Artwork

Nayi Dhara Radio द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Nayi Dhara Radio या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal
Player FM - पॉडकास्ट ऐप
Player FM ऐप के साथ ऑफ़लाइन जाएं!

पृथ्वी का मंगल हो | Prithvi Ka Mangal Ho

11:40
 
साझा करें
 

Manage episode 322288938 series 2910886
Nayi Dhara Radio द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Nayi Dhara Radio या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal
करोना लॉकडाउन के दिनों में लिखी गई अशोक वाजपेयी की यह कविता, पृथ्वी और उसके बाशिंदों के लिए एक प्रार्थना तो है ही, पर साथ ही प्रकृति पर मनुष्य की गहरी निर्भरता का एक अनुस्मारक भी है। Ashok Vajpeyi's poem, written during the Covid lockdown, is not only a prayer for the Earth and all its inhabitants but is also a reminder of the extent to which humanity depends on nature. कविता / Poem – पृथ्वी का मंगल हो | Prithvi Ka Mangal Ho कवि / Poet – अशोक वाजपेयी | Ashok Vajpeyi पूरी कविता यहाँ पढ़ें / Read the full poem here - https://www.hindwi.org/kavita/ashok-vajpeyi-kavita-6 A Nayi Dhara Radio Production
  continue reading

16 एपिसोडस

Artwork
iconसाझा करें
 
Manage episode 322288938 series 2910886
Nayi Dhara Radio द्वारा प्रदान की गई सामग्री. एपिसोड, ग्राफिक्स और पॉडकास्ट विवरण सहित सभी पॉडकास्ट सामग्री Nayi Dhara Radio या उनके पॉडकास्ट प्लेटफ़ॉर्म पार्टनर द्वारा सीधे अपलोड और प्रदान की जाती है। यदि आपको लगता है कि कोई आपकी अनुमति के बिना आपके कॉपीराइट किए गए कार्य का उपयोग कर रहा है, तो आप यहां बताई गई प्रक्रिया का पालन कर सकते हैं https://hi.player.fm/legal
करोना लॉकडाउन के दिनों में लिखी गई अशोक वाजपेयी की यह कविता, पृथ्वी और उसके बाशिंदों के लिए एक प्रार्थना तो है ही, पर साथ ही प्रकृति पर मनुष्य की गहरी निर्भरता का एक अनुस्मारक भी है। Ashok Vajpeyi's poem, written during the Covid lockdown, is not only a prayer for the Earth and all its inhabitants but is also a reminder of the extent to which humanity depends on nature. कविता / Poem – पृथ्वी का मंगल हो | Prithvi Ka Mangal Ho कवि / Poet – अशोक वाजपेयी | Ashok Vajpeyi पूरी कविता यहाँ पढ़ें / Read the full poem here - https://www.hindwi.org/kavita/ashok-vajpeyi-kavita-6 A Nayi Dhara Radio Production
  continue reading

16 एपिसोडस

सभी एपिसोड

×
 
Loading …

प्लेयर एफएम में आपका स्वागत है!

प्लेयर एफएम वेब को स्कैन कर रहा है उच्च गुणवत्ता वाले पॉडकास्ट आप के आनंद लेंने के लिए अभी। यह सबसे अच्छा पॉडकास्ट एप्प है और यह Android, iPhone और वेब पर काम करता है। उपकरणों में सदस्यता को सिंक करने के लिए साइनअप करें।

 

त्वरित संदर्भ मार्गदर्शिका