*कहानीनामा( Hindi stories), *स्वकथा(Autobiography) *कवितानामा(Hindi poetry) ,*शायरीनामा(Urdu poetry) ★"The Great" Filmi show (based on Hindi film personalities) मशहूर कलमकारों द्वारा लिखी गयी कहानी, कविता,शायरी का वाचन व संरक्षण ★फिल्मकारों की जीवनगाथा ★स्वास्थ्य संजीवनी
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रसीदी टिकट Epi -22 (Rasidi Ticket ,Amrita pritam's Biography part-22)
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'ओन' सूरज का एक नाम था ,इसी लिए फ़िनिशियन्स ने जब यूरोप में एक नयी धरती की खोज की ,उसका नाम ऐल -ओन-डोन रखा ,जो आज लन्दन हैं। इंग्लैंड की जड़ें हिब्रू भाषा में हैं। बैल के लिए हिब्रू भाषा में 'ऐंगल' शब्द हैं। नई खोजी हुई धरती को उन्होंने ऐंगल-लैंड का नाम दिया ,जो आज इंग्लैंड है। नींद के होठों से जैसे सपने की महक आती है पहली किरण रात के माथे पर तिलक लग…
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रसीदी टिकट Epi -21 (Rasidi Ticket ,Amrita pritam's Biography part-21)
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1975 में मेरे उपन्यास "सागर और सीपियाँ के आधार पर जब 'कादम्बरी' फिल्म बन रही थी तो उसके डायरेक्टर ने मुझसे फिल्म का गीत लिखने के लिए कहा। ... जब मैं गीत लिखने लगी तो अचानक वह गीत सामने आ गया ,जो मैंने 1960 में इमरोज़ से पहली बार मिलने पर अपने मन की दशा के बारे में लिखा था। ..... तब मुझे लगा जैसे चेतना के रूप में मैं पन्द्रह बरस पहले की वह घड़ी फिर से…
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रसीदी टिकट -Epi-20 (Rasidi ticket, Amrita Pritam's biography part 20
14:30
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एकाग्र मन हो कर इश्वर से कहा था कि 'मेरी माँ को मत मारो' विश्वास हो गया था कि अब मेरी माँ की मृत्यु नहीं होगी ,क्योंकि ईशवर बच्चों का कहा नहीं टालता ,पर माँ की मृत्यु हो गयी दो औरतें हैं ,जिनमें एक औरत शाहनी है और दूसरी एक वेश्या ,शाह की रखेल............. उस समय मैं भी वहां थी ,जब यह पता चला कि लाहौर की प्रसिद्ध गायिका तमंचा जान वहां आ रही है। वह आ…
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रसीदी टिकट Epi --19 (Rasidi Ticket ,Amrita pritam's Biography)
10:55
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मैं जब रोमानिया से बल्गारिया जा रही थी ,रात बहुत ठंडी थी ,पास में अपने कोट के सिवाय कुछ नहीं था ,वही घुटने जोड़ कर ऊपर तान लिया था ,फिर भी जब उसे सर करर और खींचती थी ,तो पैरों में ठिठुरन लगती थी। न जाने कब मुझे नींद आ गयी। लगा ,सारे शरीर में गर्मी आ गयी हैं। बाकी रात खूब गर्माइश में सोती रही ....... नायक को जानती हूँ ,उस दिन से ,जिस दिन उसे साधुओं क…
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रसीदी टिकट ,भाग-18 Rasidi Ticket,Amrita pritams's Biography,EPI-18)
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यह मेरी ज़िन्दगी में पहला समय था, जब मैंने जाना कि दुनिया में मेरा भी कोइ दोस्त है, हर हाल में दोस्त ,और पहली बार जाना कि कविता केवल इश्क़ के तूफ़ान से ही नहीं निकलती ,यह दोस्ती के शांत पानियों में से भी तैरती हुई आ सकती है। उस रात को उसने नज़्म लिखी थी --"मेरे साथी ख़ाली जाम ,तुम आबाद घरों के वासी ,हम हैं आवारा बदनाम "..... और ये नज़्म उसने मुझे रात को …
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रसीदी टिकट, भाग -17 (Rasidi Ticket ,Amrita Pritam's biography,epi-17)
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.गर्मी हो या सर्दी मैं बहुत से कपडे पहन कर नहीं सो सकती। सो रही थी ,जब यह फोन आया था। उसी तरह रजाई से निकल कर फोन तक आयी थी। लगा ,शरीर का मांस पिघल कर रूह में मिल गया है ,और मैं प्योर नेकेड सोल वहां खड़ी हूँ....... उस रेतीले स्थान पर दो तम्बू लगे हुए थे। मेरी आँखों के सामने तम्बू के अंदर का दृश्य फ़ैल गया। मैं देखता हूँ कि इसमें एक पुरुष है जिसे मैं …
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रसीदी टिकट -भाग -16 (Rasidi ticket, Amrita pritam's biography, epi-16)
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समरकंद में मैंने भी ऐसी ही बात वहां के लोगों से पूछी थी कि आपका इज़्ज़त बेग़ जब हमारे देश आया और उसने एक सुन्दर कुम्हारन से प्रेम किया ,तो हमने में कई गीत लिखे। क्या आपके देश में भी उसके गीत हैं ? तो वहां एक प्यारी सी औरत ने जवाब दिया ,हमारे देश में तो एक अमीर सौदागर का बेटा था ,और कुछ नहीं। प्रेमी तो वह आपके देश जाकर बना ,सो गीत आपको ही लिखने थे ,हम …
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रसीदी टिकट -भाग -15 (Rasidi ticket,Amrita pritam's biography ,epi--15)
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इथोपिया के प्रिंस का मन छलक उठा "आप कवि लोग भाग्यशाली हैं वास्तविक संसार नहीं बसता तो कल्पना का संसार बसा लेते हैं ,मैं बीस बरस वॉयलान बजाता रहा ,साज़ के तारों से मुझे इश्क़ है ,पर युद्ध के दिनों में मेरे दाहिने हाथ में गोली लग गयी थी ,अब मैं वॉयलान नहीं बजा सकता ,संगीत जैसे मेरी छाती में जम गया है। .... इतिहास चुप है। ..... मैं भी कल से चुप हूँ। ...…
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रसीदी टिकट --भाग 14 (Rasidi Ticket ,Amrita Pritam's biography epi-14
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टॉलस्टॉय की एक सफ़ेद कमीज़ टंगी हुई है। पलंग की पट्टी पर मैं एक हाथ रखे खड़ी थी कि ....... दाहिने हाथ की खिड़की से हल्की सी हवा आयी ..... और ुउस टंगी हुई कमीज की बांह मेरी बांह से छू गयी ..... एक पल के लिए जैसे समय की सूईयाँ पीछे लौट गयीं , 1966 से 1910 पर आ गयीं और मैंने देखा शरीर पर सफ़ेद कमीज पहन कर वहां दीवार के पास टॉलस्टॉय खड़े हैं। .... फिर लहू की…
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रसीदी टिकट --भाग 13 (Rasidi Ticket , Amrita pritam's biography epi--13)
10:25
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अजीब अकेलेपन का एहसास है। हवाई जहाज़ की खिड़की से बाहर देखते हुए अच्छा लगता है ,जैसे किसी ने आसमान को फाड़कर उसके दो भाग कर दिए हों। प्रतीत होता है -- फटे हुए आसमान का एक भाग मैंने नीचे बिछा लिया है ,और दूसरा अपने ऊपर ओढ़ लिया है सोफ़िया के हवाई अड्डे पर बिलकुल अजनबी सी खड़ी हूँ। अचानक किसी ने लाल फूलों का गुच्छा हाथ में पकड़ा दिया है ,और साथ ही पूछा है ,…
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"रसीदी टिकट"-- भाग 12 ("Rasidi Ticket" Amrita pritam's biography part -12)
12:54
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हमने आज ये दुनियां बेची .... और दीन खरीद लाये ... बात क़ुफ़्र की ,की है हमने ... सपनों का इक थान बुना था.... गज़ एक कपड़ा फ़ाड़ लिया ... और उम्र की चोली सी ली हमने .... अंबर की इक पाक सुराही ... बादल का इक जाम उठाकर ... घूँट चांदनी पी है हमने ....हमने आज ये दुनिया बेची। ........ मैं औरत थी चाहे बच्ची सी और ये ख़ौफ़ विरासत में पाया था कि दुनिया के भयानक जंग…
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छोटी-छोटी कहानियां, वो कहानियां जो हम पढ़ते है सोशल मीडिया के बड़े बड़े प्लेटफ़ॉर्मस पर, छोटी छोटी कहानियां हमारे जीवन का आईना होती हैं ,इनमें हमारा अक्स दिखता है। छोटी छोटी कहानियां हमें बड़ी बड़ी सीख दी जाती हैं। सुनिये छोटी सी कहानी "खुशियों भरी पासबुक"
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स्वकथा - "रसीदी टिकट" -- भाग 11 ( "Rasidi Ticket" Amrita pritam's biography part- 11)
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एक सपना और था जिसने मेरी उठती जवानी को अपने धागों में लपेट लिया था। हर तीसरी या चौथी रात देखती थी कोइ दो मंज़िला मकान है, वो बिलकुल अकेला ,आसपास कोइ बस्ती नहीं ,चारो ओर जंगल है और जहाँ वो मकान है उसके एक तरफ नदी बहती है...... नदी की ओर उस मकान की दूसरी मंज़िल की एक खिड़की खुलती है। जहाँ कोई खड़ा खिड़की से बाहर जंगल के पेड़ों व नदी को देख रहा है। मुझे सिर…
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स्वकथा --"रसीदी टिकट" भाग -10 (Amrita Pritam's biography epi-10)
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महारानी एलिज़ाबेथ जिस युवक से मन ही मन प्यार करती हैं ,उसे जब समुद्री जहाज़ देकर काम सौंपती हैं ,तो दूरबीन लगाकर जाते हुए जहाज़ को देखकर परेशान हो जाती हैं । देखती हैं कि नौजवान प्रेमिका भी जहाज़ पर उसके साथ है। वे दोनों डैक पर खड़े हैं ,उस समय महारानी को परेशान देखकर उसका एक शुभचिंतक कहता है ,'मैडम ! लुक ए बिट हायर !' ऊपर ,उस नवयुवक और उसकी प्रेमिका के…
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स्वकथा--"रसीदी टिकट" भाग-9 ( Rasidi ticket, Amrita pritam's biography epi-9)
10:35
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किसी बहुत ऊंची ईमारत के शिखर पर मैं अकेले खड़े हो कर अपने हाथ में लिए हुए कलम से बातें कर रही थी --- 'तुम मेरा साथ दोगे ? --कितने समय मेरा साथ दोगे ?'अचानक किसी ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया। 'तुम छलावा हो ,मेरा हाथ छोड़ दो।' मैंने कहा , और ज़ोर से अपना हाथ छुड़ाकर उस ईमारत की सीढ़ियां उतरने लगी। मैं बड़ी तेज़ी से उतर रही थी , पर सीढ़ियां ख़त्म होने में नहीं आत…
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स्वकथा--"रसीदी टिकट" भाग -8 (Rasidi ticket ,Amrita pritam's biography,epi -8 )
9:23
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कहते हैं एक औरत थी। उसने बड़े सच्चे मन से किसी से मोहब्बत की। एक बार उसके प्रेमी ने उसके बालों में लाल गुलाब का फूल अटका दिया। तब औरत ने मोहब्बत के बड़े प्यारे गीत लिखे। 'वह मोहब्बत परवान नहीं चढ़ी। उस औरत ने अपनी ज़िंदगी समाज के गलत मूल्यों पर न्योछावर कर दी। एक असहाय पीड़ा उसके दिल में घर कर गयी,और वह सारी उम्र अपनी कलम को उस पीड़ा में डुबो कर गीत लिखत…
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स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग -7 ("Rasidi Ticket",Amrita Pritam's biography, epi-7)
15:56
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लाहौर में जब कभी साहिर मिलने के लिए आता था ,तो जैसे मेरी ही ख़ामोशी में से निकला हुआ खामोशी का एक टुकड़ा कुर्सी पर बैठता था और चला जाता था..... वह चुपचाप सिगरेट पीता रहता था ,कोई आधी सिगरेट पी कर राखदानी में बुझा देता था ,फिर नयी सिगरेट सुलगा लेता था ,और उसके जाने के बाद केवल सिगरटों के बड़े -बड़े टुकड़े कमरे में रह जाते थे। कभी ... एक बार उसके हाथ को छ…
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स्वाकथा - "रसीदी टिकट" भाग - 6 ( "Rasidi Ticket" ,Amrita Pritam's biography ,epi-6)
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दुखों की कहानियां कह -कहकर लोग थक गए थे ,पर ये कहानियां उम्र से पहले ख़त्म होने वाली नहीं थीं। मैंने लाशें देखी थीं ,लाशों जैसे लोग देखे थे ,और जब लाहौर से आकर देहरादून में पनाह ली ,तब नौकरी की और दिल्ली में रहने के लिए जगह की तलाश में दिल्ली आयी ,और जब वापसी का सफर कर रही थी ,तो चलती हुई गाड़ी में ,नींद आंखों के पास नहीं फाटक रही थी..... गाड़ी के बाह…
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स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग- 5 ("Rasidi Ticket", Amrita Pritam's biography epi-5)
11:44
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एक लंबा और सांवला सा साया था ,जब मैंने चलना सीखा ,तो मेरे साथ साथ चलने लगा। एक दिन वो आया ,तो उसके हाथ में एक काग़ज़ था ,उसकी नज़्म का। उसने नज़्म पढ़ी और वो काग़ज़ मुझे देते हुए जाने क्यों उसने कहा --" इस नज़्म में जिस जगह का ज़िक्र है ,वो जगह मैंने कभी देखी नहीं, और नज़्म में जिस लड़की का ज़िक्र है , वो लड़की कोइ और नहीं....." मैं काग़ज़ लौटाने लगी ,तो उसने कहा…
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"वह लड़की" --सआदत हसन मंटो लिखित कहानी
12:33
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सुरेंद्र दिल ही दिल में बहुत ख़फ़ीफ़ हो रहा था,उसने एक बार बुलंद आवाज़ में उस लड़की को पुकारा ,"ए लड़की !" लड़की ने फिर भी उसकी तरफ न देखा. झुंझला कर उसने अपना मलमल का कुरता पहना और नीचे उतरा।जब उस लड़की के पास पहुंचा तो वो उसी तरह अपनी नंगी पिंडली खुजला रही थी. सुरेंद्र उसके पास खड़ा हो गया। लड़की ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और सलवार नीची करके अपनी पिंडली ढांप …
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स्वकथा-"रसीदी टिकट"भाग-4("Rasidi Ticket",Amrita pritam's biography epi-4)
8:06
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ख़ुदा की जिस साज़िश ने यह सोलहवां वर्ष किसी अप्सरा की तरह भेज कर मेरे बचपन की समाधि भंग की थी, उस साज़िश की मैं ऋणी हूँ,क्योंकि उस साज़िश का संबंध केवल एक वर्ष से नहीं था, मेरी सारी उम्र से है।----अमृता प्रीतम,{रसीदी टिकट,---पाठ-6 ,सोलहवाँ साल
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स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग- 3 ("Rasidi Ticket", Amrita Pritam's biography epi-3)
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बाहर जब शारीरिक तौर पर मेरी बचकानी उम्र उनके पितृ -अधिकार से टक्कर न ले सकती ,तब मैं आलथी -पालथी मार के बैठ जाती ,आँखें मीच लेती ,पर अपनी हार को अपने मन का रोष बना लेती ---'आँख मीच कर अगर मैं ईश्वर का चिंतन न करूँ ,तो पिता जी मेरा क्या कर लेंगे ? जिस इश्वर ने मेरी वह बात नहीं सुनी,अब मैं उससे कोई बात नहीं करूंगी। उसके रूप का भी चिंतन नहीं करूंगी। अ…
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"The Great" Filmi Show "KEDAR SHARMA"
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केदार शर्मा हिंदी फिल्म जगत की नीव का पत्थर कहे जाते हैं। मूक फिल्मों के दौर से लेकर सन 1990 दशक तक हिंदी सिनेमा के हर दौर के साक्षी रहे केदार शर्मा फिल्मों के हर पक्ष के जानकार थे। अभिनेता ,फिल्म निर्माता- निर्देशक लेखक और गीतकार केदार शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी फनकार हुए हैं। केदार शर्मा पर केंद्रित "द ग्रेट" फ़िल्मी शो के इस अंक में आप केदार शर…
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स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग- 2 ("Rasidi Ticket", Amrita Pritam's biography epi-2)
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ये एक वह पल है .... ...... रसोई में नानी का राज होता था ,सबसे पहला विद्रोह मैंने उसी के राज में किया ........ न नानी जानती थी न मैं , की बड़े होकर ज़िन्दगी के कई बरस जिससे मैं इश्क़ करुँगी वह उसी मज़हब का होगा ,जिस मज़हब के लोगों के लिए घर के बर्तन भी अलग रख दिए जाते थे ------अमृता प्रीतम ,रसीदी टिकट (पाठ -३ )…
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स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग- 1 ("Rasidi Ticket", Amrita Pritam's biography epi-1)
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क्या ये क़यामत का दिन है ? ..... ज़िन्दगी के कई पल जो वक़्त की कोख से जन्मे ,और वक़्त की क़ब्र में गिर गए ,आज मेरे सामने खड़े हैं ⋯ये सब क़ब्रें कैसे खुल गईं ?..... और ये सब पल जीते जागते क़ब्रों में से कैसे निकल आये ? .... ये ज़रूर क़यामत का दिन है ..... ये 1918 की क़ब्र में से निकला एक पल है -----मेरे अस्तित्व से भी एक बरस पहले का। आज पहली बार देख रही हूँ ,…
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स्वकथा-रसीदी टिकट ( Rasidi Ticket - Amrita Pritam's biography)
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ज़िन्दगी जाने कैसी किताब है......जिसकी इबारत अक्षर-अक्षर बनती है ..... ,और फिर अक्षर-अक्षर टूटती . .बिखरती.. और बदलती है .... और चेतना की एक लम्बी यात्रा के बाद एक मुकाम आता है ,जब अपनी ज़िंदगी के बीते हुए काल का .. उस काल के हर- हादसे का . .. उसकी हर सुबह की निराशा का .. उसकी हर दोपहर की बेचैनी का ... उसकी हर संध्या की उदासीनता का ... और उसकी जागती …
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स्वकथा-रसीदी टिकट ( Rasidi Ticket - Amrita Pritam's biography)
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पंजाबी व हिंदी भाषा की सशक्त लेखिका व कवियत्री अमृता प्रीतम की आत्मकथा पाठक व श्रोता को उस दुनिया में विचरण कराती है जहाँ सपनों का काल्पनिक संसार मूर्त रूप में घटित होता है। उनका ये संसार किसी को बंधक नहीं बनाता बल्कि विश्वास की डोर थाम कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है। अंतरात्मा के लिए ये मुक्ति जितनी सहज और सरल है उतनी कठिन भी है ,जितनी सामाजिक है उत…
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खोल दो बंद दरवाज़ा--जयंती रंगनाथन लिखित कहानी(Khol do band darwaza..story by Jayanti rangnathan)
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महानगरीय जीवन के आपाधापी भरे जीवन के बीच मानवीय संवेदनाओं के स्पंदन की कहानी है "खोल दो बंद दरवाज़ा" मशहूर पत्रकार व लेखिका जयंती रंगनाथन द्वारा लिखित ये कहानी हृदय के गुबार को चीर कर मन के दरवाजों को खोलने व उन्मुक्त उड़ान का संदेश देती है।
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खोल दो ! सआदत हसन मंटो लिखित कहानी("KHOL DO"Story by Saadat Hasan Manto)
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1947 में देश का बंटवारा हुआ। लाखों लोग लापता हुए,अपनो से बिछुड़े, और मारे गए। इस त्रासदी को मंटो ने नज़दीक से देखा।मार काट देखी,आम आदमी को शैतान बनते देखा। इस त्रासदी की विडंबना रही के रक्षक ही भक्षक बने। इसी बिंदु को केन्द्र में रख कर लिखी गयी कहानी है "खोल दो"।विभाजन के वक़्त अपने पिता से बिछुड़ी 17 वर्ष की खूसूरत लड़की सकीना को जनता के मददगार कहे जान…
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धन्नों--अमृता प्रीतम लिखित कहानी( Dhanno-story by Amrita preetam
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अमृता प्रीतम लिखित "धन्नों"समाज में अपने दम पर अकेली जीने वाली उस औरत की कहानी है जिसका हथियार उसकी ज़ुबान है।अपनी ज़ुबान से समाज का सच उधेड़ कर नंगा कर देने वाली धन्नों अपने जीवन के अंत में एक बेहतरीन और अनुकरणीय मिसाल समाज के सामने रख जाती है। क्या थी वो मिसाल ? जानने के लिए सुनिए कहानी "धन्नों"
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नीचे के कपड़े(Neeche ke kapde)Story by Amrita preetam
14:03
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"नीचे के कपड़े" अमृता प्रीतम की दस प्रतिनिधि कहानियों में शुमार है।ये कहानी मन और बदन ,पूरे और अधूरे, उजागर और छिपे रिश्तों को बयां करती है। खानाबदोश औरतों की रवायत है कि वे अपनी कमर पर पड़ी नेफे की लकीर पर उसका नाम गुदवाती हैं जिस से वे मोहब्बत करती हैं। सिवाय ईश्वर की आंख के कोई भी किसी औरत का कमर से नीचे का बदन नहीं देख सकता। इस कहानी के पात्र अक्…
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लटिया की छोकरी (epi-2)Latiya ki chhokri(part-2)
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लटिया की छोकरी अमृता प्रीतम की दस प्रतिनिधि कहानियों में से एक है।ये कहानी निडर और साहसी आदिवासी लड़की चारु के अंतर्व्यथा और प्रतिशोध के अभिव्यक्ति है।ये कहानी दो भागों में upload की गई है।ये लटिया की छोकरी का दूसरा भाग है।पहला भाग सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं।https://anchor.fm/sukhnandan-bindra/episodes/epi-1Latiya-ki-chhokripart-1-eu53g6…
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लटिया की छोकरी(epi-1)Latiya ki chhokri(part-1)
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लटिया की छोकरी अमृता प्रीतम द्वारा लिखी गयी दस प्रतिनिधि कहानियों में से एक है। ये कहानी में निडर आदिवासी लड़की चारु की अंतर्व्यथा और प्रतिशोध का बड़ा मार्मिक चित्रण है।ये कहानी दो भागों में upload की गई है।ये इसका पहला भाग है।दूसरा भाग सुनने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।. https://anchor.fm/sukhnandan-bindra/episodes/epi-2Latiya-ki-chhokripart-…
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"शाह की कंजरी"अमृता प्रीतम लिखित कहानी(Shah ki kanjaree"--story by Amrita Preetam)
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अमृता प्रीतम लिखित कहने "शाह की कंजरी" समाज के दोगलेपन और स्त्री के मन का गहन चित्रण प्रस्तुत करती है
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Kahani Wali Kudi !!!(कहानी वाली कुड़ी) (Trailer)
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