पेड़ जो हमारे पड़ोसी हैं | Ped Jo Humaare Padosi Hain
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कुँवर नारायण अपनी कविताओं में अक्सर पेड़ों से बातें करते थे। उनकी कविता 'मेरा घनिष्ठ पड़ोसी' हमें एक ऐसे पेड़ से मिलवाती है जो न सिर्फ उनका पुराना पड़ोसी है बल्कि उनके सुख-दुख का साथी और उनका प्रिय मित्र भी है। तो चलिए उनकी आँखों से इस पेड़ को देखें ताकि हम भी अपने पड़ोसी पेड़ों से दोस्ती कर सकें। Kunwar Narain often spoke to trees in his poetry. In his poem 'Mera Ghanishth Padosi', he introduces us to one such tree who is not only an old neighbour but also a constant friend through life's changing seasons. Let's look at this tree through his eyes, so that we too can make friends with our tree neighbours. कविता / Poem - मेरा घनिष्ठ पड़ोसी | Mera Ghanishth Padosi कवि / Poet - कुँवर नारायण | Kunwar Narain पूरी कविता यहाँ पढ़ें / Read the entire poem here - https://www.hindi-kavita.com/In-Dino-Kunwar-Narayan.php#Dino21 A Nayi Dhara Radio Production Scripted and Hosted by Kartikay Khetarpal Produced by Nithin Shamsudhin Logo and Graphics Design by Abhishek Verma
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