कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Collection of poems, stories and much more!!!
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This is my first podcast, please have fun listening and give feedback :)
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BHARATVAANI...KAVITA SINGS INDIA I Sing.. I Write.. I Chant.. I Recite.. I'm here to Tell Tales of my glorious motherland INDIA, Tales of our rich cultural, spiritual heritage, ancient Vedic history, literature and epic poetry. My podcasts will include Bharat Bharti by Maithilisharan Gupta, Rashmirathi and Parashuram ki Prateeksha by Ramdhari Singh Dinkar, Kamayani by Jaishankar Prasad, Madhushala by Harivanshrai Bachchan, Ramcharitmanas by Tulsidas, Radheshyam Ramayan, Valmiki Ramayan, Soun ...
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इतिहासकारों रचनाकारों के विचारों से ओतप्रोत होने के लिए मुझसे जुड़े रहिए।
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आओ जज़्बातों को लफ्ज़ देने की कोशिश करें MANKAHI ALSO AVAILABLE ON YOU TUBE KINDLY SUBSCRIBE https://youtube.com/c/MANKAHIGURTEJSINGHOFFICIAL
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यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दोस्ती कर सकें। एक हिन्दी कविता और कुछ विचार, हर दूसरे शनिवार... Listening to birds, butterflies, clouds, rivers, mountains, trees, and jungles - through poetry that helps us connect back to nature, both outside and within. A Hindi poem and some reflections, every alternate Saturday...
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HINDI KAVITA, STORY, POEM, JOKES
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Are you fascinated by the stories and mythology of ancient India? Do you want to learn more about the epic tale of Ramayana and its relevance to modern-day life? Then you should check out Ramayan Aaj Ke Liye, the ultimate podcast on Indian mythology and culture. Hosted by Kavita Paudwal, this podcast offers a deep dive into the world of Ramayana and its characters, themes, and teachings.
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It's hindi poem(kavita). Title - Haari nahi hun.
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This podcast presents Hindi poetry, Ghazals, songs, and Bhajans written by me. इस पॉडकास्ट के माध्यम से मैं स्वरचित कवितायेँ, ग़ज़ल, गीत, भजन इत्यादि प्रस्तुत कर रहा हूँ Awards StoryMirror - Narrator of the year 2022, Author of the month (seven times during 2021-22) Kalam Ke Jadugar - Three Times Poet of the Month. Sometimes I also collaborate with other musicians & singers to bring fresh content to my listeners. Always looking for fresh voices. Write to me at HindiPoemsByVivek@gmail.com #Hind ...
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ये है नई धारा संवाद पॉडकास्ट। ये श्रृंखला नई धारा की वीडियो साक्षात्कार श्रृंखला का ऑडियो वर्जन है। इस पॉडकास्ट में हम मिलेंगे हिंदी साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध रचनाकारों से। सीजन 1 में हमारे सूत्रधार होंगे वरुण ग्रोवर, हिमांशु बाजपेयी और मनमीत नारंग और हमारे अतिथि होंगे डॉ प्रेम जनमेजय, राजेश जोशी, डॉ देवशंकर नवीन, डॉ श्यौराज सिंह 'बेचैन', मृणाल पाण्डे, उषा किरण खान, मधुसूदन आनन्द, चित्रा मुद्गल, डॉ अशोक चक्रधर तथा शिवमूर्ति। सुनिए संवाद पॉडकास्ट, हर दूसरे बुधवार। Welcome to Nayi Dhara Samvaa ...
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आप सब को नमस्कार, मेरा नाम कविता खत्री है । मैं पहाड़ों की रहने वाली हूं तो मैंने सोचा क्यों न पहाड़ों के बारे में कहानियों की श्रृंखला शुरू की जाए । इसलिए मैं आप सब के बीच में लेके आ रही हू एक पहाड़ी लड़की । एक पहाड़ी लड़की पॉडकास्ट में आपको पहाड़ों से जुड़े किस्से, कहानी और कविताएं सुनने को मिलेंगी । कैसी कहानी और कविताएं आप सुनने वाले है उसके लिए आपको एक पहाड़ी लड़की का ट्रेलर सुनना होगा । इस पॉडकास्ट में आपको हर हफ्ते एक कविता और कहानी सुनने को मिलेगी । चलिए मिलते है "एक पहाड़ी लड़की" पर ...
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This is all about my compositions recited by me.
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Stories
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कक्षा नौ व दस की पठन सामग्री
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Listening Platform with Shashi Bhooshan: Hamari Aavaaz शशिभूषण के साथ सुनने का साझा मंच: हमारी आवाज़
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Kisse Kahani Meri Zubaani Listen to some of my creations in my voice, straight from the heart. Loads of poems & stories and kisse kahani too. Mere shabdo ka Khayal se awaaz tak ka safar... Shabdo aur samvaad se sabse judne ka naata...
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Hi ! I am Kumar Abhishek, your host and friend on Anchor FM Podcast, who brings you "Heart to Heart Talk" which has some interesting tidbits for you to listen to, I share some poems, songs, interviews and inspiring stories. I keep doing You. नमस्ते ! मैं कुमार अभिषेक, आपका मेजबान और एंकर एफएम पॉडकास्ट पर दोस्त हूं, जो आपके लिए "हार्ट टू हार्ट टॉक" लेकर आया है, जिसमें कुछ दिलचस्प बातें हैं, कि आप इसे सुनें, मैं कुछ कविताओं, गीतों, साक्षात्कारों और प्रेरक कहानियों को साझा करता रहता हूं। Suppor ...
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ओंठ | अशोक वाजपेयी तराशने में लगा होगा एक जन्मांतर पर अभी-अभी उगी पत्तियों की तरह ताज़े हैं। उन पर आयु की झीनी ओस हमेशा नम है उसी रास्ते आती है हँसी मुस्कुराहट वहीं खिलते हैं शब्द बिना कविता बने वहीं पर छाप खिलती है दूसरे ओठों की वह गुनगुनाती है समय की अँधेरी कंदरा में बैठा कालदेवता सुनता है वह हंसती है। बर्फ़ में ढँकी वनराशि सुगबुगाती है वह चूमती ह…
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Saundarya Ka Aashcharyalok | Savita Singh
2:29
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सौंदर्य का आश्चर्यलोक | सविता सिंह बचपन में घंटों माँ को निहारा करती थी मुझे वह बेहद सुंदर लगती थी उसके हाथ कोमल गुलाबी फूलों की तरह थे पाँव ख़रगोश के पाँव जैसे उसकी आँखें सदा सपनों से सराबोर दिखतीं उसके लंबे काले बाल हर पल उलझाए रखते मुझे याद है सबसे ज़्यादा मैं उसके बालों से ही खेला करती थी उसे गूँथती फिर खोलती थी जब माँ नहा-धोकर तैयार होती साड़ी …
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संकट | मदन कश्यप अक्सर ताला उसकी ज़ुबान पर लगा होता है जो बहुत ज़्यादा सोचता है जो बहुत बोलता है उसके दिमाग पर ताला लगा होता है संकट तब बढ़ जाता है जब चुप्पा आदमी इतना चुप हो जाए कि सोचना छोड़ दे और बोलने वाला ऐसा शोर मचाये कि उसकी भाषा से विचार ही नहीं, शब्द भी गुम हो जाएँ!द्वारा Nayi Dhara Radio
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हम नदी के साथ-साथ | अज्ञेय हम नदी के साथ-साथ सागर की ओर गए पर नदी सागर में मिली हम छोर रहे: नारियल के खड़े तने हमें लहरों से अलगाते रहे बालू के ढूहों से जहाँ-तहाँ चिपटे रंग-बिरंग तृण-फूल-शूल हमारा मन उलझाते रहे नदी की नाव न जाने कब खुल गई नदी ही सागर में घुल गई हमारी ही गाँठ न खुली दीठ न धुली हम फिर, लौट कर फिर गली-गली अपनी पुरानी अस्ति की टोह में …
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सूई | रामदरश मिश्रा अभी-अभी लौटी हूँ अपनी जगह पर परिवार के एक पाँव में चुभा हुआ काँटा निकालकर फिर खोंस दी गयी हूँ धागे की रील में जहाँ पड़ी रहूंगी चुपचाप परिवार की हलचलों में अस्तित्वहीन-सी अदृश्य एकाएक याद आएगी नव गृहिणी को मेरी जब ऑफिस जाता उसका पति झल्लाएगा- अरे, कमीज़ का बटन टूटा हुआ है" गृहिणी हँसती हुई आएगी रसोईघर से और मुझे लेकर बटन टाँकने ल…
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Daraar mein Ugaa Peepal | Arvind Awasthi
1:38
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दरार में उगा पीपल | अरविन्द अवस्थी ज़मीन से बीस फीट ऊपर किले की दीवार की दरार में उगा पीपल महत्वकांक्षा की डोर पकड़ लगा है कोशिश में ऊपर और ऊपर जाने की जीने के लिए खींच ले रहा है हवा से नमी सूरज से रोशनी अपने हिस्से की पत्तियाँ लहराकर दे रहा है सबूत अपने होने काद्वारा Nayi Dhara Radio
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Kya Karun Kora Hi Chhor Jaun Kaagaz? | Anup Sethi
2:09
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क्या करूँ कोरा ही छोड़ जाऊँ काग़ज़? | अनूप सेठी क से लिखता हूँ कव्वा कर्कश क से कपोत छूट जाता है पंख फड़फड़ाता हुआ लिखना चाहता हूँ कला कल बनकर उत्पादन करने लगती है लिखता हूँ कर्मठ पढ़ा जाता है कायर डर जाता हूँ लिखूँगा क़ायदा अवतार लेगा उसमें से क़ातिल कैसा है यह काल कैसी काल की रचना-विरचना और कैसा मेरा काल का बोध बटी हुई रस्सी की तरह उलझते, छिटकते, टूटत…
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Itna Mat Door Raho Gandh Kahin Kho Jaye | Girija Kumar Mathur
2:55
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इतना मत दूर रहो गन्ध कहीं खो जाए | गिरिजाकुमार माथुर इतना मत दूर रहो गन्ध कहीं खो जाए आने दो आँच रोशनी न मन्द हो जाए देखा तुमको मैंने कितने जन्मों के बाद चम्पे की बदली सी धूप-छाँह आसपास घूम-सी गई दुनिया यह भी न रहा याद बह गया है वक़्त लिए मेरे सारे पलाश ले लो ये शब्द गीत भी कहीं न सो जाए आने दो आँच रोशनी न मन्द हो जाए उत्सव से तन पर सजा ललचाती मेहर…
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Mit Mit Kar Main Seekh Raha Hun | Kedarnath Agarwal
2:05
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मिट मिट कर मैं सीख रहा हूँ | केदारनाथ अग्रवाल दूर कटा कवि मैं जनता का, कच-कच करता कचर रहा हूँ अपनी माटी; मिट-मिट कर मैं सीख रहा हूँ प्रतिपल जीने की परिपाटी कानूनी करतब से मारा जितना जीता उतना हारा न्याय-नेह सब समय खा गया भीतर बाहर धुआँ छा गया धन भी पैदा नहीं कर सका पेट-खलीसा नहीं भर सका लूट खसोट जहाँ होती है मेरी ताव वहाँ खोटी है मिली कचहरी इज़्ज़त थ…
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Isliye To Tum Pahad Ho | Rajesh Joshi
5:02
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इसीलिए तो तुम पहाड़ हो | राजेश जोशी शिवालिक की पहाड़ियों पर चढ़ते हुए हाँफ जाता हूँ साँस के सन्तुलित होने तक पौड़ियों पर कई-कई बार रुकता हूँ आने को तो मैं भी आया हूँ यहाँ एक पहाड़ी गाँव से विंध्याचल की पहाड़ियों से घिरा है जो चारों ओर से मेरा बचपन भी गुज़रा है पहाड़ियों को धाँगते अवान्तर दिशाओं की पसलियों को टटोलते और पहाड़ी के छोर से उगती यज्ञ-अश्…
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Humare Sheher Ki Streeyan | Anup Sethi
3:09
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हमारे शहर की स्त्रियाँ | अनूप सेठी एक साथ कई स्त्रियाँ बस में चढ़ती हैं एक हाथ से संतुलन बनाए एक हाथ में रुपए का सिक्का थामे बिना धक्का खाए काम पर पहुँचना है उन्हें दिन भर जुटे रहना है उन्हें टाइप मशीन पर, फ़ाइलों में साढ़े तीन पर रंजना सावंत ज़रा विचलित होंगी दफ़्तर से तीस मील दूर सात साल का अशोक सावंत स्कूल से लौट रहा है गर्मी से लाल हुआ पड़ोसिन से चाब…
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अंधेरे का स्वप्न | प्रियंका मैं उस ओर जाना चाहती हूँ जिधर हो नीम अँधेरा ! अंधेरे में बैठा जा सकता है थोड़ी देर सुकून से और बातें की जा सकती हैं ख़ुद से थोड़ी देर ही सही जिया जा सकता है स्वयं को ! अंधेरे में लिखी जा सकती है कविता हरे भरे पेड़ की फूलों से भरे बाग़ीचे की ओर उड़ती हुई तितलियों की अंधेरे में देखा जा सकता है सपना तुम्हारे साथ होने का तुम…
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Itna To Zindagi Main Kisi Ki Khalal Pade | Kaifi Azmi
2:04
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इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े | कैफ़ी आज़मी इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े हँसने से हो सुकून ना रोने से कल पड़े जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के अश्क-ए-ग़म यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े एक तुम के तुम को फ़िक्र-ए-नशेब-ओ-फ़राज़ है एक हम के चल पड़े तो बहरहाल चल पड़े मुद्दत के बाद उस ने जो की लुत्फ़ की निगाह जी ख़ुश तो हो गया मगर आ…
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इतिहास | नरेश सक्सेना बरत पर फेंक दी गई चीज़ें, ख़ाली डिब्बे, शीशियाँ और रैपर ज़्यादातर तो बीन ले जाते हैं बच्चे, बाकी बची, शायद कुछ देर रहती हो शोकमग्न लेकिन देखते-देखते आपस में घुलने मिलने लगती हैं। मनाती हुई मुक्ति का समारोह। बारिश और ओस और धूप और धूल में मगन उड़ने लगती हैं उनकी इबारतें मिटने लगते हैं मूल्य और निर्माण की तिथियाँ छपी हुई चेतावनियाँ…
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जो युवा था | श्रीकांत वर्मा लौटकर सब आएँगे सिर्फ़ वह नहीं जो युवा था— युवावस्था लौटकर नहीं आती। अगर आया भी तो वह नहीं होगा। पके बाल, झुर्रियाँ, ज़रा, थकान वह बूढ़ा हो चुका होगा। रास्ते में आदमी का बूढ़ा हो जाना स्वाभाविक है— रास्ता सुगम हो या दुर्गम कोई क्यों चाहेगा बूढ़ा कहलाना? कोई क्यों अपने पके बाल गिनेगा? कोई क्यों चेहरे की सलें देख चाहेगा चौं…
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यदि प्रेम है मुझसे | अजय जुगरान यदि प्रेम है मुझसे तो मेरी घृणा का विरोध करना फिर वो चाहे किसी भी व्यक्ति किसी नस्ल से हो, यदि प्रेम है मुझसे तो मेरे क्रोध का विरोध करना फिर वो चाहे मेरे स्वयं या किसी और के प्रति हो, यदि प्रेम है मुझसे तो मेरी हिंसा का विरोध करना फिर वो चाहे किसी पशु किसी पेड़ के विरुद्ध हो, यदि प्रेम है मुझसे तो मेरी उपेक्षा का वि…
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वह माँ है | दामोदर खड़से दुःख जोड़ता है माँ के अहसासों में... माँ की अँगुलियों में होती है दवाइयों की फैक्ट्री! माँ की आँखों में होती हैं अग्निशामक दल की दमकलें माँ के सान्निध्य में होती है झील हर प्यास के लिए। स्वर्ग की कल्पना है माँ, माँ स्वर्ग होती है... समय की बेवफाई दुनिया के खिंचाव आकाश की ढलान सपनों के खौफ यात्राओं की भूख और सूरज के होते हुए …
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एक पल ही सही | नंदकिशोर आचार्य कभी निकाल बाहर करूँगा मैं समय को हमारे बीच से अरे, कभी तो जीने दो थोड़ा हम को भी अपने में ठेलता ही रहता है जब देखो जाने कहाँ फिर चाहे शिकायत कर दे वह उस ईश्वर को देखता जो आँखों से उसकी उसी के कानों से सुनता दे दे वह भी सज़ा जो चाहे एक पल ही सही जी तो लेंगे हम थोड़ा एक-दूसरे में समय के- और उस पर निर्भर ईश्वर के- बिना दे…
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दिनचर्या | श्रीकांत वर्मा एक अदृश्य टाइपराइटर पर साफ़, सुथरे काग़ज़-सा चढ़ता हुआ दिन, तेज़ी से छपते मकान, घर, मनुष्य और पूँछ हिला गली से बाहर आता कोई कुत्ता। एक टाइपराइटर पृथ्वी पर रोज़-रोज़ छापता है दिल्ली, बंबई, कलकत्ता। कहीं पर एक पेड़ अकस्मात छप करता है सारा दिन स्याही में न घुलने का तप। कहीं पर एक स्त्री अकस्मात उभर करती है प्रार्थना हे ईश्वर!…
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Kaurav Kaun, Kaun Pandav | Atal Bihari Vajpayee
1:55
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कौरव कौन, कौन पांडव | अटल बिहारी वाजपेयी कौरव कौन कौन पांडव, टेढ़ा सवाल है। दोनों ओर शकुनि का फैला कूटजाल है। धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुए की लत है। हर पंचायत में पांचाली अपमानित है। बिना कृष्ण के आज महाभारत होना है, कोई राजा बने, रंक को तो रोना है।द्वारा Nayi Dhara Radio
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बचपन | विनय कुमार सिंह चाय के कप के दाग दिखाई दे रहे थे और फिर गुस्से से दी गई गाली के अक्स उस छोटे बच्चे के चेहरे पर देर तक दिखाई देते रहे जो अपने कमज़ोर हाथों से निर्विकार भाव से उन्हें चुपचाप धुल रहा था ।द्वारा Nayi Dhara Radio
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नदी | केदारनाथ सिंह अगर धीरे चलो वह तुम्हें छू लेगी दौड़ो तो छूट जाएगी नदी अगर ले लो साथ तो बीहड़ रास्तों में भी वह चलती चली जाएगी तुम्हारी उँगली पकड़कर अगर छोड़ दो तो वहीं अँधेरे में करोड़ों तारों की आँख बचाकर वह चुपके से रच लेगी एक समूची दुनिया एक छोटे-से घोंघे में सच्चाई यह है कि तुम कहीं भी रहो तुम्हें वर्ष के सबसे कठिन दिनों में भी प्यार करती …
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Mere Bheetar Ki Koel | Sarveshwar Dayal Saxena
2:23
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मेरे भीतर की कोयल | सर्वेश्वरदयाल सक्सेना मेरे भीतर कहीं एक कोयल पागल हो गई है। सुबह, दुपहर, शाम, रात बस कूदती ही रहती है हर क्षण किन्हीं पत्तियों में छिपी थकती नहीं। मैं क्या करूँ? उसकी यह कुहू-कुहू सुनते-सुनते मैं घबरा गया हूँ। कहाँ से लाऊँ एक घनी फलों से लदी अमराई? कुछ बूढ़े पेड़ पत्तियाँ सँभाले खड़े हैं यही क्या कम है! मैं जानता हूँ वह अकेली है…
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Meri Deh Main Paon Sahi Salamat Hain | Shahanshah Alam
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मेरी देह में पाँव सही-सलामत हैं | शहंशाह आलम यह उदासी का बीमारी का मारकाट का समय है तब भी इस उदासी को इस बीमारी को हराता हूँ मैं देखता हूँ इतनी मारकाट के बाद भी मेरी देह में मेरे पाँव सही-सलामत हैं मैं लौट आ सकता हूँ घाट किनारे से गंगा में बह रहीं लाशों का मातम करके मेरे दोनों हाथ साबुत हैं अब भी छू आ सकता हूँ उसके गाल को दे सकता हूँ बूढ़े आदमी का …
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घूस माहात्म्य | काका हाथरसी कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी कहँ 'काका', क्या नाम पायेगा ऐसा बंदा जिसने किसी संस्था का, न पचाया चंदाद्वारा Nayi Dhara Radio
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दाँत | नीलेश रघुवंशी गिरने वाले हैं सारे दूधिया दाँत एक-एक कर टूटकर ये दाँत जायेंगे कहाँ ? छत पर जाकर फेंकूँ या गड़ा दूँ ज़मीन में छत से फैंकूँगा चुरायेगा आसमान बनायेगा तारे बनकर तारे चिढ़ायेंगे दूर से डालूँ चूहे के बिल में आयेंगे लौटकर सुंदर और चमकीले चिढ़ायेंगे बच्चे 'चूहे से दाँत’ कहकर खपरैल पर गये तो आयेंगे कवेल की तरह या उड़ाकर ले जायेगी चिड़ि…
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गुम है ख़ुद | नंदकिशोर आचार्य ऐसी भी होती होगी खोज न कोई खोजी है जिसमें न कोई लक्ष्य तलाश ख़ुद की तलाश में अनवरत है गुम और मैं -जिसे खोजी कहते हैं सब- गुम हूँ उस खोज में जो कहीं खो कर मुझे गुम है ख़ुद।द्वारा Nayi Dhara Radio
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अपनी महफ़िल | कन्हैया लाल नंदन अपनी महफ़िल से ऐसे न टालो मुझे मैं तुम्हारा हूँ, तुम तो सँभालो मुझे ज़िंदगी! सब तुम्हारे भरम जी लिए हो सके तो भरम से निकालो मुझे मोतियों के सिवा कुछ नहीं पाओगे जितना जी चाहे उतना खँगालो मुझे मैं तो एहसास की एक कंदील हूँ जब भी चाहो बुझा लो, जला लो मुझे जिस्म तो ख़्वाब है, कल को मिट जाएगा रूह कहने लगी है, बचा लो मुझे फू…
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Baad Ki Sambhavnayein Saamne Hain | Dushyant Kumar
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बाद में चलाएं
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बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं / दुष्यंत कुमार बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं, और नदियों के किनारे घर बने हैं । चीड़-वन में आँधियों की बात मत कर, इन दरख्तों के बहुत नाज़ुक तने हैं । इस तरह टूटे हुए चेहरे नहीं हैं, जिस तरह टूटे हुए ये आइने हैं। आपके क़ालीन देखेंगे किसी दिन, इस समय तो पाँव कीचड़ में सने हैं । जिस तरह चाहो बजाओ इस सभा में, हम नहीं हैं आदमी,…
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सुनो बिटिया... | सुमन केशरी सुनो बिटिया मैं उड़ती हूँ खिड़की के पार चिड़िया बन तुम देखना खिलखिलाती ताली बजाती उस उजास को जिसमें चिड़िया के पर सतरंगी हो जाएँ ठीक कहानियों की दुनिया की तरह तुम सुनती रहना कहानी देखना चिड़िया का उड़ना आकाश में हाथों को हवा में फैलाना सीखना और पंजों को उचकाना इसी तरह तुम देखा करना इक चिड़िया का बनना सुनो बिटिया मैं उड़त…
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Prem Main Kia Gaya Apradh | Rupam Mishra
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बाद में चलाएं
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प्रेम में किया गया अपराध | रूपम मिश्र प्रेम में किया गया अपराध भी अपराध ही होता है दोस्त पर किसी विधि की किताब में उसका दंड निर्धारण नहीं हुआ तुम सुन्दर हो! ये वाक्य स्त्री के साथ हुआ पहला छल था और मैं तुमसे प्रेम करता हूँ आखिरी अपराध उसके बाद किसी और अपराध की जरूरत नहीं पड़ी कभी गैरजरूरी लगने लगे प्रेम या खुद को जाया करने की कीमत मॉगने लगे आत्मा त…
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Kadam Milakar Chalna Hoga | Atal Bihari Vajpayee
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बाद में चलाएं
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क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा। हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं …
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Kewal Main Nahi Hun | Ramdarash Mishra
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बाद में चलाएं
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केवल मैं नहीं हूँ | रामदरश मिश्र तुम्हारे लिए लाता रहा रंग-बिरंगे उपहार लैंडस्केप रेडियो टी.वी. वीडियो-गेम्स फ्रीज तरह-तरह के फर्नीचर और न जाने कितने-कितने उपकरण साज-सज्जा के जब देखा कि मेरा कमरा एकदम भर गया है इनसे तो मैं कितना ख़ुश हुआ था ओ मेरे सुख! अब सोचता हूँ- सभी कुछ तो है इस कमरे में केवल मैं नहीं हूँ।…
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चम्बा की धूप | कुमार विकल ठहरो भाई, धूप अभी आयेगी इतने आतुर क्यों हो आख़िर यह चम्बा की धूप है एक पहाड़ी गाय आराम से आयेगी यहीं कहीं चौग़ान में घास चरेगी गद्दी महिलाओं के संग सुस्तायेगी किलकारी भरते बच्चों के संग खेलेगी रावी के पानी में तिर जायेगी और खेल कूद के बाद यह सूरज की भूखी बिटिया आटे के पेड़े लेने को हर घर का चूल्हा -चौखट चूमेगी और अचानक थकक…
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भीगना | प्रशांत पुरोहित जब सड़क इतनी भीगी है तो मिट्टी कितनी गीली होगी, जब बाप की आँखें नम हैं, तो ममता कितनी सीली होगी। जेब-जेब ढूँढ़ रहा हूँ माचिस की ख़ाली डिब्बी लेकर, किसी के पास तो एक अदद बिल्कुल सूखी तीली होगी। कोई चाहे ऊपर से बाँटे या फिर नीचे से शुरू करे, बीच वाला फ़क़त हूँ मैं, जेब मेरी ही ढीली होगी। ना रहने को ना कहने को, मैं कभी सड़क पर …
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जीवन | अज्ञेय चाबुक खाए भागा जाता सागर-तीरे मुँह लटकाए मानो धरे लकीर जमे खारे झागों की— रिरियाता कुत्ता यह पूँछ लड़खड़ाती टांगों के बीच दबाए। कटा हुआ जाने-पहचाने सब कुछ से इस सूखी तपती रेती के विस्तार से, और अजाने-अनपहचाने सब से दुर्गम, निर्मम, अन्तहीन उस ठण्डे पारावार से!द्वारा Nayi Dhara Radio
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वापसी | अशोक वाजपेयी जब हम वापस आएँगे तो पहचाने न जाएँगे- हो सकता है हम लौटें पक्षी की तरह और तुम्हारी बगिया के किसी नीम पर बसेरा करें फिर जब तुम्हारे बरामदे के पंखे के ऊपर घोसला बनाएँ तो तुम्हीं हमें बार-बार बरजो ! या फिर थोड़ी-सी बारिश के बाद तुम्हारे घर के सामने छा गई हरियाली की तरह वापस आएँ हम जिससे राहत और सुख मिलेगा तुम्हें पर तुम जान नहीं पा…
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Gaon Gaya Tha Main | Vishwanath Prasad Tiwari
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गाँव गया था मैं | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी गाँव गया था मैं मेरे सामने कल्हारे हुए चने-सा आया गाँव अफसर नहीं था मैं न राजधानी का जबड़ा मुझे स्वाद नहीं मिला युवतियों के खुले उरोजों और विवश होंठों में अँधेरे में ढिबरी- सा टिंमटिमा रहा था गाँव उड़े हुए रंग-सा पुँछे हुए सिंदूर-सा सूखे कुएँ-सा जली हुई रोटी - सा हँड़िया में खदबदाते कोदौ के दाने-सा गाँव बतिय…
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Zindagi Se Yehi Gila Hai Mujhe | Ahmed Faraz
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ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे | फ़राज़ ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे हमसफ़र चाहिये हुजूम नहीं इक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल हार जाने का हौसला है मुझे लब कुशां हूं तो इस यकीन के साथ कत्ल होने का हौसला है मुझे दिल धड़कता नहीं सुलगता है वो जो ख़्वाहिश थी, आबला है मुझे कौन जाने कि चाहतों में फ़राज़ …
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पुकार | केदारनाथ अग्रवाल ऐ इन्सानों! आँधी के झूले पर झूलो आग बबूला बन कर फूलो कुरबानी करने को झूमो लाल सवेरे का मूँह चूमो ऐ इन्सानों ओस न चाटो अपने हाथों पर्वत काटो पथ की नदियाँ खींच निकालो जीवन पीकर प्यास बुझालो रोटी तुमको राम न देगा वेद तुम्हारा काम न देगा जो रोटी का युद्ध करेगा वह रोटी को आप वरेगा!…
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वो पेड़ | शशिप्रभा तिवारी तुमने घर के आंगन में आम के गाछ को रोपा था तुम उसी के नीचे बैठ कर समय गुज़ारते थे उसकी छांव में लोगों के सुख दुख सुनते थे उस पेड़ के डाल के पत्ते उसके मंजर उसके टिकोरे उसके कच्चे पक्के फल सभी तुमसे बतियाते थे जब तुम्हारा मन होता अपने हाथ से उठाकर किसी के हाथ में आम रखते कहते इसका स्वाद अनूठा है वह पेड़ किसी को भाता था किसी क…
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Dua Sab Karte Aaye Hain | Firaaq Gorakhpuri
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दुआ सब करते आए हैं | फ़िराक़ गोरखपुरी दुआ सब करते आए हैं दुआ से कुछ हुआ भी हो दुखी दुनिया में बन्दे अनगिनत कोई ख़ुदा भी हो कहाँ वो ख़ल्वतें दिन रात की और अब ये आलम है। कि जब मिलते हैं दिल कहता है कोई तीसरा भी हो ये कहते हैं कि रहते हो तुम्हीं हर दिल में दुख बन कर ये सुनते हैं तुम्हीं दुनिया में हर दुख की दवा भी हो तो फिर क्या इश्क़ दुनिया में कहीं का…
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प्यार में चिड़िया | कुलदीप कुमार एक चिड़िया अपने नन्हे पंखों में भरना चाहती है आसमान वह प्यार करती है आसमान से नहीं अपने पंखों से एक दिन उसके पंख झड़ जायेंगे और वह प्यार करना भूल जायेगी भूल जायेगी वह अन्धड़ में घोंसले को बचाने के जतन बच्चों को उड़ना सिखाने की कोशिशें याद रहेगा सिर्फ़ पंखों के साथ झड़ा आसमान…
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Koi Hans Raha Hai Koi Ro Raha Hai | Akbar Allahabadi
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कोई हँस रहा है कोई रो रहा है | अकबर इलाहाबादी कोई हँस रहा है कोई रो रहा है कोई पा रहा है कोई खो रहा है कोई ताक में है किसी को है गफ़लत कोई जागता है कोई सो रहा है कहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराई कोई बीज उम्मीद के बो रहा है इसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर' यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा हैद्वारा Nayi Dhara Radio
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Ladki Ne Darna Chhor Diya | Sheoraj Singh 'Bechain'
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लड़की ने डरना छोड़ दिया | डॉ श्यौराज सिंह बेचैन लड़की ने डरना छोड़ दिया अक्षर के जादू ने उस पर असर बड़ा बेजोड़ किया, चुप्पा रहना छोड़ दिया, लड़की ने डरना छोड़ दिया। हंसकर पाना सीख लिया, रोना-पछताना छोड़ दिया। बाप को बोझ नहीं होगी वह, नहीं पराया धन होगी लड़के से क्यों- कम होगी, वो उपयोगी जीवन होगी। निर्भरता को छोड़ेगी, जेहनी जड़ता को तोड़ेगी समता मूल्…
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दूसरे लोग | मंगलेश डबराल दूसरे लोग भी पेड़ों और बादलों से प्यार करते हैं वे भी चाहते हैं कि रात में फूल न तोड़े जाएँ उन्हें भी नहाना पसन्द है एक नदी उन्हें सुन्दर लगती है दूसरे लोग भी मानवीय साँचों में ढले हैं थके-मांदे वे शाम को घर लौटना चाहते हैं। जो तुम्हारी तरह नहीं रहते वे भी रहते हैं यहाँ अपनी तरह से यह प्राचीन नगर जिसकी महिमा का तुम बखान करत…
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विश्वास, विनय और विश्राम - Bharat Bharati 65 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
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विश्वास, विनय और विश्राम - Bharat Bharati 65 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
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वह चेहरा | कुलदीप कुमार आज फिर दिखीं वे आँखें किसी और माथे के नीचे वैसी ही गहरी काली उदास फिर कहीं दिखे वे सांवले होंठ अपनी ख़ामोशी में अकेले किन्हीं और आँखों के तले झलकी पार्श्व से वही ठोड़ी दौड़कर बस पकड़ते हुए देखे वे केश लाल बत्ती पर रुके-रुके अब कभी नहीं दिखेगा वह पूरा चेहरा?द्वारा Nayi Dhara Radio
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तुम्हारी कविता | प्रशांत पुरोहित तुम्हारी कविता में उसकी काली आँखें थीं- कालिमा किसकी- पुतली की, भँवों की, कोर की, या काजल-घुले आँसुओं की झिलमिलाती झील की? तुम्हारी ग़ज़ल में उसकी घनी ज़ुल्फ़ें थीं— ज़ुल्फ़ें कैसीं- ललाट लहरातीं, कांधे किल्लोलतीं, कमर डोलतीं, या पसीने-पगी पेशानी पे पसरतीं, बट खोलतीं? तुम्हारी नज़्म में उसकी आवाज़ थी - आवाज़ कैसी- ग…
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नदियाँ | आलोक धन्वा इछामती और मेघना महानंदा रावी और झेलम गंगा गोदावरी नर्मदा और घाघरा नाम लेते हुए भी तकलीफ़ होती है उनसे उतनी ही मुलाक़ात होती है जितनी वे रास्ते में आ जाती हैं और उस समय भी दिमाग कितना कम पास जा पाता है दिमाग तो भरा रहता है लुटेरों के बाज़ार के शोर से।द्वारा Nayi Dhara Radio
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