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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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BHARATVANI... Kavita Sings INDIA

Kavita Sings India भारतवाणी

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साप्ताहिक
 
BHARATVAANI...KAVITA SINGS INDIA I Sing.. I Write.. I Chant.. I Recite.. I'm here to Tell Tales of my glorious motherland INDIA, Tales of our rich cultural, spiritual heritage, ancient Vedic history, literature and epic poetry. My podcasts will include Bharat Bharti by Maithilisharan Gupta, Rashmirathi and Parashuram ki Prateeksha by Ramdhari Singh Dinkar, Kamayani by Jaishankar Prasad, Madhushala by Harivanshrai Bachchan, Ramcharitmanas by Tulsidas, Radheshyam Ramayan, Valmiki Ramayan, Soun ...
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TC LITERATURE

Tanishchavan

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मासिक
 
TC literature is one of the four fundamental pillars of TC crafts. This TC crafts deals with words .. Framing of words to form a Song , scripts , stories , poems , memes and others .. Tanishchavan created this to grow himself as a writer and hone his writing skills .This TC Literature is the last and the biggest mystery box of Tanishchavan which blasts and omits world and no swords .
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Sindhi Sanskriti with Tamana and Meena : Sindhi Samaj Podcast

Audio Pitara by Channel176 Productions

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साप्ताहिक
 
एक ऐसी संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है, जो मुअन-जो-दड़ो से शुरू होती है या उससे भी पहले की हो सकती है। सिंधी भाषा प्राचीन और साहित्य की दृष्टि से समृद्ध है। सिंधी साहित्य जगत के साहित्यकारों ने सिंधी साहित्य को बहुत समृद्ध बनाया है। कोण है सिंधीयो के देवता? सिंधी साहित्य में सबसे पहला संदर्भ किस इतिहासकारों के लेखन में मिलता है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए सुनिए सिंधी संस्कृति with तमन्ना और मीणा सिर्फ ऑडियो पिटारा पर. आपको ये शो कैसा लगा? ये कमेंट करके जरू ...
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Nayidhara Ekal

Nayi Dhara Radio

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साहित्य और रंगकर्म का संगम - नई धारा एकल। इस शृंखला में अभिनय जगत के प्रसिद्ध कलाकार, अपने प्रिय हिन्दी नाटकों और उनमें निभाए गए अपने किरदारों को याद करते हुए प्रस्तुत करते हैं उनके संवाद और उन किरदारों से जुड़े कुछ किस्से। हमारे विशिष्ट अतिथि हैं - लवलीन मिश्रा, सीमा भार्गव पाहवा, सौरभ शुक्ला, राजेंद्र गुप्ता, वीरेंद्र सक्सेना, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा, विपिन शर्मा, हिमानी शिवपुरी और ज़ाकिर हुसैन।
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Chanakya Neeti (Sutra Sahit)

Audio Pitara by Channel176 Productions

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मासिक
 
This audiobook is a compilation of teachings by Chanakya, a prominent figure in ancient Indian literature. Among the numerous works of ethics literature in Sanskrit, Chanakya Neeti holds a significant place. It provides practical advice in a succinct style to lead a happy and successful life. Its main focus is to impart practical wisdom for every aspect of life. It emphasizes values like righteousness, culture, justice, peace, education, and the overall progress of human life. This book beau ...
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Khule Aasmaan Mein Kavita

Nayi Dhara Radio

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मासिक
 
यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दोस्ती कर सकें। एक हिन्दी कविता और कुछ विचार, हर दूसरे शनिवार... Listening to birds, butterflies, clouds, rivers, mountains, trees, and jungles - through poetry that helps us connect back to nature, both outside and within. A Hindi poem and some reflections, every alternate Saturday...
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आप सभी का स्वागत है! कृपया सुनें और अपना प्यार दे❤️🌻 This Show Presents Only Poetry,Stories and Many more Hindi Literature.
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"Urvashi" by Ramdhari Singh Dinkar is a celebrated epic poem in Hindi literature. It reimagines the tale of Urvashi, the celestial nymph, and her relationship with King Pururava. Dinkar's poetic brilliance and storytelling prowess breathe new life into this classic mythological narrative, exploring themes of love, desire, and the eternal quest for immortality. Visit https://krity.app/ for more books and to become a narrator. Follow us on Instagram @krity.app and stay updated with the latest ...
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Kahani Train

Nayi Dhara Radio

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मासिक
 
कहानी ट्रेन यानी बच्चों की कहानियाँ, सीधे आपके फ़ोन तक। यह पहल है आज के दौर के बच्चों को साहित्य और किस्से कहानियों से जोड़ने की। प्रथम, रेख़्ता व नई धारा की प्रस्तुति।
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Udaya Raj Sinha Ki Rachnayein Podcast

Nayi Dhara Radio

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साप्ताहिक
 
स्वागत है आपका नई धारा रेडियो की एक और पॉडकास्ट श्रृंखला में। यह श्रृंखला नई धारा के संस्थापक श्री उदय राज सिंह जी के साहित्य को समर्पित है। खड़ी बोली प्रसिद्ध गद्य लेखक राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह के पुत्र उदय राज सिंह ने अपने पिता की साहित्यिक धरोहर को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत से उपन्यास, कहानियाँ, लघुकथाएँ, नाटक आदि लिखे। सन 1950 में उदय राज सिंह जी ने नई धारा पत्रिका की स्थापना की जो आज 70+ वर्षों बाद भी साहित्य की सेवा में समर्पित है। उदयराज जी के इस जन्मशती वर्ष में हम उ ...
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shaam e shayari

Fanindra bhardwaj

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रोज
 
"sham e shayari" is a captivating podcast that takes you on a poetic journey through the rich and expressive world of Hindi literature. With each episode, Fanindra Bhardwaj, a talented poet and voice artist, skillfully weaves together words and emotions to create a truly immersive experience. In this podcast, you'll encounter a wide range of themes, from love and heartbreak to nature and spirituality. Fanindra's poetry beautifully captures the essence of these emotions, allowing listeners to ...
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Nayi Dhara Samvaad Podcast

Nayi Dhara Radio

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मासिक
 
ये है नई धारा संवाद पॉडकास्ट। ये श्रृंखला नई धारा की वीडियो साक्षात्कार श्रृंखला का ऑडियो वर्जन है। इस पॉडकास्ट में हम मिलेंगे हिंदी साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध रचनाकारों से। सीजन 1 में हमारे सूत्रधार होंगे वरुण ग्रोवर, हिमांशु बाजपेयी और मनमीत नारंग और हमारे अतिथि होंगे डॉ प्रेम जनमेजय, राजेश जोशी, डॉ देवशंकर नवीन, डॉ श्यौराज सिंह 'बेचैन', मृणाल पाण्डे, उषा किरण खान, मधुसूदन आनन्द, चित्रा मुद्गल, डॉ अशोक चक्रधर तथा शिवमूर्ति। सुनिए संवाद पॉडकास्ट, हर दूसरे बुधवार। Welcome to Nayi Dhara Samvaa ...
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तुलसीदास जी का जन्म, आज से लग-भग 490 बरस पहले, 1532 ईसवी में उत्तर प्रदेश के एक गाँव में हुआ और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम पल काशी में गुज़ारे। पैदाइश के कुछ वक़्त बाद ही तुलसीदास महाराज की वालिदा का देहांत हो गया, एक अशुभ नक्षत्र में पैदा होने की वजह से उनके पिता उन्हें अशुभ समझने लगे, तुलसीदास जी के जीवन में सैकड़ों परेशानियाँ आईं लेकिन हर परेशानी का रास्ता प्रभु श्री राम की भक्ति पर आकर खत्म हुआ। राम भक्ति की छाँव तले ही तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसी नायाब रचनाओं को ...
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Munshi Premchand known as Katha Samrat of Hindi Literature. Out of the stories and novels he has written we know a very few of famous stories & novels written by him like Godaan, Nirmala, Bade Bhaisahab, kafan, buddhi Kaaki etc. But these are not the only stories which define his writing. Out of the 300 stories written by Munshi Premchand in Hindi, still there are stories which are unheard & unread. Indipodcaster presents unheard Premchand stories 'Premchand Ki Ansuni Kahaniyan' where member ...
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Navbharat Gold from the house of BCCL (Times Group), is a first of a kind Hindi Podcast Infotainment Service in the world, offering an unmatched range and quality of content across multiple genres such as Hindi audio news, current affairs, science, audio-documentaries, sports, economy, history, spirituality, art and literature, life lessons, relationships and much more. To listen to a much wider range of such exclusive Hindi podcasts, visit us at www.navbharatgold.com
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***Winner of Best Storytelling Fiction Podcast 2022 by Hubhopper*** Kahani Jaani Anjaani is a Hindi Stories (kahaani) podcast series narrated by theatre and voiceover artist, Piyush Agarwal. Following the mission of making sure no stories get lost he takes you to the world of Beautiful Hindi narrations & emotions. So stay tuned for new and old Hindi stories - every Friday! His weekly dramatized narrations of lesser known stories from popular authors like Premchand, Bhishm Sahani, Mannu Bhand ...
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कोर्ई आदमी मामूली नहीं होता | कुंवर नारायण अकसर मेरा सामना हो जाता इस आम सचाई से कि कोई आदमी मामूली नहीं होता कि कोई आदमी ग़ैरमामूली नहीं होता आम तौर पर, आम आदमी ग़ैर होता है इसीलिए हमारे लिए जो ग़ैर नहीं, वह हमारे लिए मामूली भी नहीं होता मामूली न होने की कोशिश दरअसल किसी के प्रति भी ग़ैर न होने की कोशिश है।…
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Shah Abdul Latif Bhittai' is the foremost poet of the Sindhi language. His poetry is of exceptional quality. He has presented Sindhi folk tales in poetic form in the "Shah Jo Risalo" through melodies. The Sindhi folk tales include Suhini Mehar, Sassui Punhoon, Leela Chanesar, Moomal Rano, Umar Marvi, Noori Jaam Tamachi, and Sorath Rai Diyach. In th…
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बाज़ार | अनामिका सुख ढूँढ़ा, गैया के पीछे बछड़े जैसा दुःख चला आया! जीवन के साथ बँधी मृत्यु चली आई! दिन के पीछे डोलती आई रात बाल खोले हुई। प्रेम के पीछे चली आई दाँत पीसती कछमछाहट! ‘बाई वन गेट वन फ़्री!' लेकिन अतिरेकों के बीच कहीं कुछ तो था जो जस का तस रह गया लिए लुकाठी हाथ- डफ़ली बजाता हुआ और मगन गाता हुआ- ‘मन लागो मेरो यार फ़क़ीरी में!…
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माँ - दामोदर खड़से नदी सदियों से बह रही है इसका संगीत पीढ़ियों को लुभा रहा है आकांक्षाओं और आस्थाओं के संगम पर वह धीमी हो जाती है... उफनती है आकांक्षाओं की पुकार से पीढ़ियाँ, बहाती रही हैं इच्छा-दीप और निर्माल्य बिना जाने कि थोड़ी-सी आँच भी नदी को तड़पा सकती है पर नदी ने कभी प्रतिकार नहीं किया... हर फूल, हवन, राख को पहुँचाया है अखंड आराध्य तक कभी नह…
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हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी | निदा फ़ाज़ली हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी हर तरफ़ भागते दौड़ते रास्ते हर तरफ़ आदमी का शिकार आदमी रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी ज़िन्दगी का मुक़द्दर सफ़र दर सफ़र आख़िरी साँस तक बेक़रार आदमी…
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Soundaryalahari Shlok 94_कलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaकलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं कलाभिः कर्पूरै-र्मरकतकरण्डं निबिडितम् । अतस्त्वद्भोगेन प्रतिदिनमिदं रिक्तकुहरं विधि-र्भूयो भूयो निबिडयति नूनं तव कृते ॥ 94 ॥
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बादल राग | अवधेश कुमार बादल इतने ठोस हों कि सिर पटकने को जी चाहे पर्वत कपास की तरह कोमल हों ताकि उन पर सिर टिका कर सो सकें झरने आँसुओं की तरह धाराप्रवाह हों कि उनके माध्यम से रो सकें धड़कनें इतनी लयबद्ध कि संगीत उनके पीछे-पीछे दौड़ा चला आए रास्ते इतने लंबे कि चलते ही चला जाए पृथ्वी इतनी छोटी कि गेंद बनाकर खेल सकें आकाश इतना विस्तीर्ण कि उड़ते ही चल…
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समय और बचपन - हेमंत देवलेकर उसने मेरी कलाई पर टिक टिक करती घड़ी देखी तो मचल उठी वैसी ही घड़ी पाने के लिए उसका जी बहलाते स्थिर समय की एक खिलौना घड़ी बाँध दी उसकी नन्हीं कलाई पर पर घड़ी का खिलौना मंज़ूर नहीं था उसे टिक टिक बोलती, समय बताती घड़ी असली मचल रही थी उसके हठ में यह सच है कि बच्चे समय का स्वप्न देखते हैं लेकिन मैं उसे समय के हाथों में कैसे सौंप दू…
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बरसों के बाद | गिरिजा कुमार माथुर बरसों के बाद कभी हम-तुम यदि मिलें कहीं देखें कुछ परिचित-से लेकिन पहिचाने ना। याद भी न आये नाम रूप, रंग, काम, धाम सोचें यह संभव है पर, मन में माने ना। हो न याद, एक बार आया तूफान ज्वार बंद, मिटे पृष्ठों को पढ़ने की ठाने ना। बातें जो साथ हुई बातों के साथ गई आँखें जो मिली रहीं उनको भी जानें ना।…
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प्रेम में मैं और तुम | अंशू कुमार एक दिन तुम और मैं जब अपनी अपनी धुरी पर लौट रहे होंगे ख़ाली हाथ, बेआवाज़ और बदहवास अपने-अपने हिस्से के सुख और दुःख लिए अब कब मिलेंगे, मिलेंगे भी या नहीं जैसे ख़ौफ़नाक सवाल लिए अनंत ख़ालीपन के साथ तब सबसे अंत में हमारे हिस्से का प्रेम ही बचेगा जो अगर बचा सकता तो बचा लेगा हमें एक बार फिर से मिलने की उम्मीद में...!…
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Shah Abdul Latif Bhittai' is the foremost poet of the Sindhi language. His poetry is of exceptional quality. He has presented Sindhi folk tales in poetic form in the "Shah Jo Risalo" through melodies. The Sindhi folk tales include Suhini Mehar, Sassui Punhoon, Leela Chanesar, Moomal Rano, Umar Marvi, Noori Jaam Tamachi, and Sorath Rai Diyach. In th…
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बारिश या पुण्यवर्षा | अरुणाभ सौरभ धरती पर गिरती बूँदें बारिश की छोटी - छोटी ये बूँद-बूँद गोलाइयाँ धरती को चुंबन है आकाश का या धरती से आकाश के मिलने का सबूत या प्यार है मर मिटनेवाला या प्यार की सिफ़ारिश ये बारिश है या हृदय के भीतर की बची हुई करुणा हमारे भीतर की बची हुई मनुष्यता पितरों के पुण्य की पुष्पवर्षा इसी के सहारे जीते हैं हम इसे देखकर जवान हो…
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जगत के कुचले हुए पथ पर भला कैसे चलूं मैं? | हरिशंकर परसाई किसी के निर्देश पर चलना नहीं स्वीकार मुझको नहीं है पद चिह्न का आधार भी दरकार मुझको ले निराला मार्ग उस पर सींच जल कांटे उगाता और उनको रौंदता हर कदम मैं आगे बढ़ाता शूल से है प्यार मुझको, फूल पर कैसे चलूं मैं? बांध बाती में हृदय की आग चुप जलता रहे जो और तम से हारकर चुपचाप सिर धुनता रहे जो जगत क…
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अकाल और उसके बाद | नागार्जुन कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद…
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संतान साते - नीलेश रघुवंशी माँ परिक्रमा कर रही होगी पेड़ की हम परिक्रमा कर रहे हैं पराये शहर की जहाँ हमारी इच्छाएँ दबती ही जा रही हैं । सात पुए और सात पूड़ियाँ थाल में सजाकर रखी होंगी नौ चूड़ियाँ आठ बहन और एक भाई की ख़ुशहाली और लंबी आयु पेड़ की परिक्रमा करते कभी नहीं थके माँ के पाँव। माँ नहीं समझ सकी कभी जब माँग रही होती है वह दुआ हम सब थक चुके होते…
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Soundaryalahari Shlok 93_अराला केशेषु प्रकृति सरला मन्दहसिते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaअराला केशेषु प्रकृति सरला मन्दहसितेशिरीषाभा चित्ते दृषदुपलशोभा कुचतटे ।भृशं तन्वी मध्ये पृथु-रुरसिजारोह विषयेजगत्त्रतुं शम्भो-र्जयति करुणा काचिदरुणा ॥ 93 ॥
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जो हुआ वो हुआ किसलिए | निदा फ़ाज़ली जो हुआ वो हुआ किसलिए हो गया तो गिला किसलिए काम तो हैं ज़मीं पर बहुत आसमाँ पर ख़ुदा किसलिए एक ही थी सुकूँ की जगह घर में ये आइना किसलिएद्वारा Nayi Dhara Radio
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बचाओ - उदय प्रकाश चिंता करो मूर्द्धन्य 'ष' की किसी तरह बचा सको तो बचा लो ‘ङ’ देखो, कौन चुरा कर लिये चला जा रहा है खड़ी पाई और नागरी के सारे अंक जाने कहाँ चला गया ऋषियों का “ऋ' चली आ रही हैं इस्पात, फाइबर और अज्ञात यौगिक धातुओं की तमाम अपरिचित-अभूतपूर्व चीज़ें किसी विस्फोट के बादल की तरह हमारे संसार में बैटरी का हनुमान उठा रहा है प्लास्टिक का पहाड़ …
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जब मैं तेरा गीत लिखने लगी/अमृता प्रीतम मेरे शहर ने जब तेरे कदम छुए सितारों की मुट्ठियाँ भरकर आसमान ने निछावर कर दीं दिल के घाट पर मेला जुड़ा , ज्यूँ रातें रेशम की परियां पाँत बाँध कर आई...... जब मैं तेरा गीत लिखने लगी काग़ज़ के ऊपर उभर आईं केसर की लकीरें सूरज ने आज मेहंदी घोली हथेलियों पर रंग गई, हमारी दोनों की तकदीरें…
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Shah Abdul Latif Bhittai' is the foremost poet of the Sindhi language. His poetry is of exceptional quality. He has presented Sindhi folk tales in poetic form in the "Shah Jo Risalo" through melodies. The Sindhi folk tales include Suhini Mehar, Sassui Punhoon, Leela Chanesar, Moomal Rano, Umar Marvi, Noori Jaam Tamachi, and Sorath Rai Diyach. In th…
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टेलीफ़ोन पर पिता की आवाज़ - नीलेश रघुवंशी टेलीफ़ोन पर थरथराती है पिता की आवाज़ दिये की लौ की तरह काँपती-सी। दूर से आती हुई छिपाये बेचैनी और दुख। टेलीफ़ोन के तार से गुज़रती हुई कोसती खीझती इस आधुनिक उपकरण पर। तारों की तरह टिमटिमाती टूटती-जुड़ती-सी आवाज़। कितना सुखद पिता को सुनना टेलीफ़ोन पर पहले-पहल कैसे पकड़ा होगा पिता ने टेलीफ़ोन। कड़कती बिजली-सी …
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साम्य | नरेश सक्सेना समुद्र के निर्जन विस्तार को देखकर वैसा ही डर लगता है जैसा रेगिस्तान को देखकर समुद्र और रेगिस्तान में अजीब साम्य है दोनों ही होते हें विशाल लहरों से भरे हुए और दोनों ही भटके हुए आदमी को मारते हैं प्यासा।द्वारा Nayi Dhara Radio
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नानी की कहानी में देवराज इन्द्र - अरुणाभ सौरभ कठोरतम तप से किसी साधक को मिलने लगेगी सिद्धि तो आपका स्वर्ग सिंहासन डोल जाएगा देवराज बचपन में आपसे नानी की कहानियों में मिलता रहा हूँ जवान हुआ तो समझा कि सबसे सुंदरतम दुनिया की अप्सराएँ सबसे मादक पेय और अमरत्व आपके अधीन जहाँ प्रवेश अत्यंत कठिन है मरणोपरांत पर हरेक हंदय में स्वर्ग की चाहना- कामना - इच्छा…
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आख़िरी कविता | इमरोज़ अनुवाद : अमिया कुँवर जन्म के साथ मेरी क़िस्मत नहीं लिखी गई जवानी में लिखी गई और वह भी कविता में... जो मैंने अब पढ़ी है पर तू क्यों मेरी क़िस्मत कविता को अपनी आख़िरी कविता कर रही हो... मेरे होते तेरी तो कभी भी कोई कविता आख़िरी कविता नहीं हो सकती...द्वारा Nayi Dhara Radio
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किवाड़ | कुमार अम्बुज ये सिर्फ़ किवाड़ नहीं हैं जब ये हिलते हैं माँ हिल जाती है और चौकस आँखों से देखती है—‘क्या हुआ?’ मोटी साँकल की चार कड़ियों में एक पूरी उमर और स्मृतियाँ बँधी हुई हैं जब साँकल बजती है बहुत कुछ बज जाता है घर में इन किवाड़ों पर चंदा सूरज और नाग देवता बने हैं एक विश्वास और सुरक्षा खुदी हुई है इन पर इन्हें देख कर हमें पिता की याद आती…
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लिखने से ही लिखी जाती है कविता | उदयन वाजपेयी लिखने से ही लिखी जाती है कविता प्रेम भी करने की ही चीज़ है जैसे जंगल सुनने की किताब डूबने की मृत्यु इंतज़ार की जीवन, अपने को चारों ओर से समेट कर किसी ऐसे बिंदु पर ला देने की जहाँ नर्तकी की तरह अपने पाँव के अँगूठे पर कुछ देर खड़ा रह सके वियोगद्वारा Nayi Dhara Radio
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सिर्फ मोहब्बत ही मज़हब है हर सच्चे इंसान का | लक्ष्मीशंकर वाजपेयी माँ की ममता, फूल की खुशबू, बच्चे की मुस्कान का सिर्फ़ मोहब्बत ही मज़हब है हर सच्चे इंसान का किसी पेड़ के नीचे आकर राही जब सुस्ताता है पेड़ नहीं पूछे है किस मज़हब से तेरा नाता है धूप गुनगुनाहट देती है चाहे जिसका आँगन हो जो भी प्यासा आ जाता है, पानी प्यास बुझाता है मिट्टी फसल उगाये पूछ…
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Shah Abdul Latif Bhittai' is the foremost poet of the Sindhi language. His poetry is of exceptional quality. He has presented Sindhi folk tales in poetic form in the "Shah Jo Risalo" through melodies. The Sindhi folk tales include Suhini Mehar, Sassui Punhoon, Leela Chanesar, Moomal Rano, Umar Marvi, Noori Jaam Tamachi, and Sorath Rai Diyach. Liste…
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उम्र - हेमंत देवलेकर तुम कितने साल की हो डिंबू ? "तीन साल की” "और तुम्हारी मम्मी ?" "तीन साल की" "और पापा?" "तीन साल" अचानक मुझे यह दुनिया कच्चे टमाटर सी लगी महज़ तीन साल पुरानीद्वारा Nayi Dhara Radio
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Soundaryalahari Shlok 92_गतास्ते मञ्चत्वं द्रुहिण हरि रुद्रेश्वर भृतः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaगतास्ते मञ्चत्वं द्रुहिण हरि रुद्रेश्वर भृतःशिवः स्वच्छ-च्छाया-घटित-कपट-प्रच्छदपटः ।त्वदीयानां भासां प्रतिफलन रागारुणतयाशरीरी शृङ्गारो रस इव दृशां दोग्धि कुतुकम् ॥ 92 ॥
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कवि लोग | ऋतुराज कवि लोग बहुत लंबी उमर जीते हैं मारे जा रहे होते हैं फिर भी जीते हैं कृतघ्न समय में मूर्खों और लंपटों के साथ निभाते अपनी दोस्ती उनके हाथों में ठूँसते अपनी किताब कवि लोग बहुत दिनों तक हँसते हैं चीख़ते हैं और चुप रहते हैं लेकिन मरते नहीं हैं कमबख़्त! कवि लोग बच्चों में चिड़ियाँ और चिड़ियों में लड़कियाँ और लड़कियों में फूल देखते हैं सब…
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परिन्दे पर कवि को पहचानते हैं - राजेश जोशी सालिम अली की क़िताबें पढ़ते हुए मैंने परिन्दों को पहचानना सीखा। और उनका पीछा करने लगा पाँव में जंज़ीर न होती तो अब तक तो . न जाने कहाँ का कहाँ निकल गया होता हो सकता था पीछा करते-करते मेरे पंख उग आते और मैं उड़ना भी सीख जाता जब परिन्दे गाना शुरू करतें और पहाड़ अँधेरे में डूब जाते। ट्रक ड्राइवर रात की लम्बाई…
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एक तिनका | अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ मैं घमण्डों में भरा ऐंठा हुआ। एक दिन जब था मुण्डेरे पर खड़ा। आ अचानक दूर से उड़ता हुआ। एक तिनका आँख में मेरी पड़ा। मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा। लाल होकर आँख भी दुखने लगी। मूँठ देने लोग कपड़े की लगे। ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी। जब किसी ढब से निकल तिनका गया। तब 'समझ' ने यों मुझे ताने दिए। ऐंठता तू किसलिए इतना रह…
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बहुत दिनों के बाद | नागार्जुन बहुत दिनों के बाद अबकी मैंने जी भर देखी पकी-सुनहली फ़सलों की मुस्कान - बहुत दिनों के बाद बहुत दिनों के बाद अबकी मैं जी भर सुन पाया धान कूटती किशोरियों की कोकिलकंठी तान - बहुत दिनों के बाद बहुत दिनों के बाद अबकी मैंने जी भर सूँघे मौलसिरी के ढेर-ढेर-से ताज़े-टटके फूल - बहुत दिनों के बाद बहुत दिनों के बाद अबकी मैं जी भर छ…
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उठ जाग मुसाफ़िर | वंशीधर शुक्ल उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है। जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है। उठ जाग मुसाफ़िर! भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है। टुक नींद से अँखियाँ खोल ज़रा पल अपने प्रभु से ध्यान लगा, यह प्रीति करन की रीति नहीं जग जागत है, तू सोवत है। तू जाग जगत की देख उड़न, जग जागा तेरे बंद नयन, यह जन जाग्रति की बेला …
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Soundaryalahari Shlok 91_पदन्यास-क्रीडा परिचय-मिवारब्धु-मनसः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaपदन्यास-क्रीडा परिचय-मिवारब्धु-मनसःस्खलन्तस्ते खेलं भवनकलहंसा न जहति ।अतस्तेषां शिक्षां सुभगमणि-मञ्जीर-रणित-च्छलादाचक्षाणं चरणकमलं चारुचरिते ॥ 91 ॥
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मौत इक गीत रात गाती थी ज़िन्दगी झूम झूम जाती थी ज़िक्र था रंग-ओ-बू का और दिल में तेरी तस्वीर उतरती जाती थी वो तिरा ग़म हो या ग़म-ए-आफ़ाक़ शम्मअ सी दिल में झिलमिलाती थी ज़िन्दगी को रह-ए-मोहब्बत में मौत ख़ुद रौशनी दिखाती थी जल्वा-गर हो रहा था कोई उधर धूप इधर फीकी पड़ती जाती थी ज़िन्दगी ख़ुद को राह-ए-हस्ती में कारवाँ कारवाँ छुपाती थी हमा-तन-गोशा ज़िन्दग…
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"Three Monkeys" Listen to another entertaining story from Sindhi folk literature, "Three Monkeys." In this story, a servant heads towards an unknown city with dreams of becoming a prince. By using the opportunity wisely, he fulfills his dreams by pointing out the difference in the value of three monkeys' statues. Listen to this interesting story an…
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सिर छिपाने की जगह | राजेश जोशी न उन्होंने कुंडी खड़खड़ाई न दरवाज़े पर लगी घंटी बजाई अचानक घर के अन्दर तक चले आए वे लोग उनके सिर और कपड़े कुछ भीगे हुए थे मैं उनसे कुछ पूछ पाता, इससे पहले ही उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि शायद तुमने हमें पहचाना नहीं । हाँ...पहचानोगे भी कैसे बहुत बरस हो गए मिले हुए तुम्हारे चेहरे को, तुम्हारी उम्र ने काफ़ी बदल दिया है …
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मेरे बेटे | कविता कादम्बरी मेरे बेटे कभी इतने ऊँचे मत होना कि कंधे पर सिर रखकर कोई रोना चाहे तो उसे लगानी पड़े सीढ़ियाँ न कभी इतने बुद्धिजीवी कि मेहनतकशों के रंग से अलग हो जाए तुम्हारा रंग इतने इज़्ज़तदार भी न होना कि मुँह के बल गिरो तो आँखें चुराकर उठो न इतने तमीज़दार ही कि बड़े लोगों की नाफ़रमानी न कर सको कभी इतने सभ्य भी मत होना कि छत पर प्रेम करते कबू…
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बाद के दिनों में प्रेमिकाएँ | रूपम मिश्रा बाद के दिनों में प्रेमिकाएँ पत्नियाँ बन गईं वे सहेजने लगीं प्रेमी को जैसे मुफलिसी के दिनों में अम्मा घी की गगरी सहेजती थीं वे दिन भर के इन्तजार के बाद भी ड्राइव करते प्रेमी से फोन पर बात नहीं करतीं वे लड़ने लगीं कम सोने और ज़्यादा शराब पीने पर प्रेमी जो पहले ही घर में बिनशी पत्नी से परेशान था अब प्रेमिका से …
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ईश्वर और प्याज़ | केदारनाथ सिंह क्या ईश्वर प्याज़ खाता है? एक दिन माँ ने मुझसे पूछा जब मैं लंच से पहले प्याज़ के छिलके उतार रहा था क्यों नहीं माँ मैंने कहा जब दुनिया उसने बनाई तो गाजर मूली प्याज़ चुकन्दर- सब उसी ने बनाया होगा फिर वह खा क्‍यों नहीं सकता प्याज़? वो बात नहीं- हिन्दू प्याज़ नहीं खाता धीरे-से कहती है वह तो क्‍या ईश्वर हिन्दू हैं माँ? हँसत…
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अनंत जन्मों की कथा | विश्वनाथ प्रसाद तिवारी मुझे याद है अपने अनंत जन्मों की कथा पिता ने उपेक्षा की सती हुई मैं चक्र से कटे मेरे अंग-प्रत्यंग जन्मदात्री माँ ने अरण्य में छोड़ दिया असहाय पक्षियों ने पाला शकुंतला कहलाई जिसने प्रेम किया उसी ने इनकार किया पहचानने से सीता नाम पड़ा धरती से निकली समा गई अग्नि-परीक्षा की धरती में जन्मते ही फेंक दी गई आम्र क…
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खुल कर | नंदकिशोर आचार्य खुल कर हो रही बारिश खुल कर नहाना चाहती लड़की अपनी खुली छत पर। किन्तु लोगों की खुली आँखें उसको बन्द रखती हैं खुल कर हो रही बरसात में।द्वारा Nayi Dhara Radio
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जानना ज़रूरी है | इन्दु जैन जब वक्त कम रह जाए तो जानना ज़रूरी है कि क्या ज़रूरी है सिर्फ़ चाहिए के बदले चाहना पहचानना कि कहां हैं हाथ में हाथ दिए दोनों मुखामुख मुस्करा रहे हैं कहां फ़िर इन्हें यों सराहना जैसे बला की गर्मी में घूंट भरते मुंह में आई बर्फ़ की डली।द्वारा Nayi Dhara Radio
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A part of children's folklore in Sindhi literature, "बादल पर कुत्ता भौंके" (A Dog Barks at the Clouds) illustrates how in ancient times, falsehood was used to please kings and royals. Similarly, it depicts how a lie was turned into truth in the royal court to please the king. Listen to this interesting story and see what unfolds next. To continue e…
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हम ओर लोग | केदारनाथ अग्रवाल हम बड़े नहीं फिर भी बड़े हैं इसलिए कि लोग जहाँ गिर पड़े हैं हम वहाँ तने खड़े हैं द्वन्द की लड़ाई भी साहस से लड़े हैं; न दुख से डरे, न सुख से मरे हैं; काल की मार में जहाँ दूसरे झरे हैं, हम वहाँ अब भी हरे-के-हरे हैं।द्वारा Nayi Dhara Radio
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Soundaryalahari Shlok 90_ददाने दीनेभ्यः श्रियमनिश-माशानुसदृशीं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaददाने दीनेभ्यः श्रियमनिश-माशानुसदृशींअमन्दं सौन्दर्यं प्रकर-मकरन्दं विकिरति ।तवास्मिन् मन्दार-स्तबक-सुभगे यातु चरणेनिमज्जन् मज्जीवः करणचरणः ष्ट्चरणताम् ॥ 90 ॥
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बारिश की भाषा | शहंशाह आलम उसकी देह कितनी बातूनी लग रही है जो बारिश से बचने की ख़ातिर खड़ी है जामुन पेड़ के नीचे जामुनी रंग के कपड़े में ‘जामुन ख़रीदकर घर लाए कितने दिन हुए’ हज़ारों मील तक बरस रही बारिश के बीच वह लड़की क्या ऐसा सोच रही होगी या यह कि इस शून्यता में जामुन का पेड़ बारिश से उसको कितनी देर बचा पाएगा बारिश किसी नाव की तरह बाँधी नहीं जा स…
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वे कैसे दिन थे | कीर्ति चौधरी वे कैसे दिन थे जब चीज़ें भागती थीं और हम स्थिर थे जैसे ट्रेन के एक डिब्बे में बंद झाँकते हुए ओझल होते थे दृश्य पल के पल में— ...कौन थी यह तार पर बैठी हुई बुलबुल, गौरय्या या नीलकंठ? आसमान को छूता हुआ सवन का जोड़ा था? दूरी पर झिलमिल-झिलमिल करती नदिया थी? या रेती का भ्रम? कभी कम कभी ज़्यादा प्रश्न ही प्रश्न उठते थे हम विमूढ…
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