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फूलों की महक | Phoolon Ki Mehek

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Manage episode 295365377 series 2910886
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इस कविता में नीम के फूलों की महक कुँवर नारायण को कभी अपनी माँ, कभी अपने पिता, कभी अपने बचपन तो कभी अपनी पूरी संस्कृति की याद दिलाती है - वह संस्कृति जहां मानवता और प्रकृति एक दूसरे में पूरी तरह घुले मिले हुए हैं।

The smell of Neem flowers reminds Kunwar Narain, sometimes of his mother, sometimes of his father, sometimes of his childhood, and sometimes of his entire culture. A culture where nature and humanity, are completely integrated with each other.

कविता / Poem – नीम के फूल | Neem Ke Phool

कवि / Poet – कुँवर नारायण | Kunwar Narain

पुस्तक / Book - प्रतिनिधि कविताएँ (कुँवर नारायण)
संस्करण / Publisher - राजकमल प्रकाशन (2016)

Scripted and Hosted by Kartikay Khetarpal
Produced by Nithin Shamsudhin
Logo and Graphics Design by Abhishek Verma

A Nayi Dhara Radio Production

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The smell of Neem flowers reminds Kunwar Narain, sometimes of his mother, sometimes of his father, sometimes of his childhood, and sometimes of his entire culture. A culture where nature and humanity, are completely integrated with each other.

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