Everything from Literature in Hindi ;)
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कवितायेँ जहाँ जी चाहे वहाँ रहती हैं- कभी नीले आसमान में, कभी बंद खिड़कियों वाली संकरी गली में, कभी पंछियों के रंगीन परों पर उड़ती हैं कविताएँ, तो कभी सड़क के पत्थरों के बीच यूँ ही उग आती हैं। कविता के अलग अलग रूपों को समर्पित है, हमारी पॉडकास्ट शृंखला - प्रतिदिन एक कविता। कीजिये एक नई कविता के साथ अपने हर दिन की शुरुआत।
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Jaipur Literature Festival with Brave New World
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By profession I'm a journalist. Interested in Politics, Cinema and Literature
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BHARATVAANI...KAVITA SINGS INDIA I Sing.. I Write.. I Chant.. I Recite.. I'm here to Tell Tales of my glorious motherland INDIA, Tales of our rich cultural, spiritual heritage, ancient Vedic history, literature and epic poetry. My podcasts will include Bharat Bharti by Maithilisharan Gupta, Rashmirathi and Parashuram ki Prateeksha by Ramdhari Singh Dinkar, Kamayani by Jaishankar Prasad, Madhushala by Harivanshrai Bachchan, Ramcharitmanas by Tulsidas, Radheshyam Ramayan, Valmiki Ramayan, Soun ...
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TC literature is one of the four fundamental pillars of TC crafts. This TC crafts deals with words .. Framing of words to form a Song , scripts , stories , poems , memes and others .. Tanishchavan created this to grow himself as a writer and hone his writing skills .This TC Literature is the last and the biggest mystery box of Tanishchavan which blasts and omits world and no swords .
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Hindi literature
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Sindhi Sanskriti with Tamana and Meena : Sindhi Samaj Podcast
Audio Pitara by Channel176 Productions
एक ऐसी संस्कृति जो दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है, जो मुअन-जो-दड़ो से शुरू होती है या उससे भी पहले की हो सकती है। सिंधी भाषा प्राचीन और साहित्य की दृष्टि से समृद्ध है। सिंधी साहित्य जगत के साहित्यकारों ने सिंधी साहित्य को बहुत समृद्ध बनाया है। कोण है सिंधीयो के देवता? सिंधी साहित्य में सबसे पहला संदर्भ किस इतिहासकारों के लेखन में मिलता है? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए सुनिए सिंधी संस्कृति with तमन्ना और मीणा सिर्फ ऑडियो पिटारा पर. आपको ये शो कैसा लगा? ये कमेंट करके जरू ...
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Stories from Indian Literature
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Intellect Spiritual Literature
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यहाँ हम सुनेंगे कविताएं – पेड़ों, पक्षियों, तितलियों, बादलों, नदियों, पहाड़ों और जंगलों पर – इस उम्मीद में कि हम ‘प्रकृति’ और ‘कविता’ दोनों से दोबारा दोस्ती कर सकें। एक हिन्दी कविता और कुछ विचार, हर दूसरे शनिवार... Listening to birds, butterflies, clouds, rivers, mountains, trees, and jungles - through poetry that helps us connect back to nature, both outside and within. A Hindi poem and some reflections, every alternate Saturday...
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आप सभी का स्वागत है! कृपया सुनें और अपना प्यार दे❤️🌻 This Show Presents Only Poetry,Stories and Many more Hindi Literature.
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This audiobook is a compilation of teachings by Chanakya, a prominent figure in ancient Indian literature. Among the numerous works of ethics literature in Sanskrit, Chanakya Neeti holds a significant place. It provides practical advice in a succinct style to lead a happy and successful life. Its main focus is to impart practical wisdom for every aspect of life. It emphasizes values like righteousness, culture, justice, peace, education, and the overall progress of human life. This book beau ...
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कहानी ट्रेन यानी बच्चों की कहानियाँ, सीधे आपके फ़ोन तक। यह पहल है आज के दौर के बच्चों को साहित्य और किस्से कहानियों से जोड़ने की। प्रथम, रेख़्ता व नई धारा की प्रस्तुति।
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साहित्य और रंगकर्म का संगम - नई धारा एकल। इस शृंखला में अभिनय जगत के प्रसिद्ध कलाकार, अपने प्रिय हिन्दी नाटकों और उनमें निभाए गए अपने किरदारों को याद करते हुए प्रस्तुत करते हैं उनके संवाद और उन किरदारों से जुड़े कुछ किस्से। हमारे विशिष्ट अतिथि हैं - लवलीन मिश्रा, सीमा भार्गव पाहवा, सौरभ शुक्ला, राजेंद्र गुप्ता, वीरेंद्र सक्सेना, गोविंद नामदेव, मनोज पाहवा, विपिन शर्मा, हिमानी शिवपुरी और ज़ाकिर हुसैन।
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"sham e shayari" is a captivating podcast that takes you on a poetic journey through the rich and expressive world of Hindi literature. With each episode, Fanindra Bhardwaj, a talented poet and voice artist, skillfully weaves together words and emotions to create a truly immersive experience. In this podcast, you'll encounter a wide range of themes, from love and heartbreak to nature and spirituality. Fanindra's poetry beautifully captures the essence of these emotions, allowing listeners to ...
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ये है नई धारा संवाद पॉडकास्ट। ये श्रृंखला नई धारा की वीडियो साक्षात्कार श्रृंखला का ऑडियो वर्जन है। इस पॉडकास्ट में हम मिलेंगे हिंदी साहित्य जगत के सुप्रसिद्ध रचनाकारों से। सीजन 1 में हमारे सूत्रधार होंगे वरुण ग्रोवर, हिमांशु बाजपेयी और मनमीत नारंग और हमारे अतिथि होंगे डॉ प्रेम जनमेजय, राजेश जोशी, डॉ देवशंकर नवीन, डॉ श्यौराज सिंह 'बेचैन', मृणाल पाण्डे, उषा किरण खान, मधुसूदन आनन्द, चित्रा मुद्गल, डॉ अशोक चक्रधर तथा शिवमूर्ति। सुनिए संवाद पॉडकास्ट, हर दूसरे बुधवार। Welcome to Nayi Dhara Samvaa ...
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स्वागत है आपका नई धारा रेडियो की एक और पॉडकास्ट श्रृंखला में। यह श्रृंखला नई धारा के संस्थापक श्री उदय राज सिंह जी के साहित्य को समर्पित है। खड़ी बोली प्रसिद्ध गद्य लेखक राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह के पुत्र उदय राज सिंह ने अपने पिता की साहित्यिक धरोहर को आगे बढ़ाया। उन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत से उपन्यास, कहानियाँ, लघुकथाएँ, नाटक आदि लिखे। सन 1950 में उदय राज सिंह जी ने नई धारा पत्रिका की स्थापना की जो आज 70+ वर्षों बाद भी साहित्य की सेवा में समर्पित है। उदयराज जी के इस जन्मशती वर्ष में हम उ ...
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तुलसीदास जी का जन्म, आज से लग-भग 490 बरस पहले, 1532 ईसवी में उत्तर प्रदेश के एक गाँव में हुआ और उन्होंने अपने जीवन के अंतिम पल काशी में गुज़ारे। पैदाइश के कुछ वक़्त बाद ही तुलसीदास महाराज की वालिदा का देहांत हो गया, एक अशुभ नक्षत्र में पैदा होने की वजह से उनके पिता उन्हें अशुभ समझने लगे, तुलसीदास जी के जीवन में सैकड़ों परेशानियाँ आईं लेकिन हर परेशानी का रास्ता प्रभु श्री राम की भक्ति पर आकर खत्म हुआ। राम भक्ति की छाँव तले ही तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसी नायाब रचनाओं को ...
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Munshi Premchand known as Katha Samrat of Hindi Literature. Out of the stories and novels he has written we know a very few of famous stories & novels written by him like Godaan, Nirmala, Bade Bhaisahab, kafan, buddhi Kaaki etc. But these are not the only stories which define his writing. Out of the 300 stories written by Munshi Premchand in Hindi, still there are stories which are unheard & unread. Indipodcaster presents unheard Premchand stories 'Premchand Ki Ansuni Kahaniyan' where member ...
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Navbharat Gold from the house of BCCL (Times Group), is a first of a kind Hindi Podcast Infotainment Service in the world, offering an unmatched range and quality of content across multiple genres such as Hindi audio news, current affairs, science, audio-documentaries, sports, economy, history, spirituality, art and literature, life lessons, relationships and much more. To listen to a much wider range of such exclusive Hindi podcasts, visit us at www.navbharatgold.com
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***Winner of Best Storytelling Fiction Podcast 2022 by Hubhopper*** Kahani Jaani Anjaani is a Hindi Stories (kahaani) podcast series narrated by theatre and voiceover artist, Piyush Agarwal. Following the mission of making sure no stories get lost he takes you to the world of Beautiful Hindi narrations & emotions. So stay tuned for new and old Hindi stories - every Friday! His weekly dramatized narrations of lesser known stories from popular authors like Premchand, Bhishm Sahani, Mannu Bhand ...
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Hatyare Kuch Nahi Bigaad Sakte | Chandrakant Devtale
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1:55हत्यारे कुछ नहीं बिगाड़ सकते/ चंद्रकांत देवताले नाम मेरे लिए पेड़ से एक टूटा पत्ता हवा उसकी परवाह करे मेरे भीतर गड़ी दूसरी ही चीज़ें पृथ्वी की गंध और पुरखों की अस्थियाँ उनकी आँखों समेत मेरे मस्तिष्क में तैनात संकेत नक्षत्रों के बताते जो नहीं की जा सकती सपनों की हत्या मैं नहीं ज़िंदा तोड़ने कुर्सियाँ जोड़ने हिसाब ईज़ाद करने करिश्मे शैतानों के मैं हूँ…
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लेबर चौक | शिवम चौबे कठरे में सूरज ढोकर लाते हुए गमछे में कन्नी, खुरपी, छेनी, हथौड़ी बाँधे हुए रूखे-कटे हाथों से समय को धरकेलते हुए पुलिस चौकी और लाल चौक के ठीक बीच जहाँ रोज़ी के चार रास्ते खुलते है और कई बंद होते हैं जहाँ छतनाग से, अंदावा से, रामनाथपुर से जहाँ मुस्तरी या कुजाम से मुंगेर या आसाम से पूंजीवाद की आंत में अपनी ज़मीनों को पचता देख अगली …
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कथरियाँ | एकता वर्मा कथरियाँ गृहस्थियों के उत्सव-गीत होती हैं। जेठ-वैसाख के सूखे हल्के दिनों में सालों से संजोये गए चीथड़ों को क़रीने से सजाकर औरतें बुनती हैं उनकी रंग-बिरंगी धुन। वे धूप की कतरनों पर फैलती हैं तो उठती है, हल्दी और सरसों के तेल की पुरानी सी गंध। गौने में आयी उचटे रंग की साड़ियाँ बिछ जाती हैं महुए की ललायी कोपलों की तरह जड़ों की स्मृ…
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In this episode, we explore the childhood story of Bhagat Kanwar Ram, a revered devotee of Lord Vishnu. From a young age, Kanwar Ram demonstrated unwavering faith in God, facing numerous challenges with deep devotion. His childhood experiences highlight the power of belief, showing how his trust in God guided him through adversity. The episode delv…
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रिश्ता | अनामिका वह बिल्कुल अनजान थी! मेरा उससे रिश्ता बस इतना था कि हम एक पंसारी के गाहक थे नए मुहल्ले में! वह मेरे पहले से बैठी थी- टॉफी के मर्तबान से टिककर स्टूल के राजसिंहासन पर! मुझसे भी ज़्यादा थकी दिखती थी वह फिर भी वह हँसी! उस हँसी का न तर्क था, न व्याकरण, न सूत्र, न अभिप्राय! वह ब्रह्म की हँसी थी। उसने फिर हाथ भी बढ़ाया, और मेरी शॉल का सिर…
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Kaise Bachaunga Apna Prem | Alok Azad
2:51
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2:51कैसे बचाऊँगा अपना प्रेम | आलोक आज़ाद स्टील का दरवाजा गोलियों से छलनी हआ कराहता है और ठीक सामने, तुम चांदनी में नहाए, आँखों में आंसू लिए देखती हो हर रात एक अलविदा कहती है। हर दिन एक निरंतर परहेज में तब्दील हुआ जाता है क्या यह आखिरी बार होगा जब मैं तुम्हारे देह में लिपर्टी स्जिग्धता को महसूस कर रहा हूं और तुम्हारे स्पर्श की कस्तूरी में डूब रहा हूं देख…
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Kankreela Maidan | Kedarnath Aggarwal
2:27
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2:27कंकरीला मैदान | केदारनाथ अग्रवाल कंकरीला मैदान ज्ञान की तरह जठर-जड़ लंबा-चौड़ा, गत वैभव की विकल याद में- बड़ी दूर तक चला गया है गुमसुम खोया! जहाँ-तहाँ कुछ- कुछ दूरी पर, उसके ऊपर, पतले से पतले डंठल के नाज़ुक बिरवे थर-थर हिलते हुए हवा में खड़े हुए हैं बेहद पीड़ित! हर बिरवे पर मुँदरी जैसा एक फूल है। अनुपम मनहर, हर ऐसी सुंदर मुँदरी को मीनों ने चंचल आँखो…
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तब्दीली | अख़्तरुल ईमान इस भरे शहर में कोई ऐसा नहीं जो मुझे राह चलते को पहचान ले और आवाज़ दे ओ बे ओ सर-फिरे दोनों इक दूसरे से लिपट कर वहीं गिर्द-ओ-पेश और माहौल को भूल कर गालियाँ दें हँसें हाथा-पाई करें पास के पेड़ की छाँव में बैठ कर घंटों इक दूसरे की सुनें और कहें और इस नेक रूहों के बाज़ार में मेरी ये क़ीमती बे-बहा ज़िंदगी एक दिन के लिए अपना रुख़ म…
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Pushpvatika me Sita-Ram | Baalkand Radheshyam Ramayan | Bharatvani KavitaSingsIndia
29:35
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29:35Pushpvatika me Sita-Ram | Baalkand Radheshyam Ramayan | Bharatvani KavitaSingsIndia
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Meera Majumdar Ka Kehna Hai | Kumar Vikal
3:07
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3:07मीरा मजूमदार का कहना है | कुमार विकल सामने क्वार्टरों में जो एक बत्ती टिमटिमाती है वह मेरा घर है इस समय रात के बारह बज चुके हैं मैं मीरा मजूमदार के साथ मार्क्सवाद पर एक शराबी बहस करके लौटा हूँ और जहाँ से एक औरत के खाँसने की आवाज़ आ रही है वह मेरा घर है मीरा मजूमदार का कहना है कि इन्क़लाब के रास्ते पर एक बाधा मेरा घर है जिसमें खाँसती हुई एक बत्ती है…
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एक समय था- रघुवीर सहाय एक समय था मैं बताता था कितना नष्ट हो गया है अब मेरा पूरा समाज तब मुझे ज्ञात था कि लोग अभी व्यग्न हैं बनाने को फिर अपना परसों कल और आज आज पतन की दिशा बताने पर शक्तिवान करते हैं कोलाहल तोड़ दो तोड़ दो तोड़ दो झोंपड़ी जो खड़ी है अधबनी फ़िज़ूल था बनाना ज़िद समता की छोड़ दो एक दूसरा समाज बलवान लोगों का आज बनाना ही पुनर्निर्माण है जिन…
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देश हो तुम | अरुणाभ सौरभ में तुम्हारी कोख से नहीं तुम्हारी देह के मैल से उत्पन्न हुआ हूँ भारतमाता विघ्नहरत्ता नहीं बना सकती माँ तुम पर इतनी शक्ति दो कि भय-भूख से मुत्ति का रास्ता खोज सकूँ बुद्ध-सी करुणा देकर संसार में अहिंसा - शांति-त्याग की स्थापना हो में तुम्हारा हनु पवन पुत्र मेरी भुजाओं को वज्र शक्ति से भर दो कि संभव रहे कुछ अमरत्व और पूजा नहीं…
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Hum Milte Hain Bina Mile Hi | Kedarnath Aggarwal
1:41
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1:41हम मिलते हैं बिना मिले ही | केदारनाथ अग्रवाल हे मेरी तुम! हम मिलते हैं बिना मिले ही मिलने के एहसास में जैसे दुख के भीतर सुख की दबी याद में। हे मेरी तुम! हम जीते हैं बिना जिये ही जीने के एहसास में जैसे फल के भीतर फल के पके स्वाद में।द्वारा Nayi Dhara Radio
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Ram Janm | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
33:10
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33:10Ram Janm | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
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कम से कम एक दरवाज़ा | सुधा अरोड़ा चाहे नक़्क़ाशीदार एंटीक दरवाज़ा हो या लकड़ी के चिरे हुए फट्टों से बना उस पर खूबसूरत हैंडल जड़ा हो या लोहे का कुंडा वह दरवाज़ा ऐसे घर का हो जहाँ माँ बाप की रज़ामंदी के बग़ैर अपने प्रेमी के साथ भागी हुई बेटी से माता पिता कह सकें - 'जानते हैं, तुमने ग़लत फ़ैसला लिया फिर भी हमारी यही दुआ है ख़ुश रहो उसके साथ जिसे तुमने वरा है य…
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सुनो कबीर ! | नासिरा शर्मा सुनो कबीर, चलो मेरे साथ वहाँ जहाँ तुम्हारी प्रताड़ना के बावजूद डूब रहे हैं दोनों पक्ष ज़रूरत है उन्हें तुम्हारी फटकार की वह नहीं सुन रहे हैं हमारी बातें हमारी चेतावनी, कर रहे हैं मनमानी अंधविश्वास की पट्टी बंध चुकी है उनकी रौशन आँखों पर और आगे का रास्ता भूल , वह भटक रहे हैं पीछे बहुत पीछे अतीत की ओर तुम्हीं सिखा सकते हो, …
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Ram Avtaar ki katha | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
21:33
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21:33Ram Avtaar ki katha | Radheshyam Ramayan narrated by Kavita Singh | Bharatvani KavitaSingsIndia
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सूर्यास्त के आसमान | आलोक धन्वा उतने सूर्यास्त के उतने आसमान उनके उतने रंग लम्बी सडकों पर शाम धीरे बहुत धीरे छा रही शाम होटलों के आसपास खिली हुई रौशनी लोगों की भीड़ दूर तक दिखाई देते उनके चेहरे उनके कंधे जानी -पह्चानी आवाज़ें कभी लिखेंगें कवि इसी देश में इन्हें भी घटनाओं की तरह!द्वारा Nayi Dhara Radio
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पहले बच्चे के जन्म से पहले | नरेश सक्सेना साँप के मुँह में दो ज़ुबानें होती हैं। मेरे मुँह में कितनी हैं अपने बच्चे को दुआ किस ज़ुबान से दूँगा खून सनी उँगलियाँ झर तो नहीं जाएँगी पतझर में अपनी कौन-सी उँगली उसे पकड़ाऊँगा सात रंग बदलता है गिरगिट मैं कितने बदलता हूँ किस रंग की रोशनी का पाठ उसे पढ़ाऊँगा आओ मेरे बच्चे मुझे पुनर्जन्म देते हुए आओ मेरे मैल पर…
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इस समय | नीलेश रघुवंशी एक कोने में बिल्ली अपने बच्चों को दूध पिला रही है। छोटे-छोटे बच्चे और बिल्ली इतने सटे हुए हैं आपस में मुश्किल है उन्हें गिननाq एक औरत पेड़ में रस्सी का झुला डाल, झुला रही है बच्चे को साथ-साथ बच्चे के-औरत भी जा रही है धीरे-धीरे नींद में इस समय एक पत्ता भी नहीं खड़कना चाहिए।द्वारा Nayi Dhara Radio
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Maine Poocha Kya Kar Rahi Ho | Agyeya
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2:20मैंने पूछा क्या कर रही हो | अज्ञेय मैंने पूछा यह क्या बना रही हो? उसने आँखों से कहा धुआँ पोंछते हुए कहा- मुझे क्या बनाना है! सब-कुछ अपने आप बनता है। मैने तो यही जाना है। कह लो भगवान ने मुझे यही दिया है। मेरी सहानुभूति में हठ था- मैंने कहा- कुछ तो बना रही हो या जाने दो, न सही बना नहीं रही क्या कर रही हो? वह बोली- देख तो रहे हो छीलती हूँ नमक छिड़कती …
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In this episode, we explore the childhood story of Bhagat Kanwar Ram, a revered devotee of Lord Vishnu. From a young age, Kanwar Ram demonstrated unwavering faith in God, facing numerous challenges with deep devotion. His childhood experiences highlight the power of belief, showing how his trust in God guided him through adversity. The episode delv…
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घरौंदा | एकता वर्मा धूल में नहाए शैतान बच्चे खेल रहे हैं घरौंदा-घरौंदा। जोड़ रहे हैं ईट के टुकडे, पत्थर, सीमेंट के गुटके बना रहे हैं नन्हे-न्हे घर हँस रहे हैं, तालियाँ पीट रहे हैं। यह फ़िलिस्तीन का दुर्भाग्य है कि उसके बच्चे अपने न्हे घरों को बनाने के लिए चुन रहे हैं मलबा पड़ोसियों के ज़मीदोज़ हुए मकानों से। मैंने पूछा क्या कर रहे हो?…
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एक बोसा | कैफ़ी आज़मी जब भी चूम लेता हूँ उन हसीन आँखों को सौ चराग अँधेरे में जगमगाने लगते हैं फूल क्या शगूफे क्या चाँद क्या सितारे क्या सब रकीब कदमों पर सर झुकाने लगते हैं रक्स करने लगतीं हैं मूरतें अजन्ता की मुद्दतों के लब-बस्ता ग़ार गाने लगते हैं फूल खिलने लगते हैं उजड़े उजड़े गुलशन में प्यासी प्यासी धरती पर अब्र छाने लगते हैं लम्हें भर को ये दुन…
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घिसी पेंसिल | रघुवीर सहाय फिर रात आ रही है। फिर वक्त आ रहा है। जब नींद दुःख दिन को संपूर्ण कर चलेंगे एकांत उपस्थत हो, 'सोने चलो' कहेगा क्या चीज़ दे रही है यह शांति इस घड़ी में ? एकांत या कि बिस्तर या फिर थकान मेरी ? या एक मुड़े कागज़ पर एक घिसी पेंसिल तकिये तले दबाकर जिसको कि सो गया हूँ ?द्वारा Nayi Dhara Radio
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सीखो | श्रीनाथ सिंह फूलों से नित हँसना सीखो, भौंरों से नित गाना। तरु की झुकी डालियों से नित, सीखो शीश झुकाना! सीख हवा के झोकों से लो, हिलना, जगत हिलाना! दूध और पानी से सीखो, मिलना और मिलाना! सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना! लता और पेड़ों से सीखो, सबको गले लगाना! वर्षा की बूँदों से सीखो, सबसे प्रेम बढ़ाना! मेहँदी से सीखो सब ही पर, अपना रंग चढ़…
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अपाहिज व्यथा | दुष्यंत कुमार अपाहिज व्यथा को सहन कर रहा हूँ, तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा हूँ । ये दरवाज़ा खोलो तो खुलता नहीं है, इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ । अँधेरे में कुछ ज़िन्दगी होम कर दी, उजाले में अब ये हवन कर रहा हूँ । वे सम्बन्ध अब तक बहस में टँगे हैं, जिन्हें रात-दिन स्मरण कर रहा हूँ । तुम्हारी थकन ने मुझे तोड़ डाला, तुम्हें क्या पता क…
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धूल | हेमंत देवलेकर धीरे-धीरे साथ छोड़ने लगते हैं लोग तब उन बेसहारा और यतीम होती चीज़ों को धूल अपनी पनाह में लेती है। धूल से ज़्यादा करुण और कोई नहीं संसार का सबसे संजीदा अनाथालय धूल चलाती है काश हम कभी धूल बन पाते यूं तो मिट्टी के छिलके से ज़्यादा हस्ती उसकी क्या पर उसके छूने से चीज़ें इतिहास होने लगती हैं। समय के साथ गाढ़ी होते जाना - धूल को प्रेम की त…
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Donon Jahan Teri Mohabbat Me Haar Ke | Faiz Ahmed Faiz
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2:02दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के इक फ़ुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन देखे हैं हम ने हौसले पर्वरदिगार के दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया तुझ से भी दिल-फ़रेब हैं ग़म रोज़गार के भूले…
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The life of Sant Kanwarram, a beloved spiritual leader and singer whose soulful bhajans and selfless service touched countless lives. Discover his journey of faith, compassion, and his role in promoting peace within the Sindhi community. Through stories and songs, we celebrate his enduring legacy and timeless teachings. Tune in to immerse yourself …
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बेरोज़गार हम / शांति सुमन पिता किसान अनपढ़ माँ बेरोज़गार हैं हम जाने राम कहाँ से होगी घर की चिन्ता कम आँगन की तुलसी-सी बढ़ती घर में बहन कुमारी आसमान में चिड़िया-सी उड़ती इच्छा सुकुमारी छोटा भाई दिल्ली जाने का भरता है दम । पटवन के पैसे होते तो बिकती नहीं ज़मीन और तकाज़े मुखिया के ले जाते सुख को छीन पतले होते मेड़ों पर आँखें जाती है थम । जहाँ-तहाँ फटन…
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तुमसे मिलकर | गौरव तिवारी नदी अकेली होती है, पर उतनी नहीं जितनी अकेली हो जाती है सागर से मिलने के बाद। धरा अत्यधिक अकेली होती है क्षितिज पर, क्योंकि वहाँ मान लिया जाता है उसका मिलन नभ से। भँवरा भी तब तक नहीं होता तन्हा जब तक आकर्षित नहीं होता किसी फूल से। गलत है यह धारणा कि प्रेम कर देता है मनुष्य को पूरा मैं और भी अकेला हो गया हूँ, तुमसे मिलकर।…
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एक दुआ | कैफ़ी आज़मी अब और क्या तेरा बीमार बाप देगा तुझे बस एक दुआ कि ख़ुदा तुझको कामयाब करे वो टाँक दे तेरे आँचल में चाँद और तारे तू अपने वास्ते जिस को भी इंतख़ाब करेद्वारा Nayi Dhara Radio
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घटती हुई ऑक्सीजन | मंगलेश डबराल अकसर पढ़ने में आता है दुनिया में ऑक्सीजन कम हो रही है। कभी ऐन सामने दिखाई दे जाता है कि वह कितनी तेज़ी से घट रही है रास्तों पर चलता हूँ खाना खाता हूँ पढ़ता हूँ सोकर उठता हूँ एक लम्बी जम्हाई आती है जैसे ही किसी बन्द वातानुकूलित जगह में बैठता हूँ। उबासी का एक झोका भीतर से बाहर आता है एक ताक़तवर आदमी के पास जाता हूँ तो …
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हम औरतें | वीरेन डंगवाल रक्त से भरा तसला है रिसता हुआ घर के कोने-अंतरों में हम हैं सूजे हुए पपोटे प्यार किए जाने की अभिलाषा सब्जी काटते हुए भी पार्क में अपने बच्चों पर निगाह रखती हुई प्रेतात्माएँ हम नींद में भी दरवाज़े पर लगा हुआ कान हैं दरवाज़ा खोलते ही अपने उड़े-उड़े बालों और फीकी शक्ल पर पैदा होने वाला बेधक अपमान हैं हम हैं इच्छा-मृग वंचित स्वप्…
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नागरिक पराभव | कुमार अम्बुज बहुत पहले से प्रारंभ करूँ तो उससे डरता हूँ जो अत्यंत विनम्र है कोई भी घटना जिसे क्रोधित नहीं करती बात-बात में ईश्वर को याद करता है जो बहुत डरता हूँ अति धार्मिक आदमी से जो मारा जाएगा अगले दिन की बर्बरता में उसे प्यार करना चाहता हूँ कक्षा तीन में पढ़ रही पड़ोस की बच्ची को नहीं पता आने वाले समाज की भयावहता उसे नहीं पता उसके…
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करूँ प्रेम ख़ुद से | शिवानी शर्मा किसी के लिए हूँ मैं ममता की मूरत, किसी के लिए अब भी छोटी सी बेटी ll तजुर्बों ने किया संजीदा मुझको , पर किसी के लिए अब भी अल्हड़ सी छोटी॥ कहीं पे हूँ माहिर, कहीं पे अनाड़ी, कभी लाँघ जाऊँ मुश्किलों की पहाड़ी॥ कभी अनगिनत यूँ ही यादें पिरोती, कभी होके मायूस पलकें भिगोती॥ कभी संग अपनों के बाँटू मैं खुशियाँ, अकेले कभी ढे…
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EP 76: The Journey of Sindhi Culture
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17:20In this episode, Tamanna Lalwani and Meena Sharma shed light on the journey of Sindhi culture. The podcast aims to promote culture and spread knowledge about its rich heritage. Through this episode, the beautiful stories, traditions, and history of Sindhi culture are explored. The conversation between Tamanna and Meena introduces listeners to the v…
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दो मिनट का मौन | केदारनाथ सिंह भाइयो और बहनों यह दिन डूब रहा है। इस डूबते हुए दिन पर दो मिनट का मौन जाते हुए पक्षी पर रुके हुए जल पर घिरती हुई रात पर दो मिनट का मौन जो है उस पर जो नहीं है उस पर जो हो सकता था उस पर दो मिनट का मौन गिरे हुए छिलके पर टूटी हुई घास पर हर योजना पर हर विकास पर दो मिनट का मौन इस महान शताब्दी पर महान शताब्दी के महान इरादों प…
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Bechain Baharon Me Kya Kya Hai | Qateel
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2:21बेचैन बहारों में क्या-क्या है / क़तील बेचैन बहारों में क्या-क्या है जान की ख़ुश्बू आती है जो फूल महकता है उससे तूफ़ान की ख़ुश्बू आती है कल रात दिखा के ख़्वाब-ए-तरब जो सेज को सूना छोड़ गया हर सिलवट से फिर आज उसी मेहमान की ख़ुश्बू आती है तल्कीन-ए-इबादत की है मुझे यूँ तेरी मुक़द्दस आँखों ने मंदिर के दरीचों से जैसे लोबान की ख़ुश्बू आती है कुछ और भी साँ…
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दौड़ | रामदरश मिश्र वह आगे-आगे था मैं उसके पीछे-पीछे मेरे पीछे अनेक लोग थे हाँ, यह दौड़-प्रतिस्पर्धा थी लक्ष्य से कुछ ही दूर पहले एकाएक उसकी चाल धीमी पड़ गयी और रुक गया मैं आगे निकल गया जीत के गर्वीले सुख के उन्माद से मैं झूम उठा उसके हार-जन्य दुख की कल्पना से मेरा सुख और भी उन्मत्त हो उठा मूर्ख कहीं का मैं मन ही मन भुनभुनाया उन्माद की हँसी हँसता ह…
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जैसे जब से तारा देखा | अज्ञेय क्या दिया-लिया? जैसे जब तारा देखा सद्यःउदित —शुक्र, स्वाति, लुब्धक— कभी क्षण-भर यह बिसर गया मैं मिट्टी हूँ; जब से प्यार किया, जब भी उभरा यह बोध कि तुम प्रिय हो— सद्यःसाक्षात् हुआ— सहसा देने के अहंकार पाने की ईहा से होने के अपनेपन (एकाकीपन!) से उबर गया। जब-जब यों भूला, धुल कर मंज कर एकाकी से एक हुआ। जिया।…
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साल मुबारक! | आशीष पण्ड्या साल मुबारक! भगवा हो या लाल, मुबारक! साल मुबारक! आज नया कल हुआ पुराना, टिक टिक करता काल मुबारक! पैसे की भूखी दुनिया को, थाल में रोटी-दाल मुबारक! चिंताओं से लदी चाँद पर, बचे खुचे कुछ बाल मुबारक! यहाँ पड़े हैं जान के लाले, वो कहते लोकपाल मुबारक! काली करतूतों की गठरी, धवल रेशमी शाल मुबारक! ग़ैरत! इज्ज़त! शर्म? निरर्थक, अब तो म…
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Jeevan Bacha Hai Abhi | Shalabh Shriram Singh
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1:45जीवन बचा है अभी | शलभ श्रीराम सिंह जीवन बचा है अभी ज़मीन के भीतर नमी बरक़रार है बरकरार है पत्थर के भीतर आग हरापन जड़ों के अन्दर साँस ले रहा है! जीवन बचा है अभी रोशनी खाकर भी हरकत में हैं पुतलियाँ दिमाग सोच रहा है जीवन के बारे में ख़ून दिल तक पहुँचने की कोशिश में है! जीवन बचा है अभी सूख गए फूल के आसपास है ख़ुशबू आदमी को छोड़कर भागे नहीं हैं सपने भाष…
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ईश्वर के बच्चे | आलोक आज़ाद क्या आपने ईश्वर के बच्चों को देखा है? ये अक्सर सीरिया और अफ्रीका के खुले मैदानों में धरती से क्षितिज की और दौड़ लगा रहे होते हैं ये अपनी माँ की कोख से ही मज़दूर है। और अपने पिता के पहले स्पर्श से ही युद्धरत है। ये किसी चमत्कार की तरह युद्ध में गिराए जा रहे खाने के थैलों के पास प्रकट हो जाते हैं। और किसी चमत्कार की तरह ही …
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सुख का दुख / भवानीप्रसाद मिश्र ज़िन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है, इस बात का मुझे बड़ा दु:ख नहीं है, क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ, बड़े सुख आ जाएँ घर में तो कोई ऎसा कमरा नहीं है जिसमें उसे टिका दूँ। यहाँ एक बात इससे भी बड़ी दर्दनाक बात यह है कि, बड़े सुखों को देखकर मेरे बच्चे सहम जाते हैं, मैंने बड़ी कोशिश की है उन्हें सिखा दूँ कि सुख कोई डरने की चीज़ नह…
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Vah Mujhi Main Hai Bhay | Nandkishore Acharya
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1:48वह मुझी में है भय | नंदकिशोर आचार्य एक अनन्त शून्य ही हो यदि तुम तो मुझे भय क्यों है ? कुछ है ही नहीं जब जिस पर जा गिरूँ चूर-चूर हो छितर जाऊँ उड़ जायें मेरे परखच्चे तब क्यों डरूँ? नहीं, तुम नहीं वह मुझी में है भय मुझ को जो मार देता है। और इसलिए वह रूप भी जो तुम्हें आकार देता है।द्वारा Nayi Dhara Radio
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Ek Aadmi Do Pahadon Ko Kuhniyon Se Thelta | Shamsher Bahadur Singh
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1:28एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता | शमशेर बहादुर सिंह एक आदमी दो पहाड़ों को कुहनियों से ठेलता पूरब से पच्छिम को एक क़दम से नापता बढ़ रहा है कितनी ऊँची घासें चाँद-तारों को छूने-छूने को हैं जिनसे घुटनों को निकालता वह बढ़ रहा है अपनी शाम को सुबह से मिलाता हुआ फिर क्यों दो बादलों के तार उसे महज़ उलझा रहे हैं?…
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Ma, Mozey Aur Khwab | Prashant Purohit
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2:12माँ, मोज़े, और ख़्वाब | प्रशांत पुरोहित माँ के हाथों से बुने मोज़े मैं अपने पाँवों में पहनता हूँ, सिर पे रखता हूँ। मेरे बचपन से कुछ बुनती आ रही है, सब उसी के ख़्वाब हैं जो दिल में रखता हूँ। पाँव बढ़ते गए, मोज़े घिसते-फटते गए, हर माहे-पूस में एक और ले रखता हूँ। मैं माँगता जाता हूँ, वो फिर दे देती है - और एक नया ख़्वाब नए रंगो-डिज़ाइन में मेरे सब जाड…
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दुख | मदन कश्यप दुख इतना था उसके जीवन में कि प्यार में भी दुख ही था उसकी आँखों में झाँका दुख तालाब के जल की तरह ठहरा हुआ था उसे बाँहों में कसा पीठ पर दुख दागने के निशान की तरह दिखा उसे चूमना चाहा दुख होंठों पर पपड़ियों की तरह जमा था उसे निर्वस्त्र करना चाहा उसने दुख पहन रखा था जिसे उतारना संभव नहीं था।…
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