पहाड़ों से बातें | Pahaadon Se Baatein
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गुलज़ार को शब्दों का चित्रकार माना जाता है। उनकी कविता 'थिंपू-भूटान' में एक पहाड़ हमसे इस तरह मुख़ातिब होता है, मानो हमारे परिवार का ही कोई बुज़ुर्ग हो - जो मानव जीवन की संकीर्णता को देखकर हैरान भी है और परेशान भी। Gulzar is known as a painter of words. In his poem 'Thimpu-Butan', he imagines the mountain to be an old relative. At once inquisitive, bemused, and concerned about the pettiness of human life. कविता / Poem – थिंपू-भूटान | Thimpu-Bhutan कवि / Poet – गुलज़ार | Gulzar पुस्तक / Book - Green Poems (Pg. 128) संस्करण / Publisher - Penguin Books (2014) Scripted and Hosted by Kartikay Khetarpal Produced by Nithin Shamsudhin Logo and Graphics Design by Abhishek Verma
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