Basant Aaya | Kedarnath Aggarwal
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बसंत आया | केदारनाथ अग्रवाल
बसंत आया :
पलास के बूढ़े वृक्षों ने
टेसू की लाल मौर सिर पर धर ली!
विकराल वनखंडी
लजवंती दुलहिन बन गई,
फूलों के आभूषण पहन आकर्षक बन गई।
अनंग के
धनु-गुण के भौरे गुनगुनाने लगे,
समीर की तितिलियों के पंख गुदगुदाने लगे।
आम के अंग
बौरों की सुगंध से महक उठे,
मंगल-गान के सब गायक पखेरू चहक उठे।
विकराल : भयंकर, भयानक
वनखंडी: वन का एक छोटा भाग या हिस्सा
समीर: मंद हवा, हल्की हवा
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