हम जायें,

मगर मारो जो तुम पत्थर वहाँ ईमान थोड़े है।

ख़िलाफ-ए-'मुल्क साजिश कर जो दुश्मन की ज़बाँ बोले,

नहीं फ़ख़्र-ए-वतन उसका ये हिंदुस्तान थोड़े है।

कहे भारत के टुकड़े जो वो अपना हो नहीं सकता,

पढ़ा है तीस सालों तक अभी नादान थोड़े है।

चलो मिल कर बनाते हैं वतन खुशहाल ये अपना,

सभी का घर यहाँ पर है कोई मेहमान थोड़े है।

बढे ताकत बने अव्वल हमारा मुल्क दुनिया में,

सभी की है यही मंजिल फ़क़त अरमान थोड़े है।

Lyrics - Vivek Agarwal

Music & Singer - Ranu Jain

--- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/vivek-agarwal70/message

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लुटाते जान सैनिक ही हमारी जान थोड़े है।

बचाते अजनबी को भी कोई पहचान थोड़े है।

नहीं अहसान मानो तो समझ इक बार हम जायें,

मगर मारो जो तुम पत्थर वहाँ ईमान थोड़े है।

ख़िलाफ-ए-'मुल्क साजिश कर जो दुश्मन की ज़बाँ बोले,

नहीं फ़ख़्र-ए-वतन उसका ये हिंदुस्तान थोड़े है।

कहे भारत के टुकड़े जो वो अपना हो नहीं सकता,

पढ़ा है तीस सालों तक अभी नादान थोड़े है।

चलो मिल कर बनाते हैं वतन खुशहाल ये अपना,

सभी का घर यहाँ पर है कोई मेहमान थोड़े है।

बढे ताकत बने अव्वल हमारा मुल्क दुनिया में,

सभी की है यही मंजिल फ़क़त अरमान थोड़े है।

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