स्वकथा -"रसीदी टिकट" भाग- 5 ("Rasidi Ticket", Amrita Pritam's biography epi-5)
Manage episode 317080068 series 3275321
एक लंबा और सांवला सा साया था ,जब मैंने चलना सीखा ,तो मेरे साथ साथ चलने लगा।
एक दिन वो आया ,तो उसके हाथ में एक काग़ज़ था ,उसकी नज़्म का। उसने नज़्म पढ़ी और वो काग़ज़ मुझे देते हुए जाने क्यों उसने कहा --" इस नज़्म में जिस जगह का ज़िक्र है ,वो जगह मैंने कभी देखी नहीं, और नज़्म में जिस लड़की का ज़िक्र है , वो लड़की कोइ और नहीं....."
मैं काग़ज़ लौटाने लगी ,तो उसने कहा --"यह मैं वापस ले जाने के लिए नहीं लाया। "
तब रात को आसमान के तारे मेरे दिल की तरह धड़कने लगे ,और फिर जब मैं कोइ नज़्म लिखती ,लगता मैं उसे खत लिख रही हूँ।
अचानक कई पतझड़ एक साथ आ गए ,उसने बताया कि अब उसे मेरे शहर से चले जाना है। रोटी रोज़ी का तकाज़ा था ,और उस शाम उसने पहली बार मेरी नज़्में माँगी और मेरी एक तस्वीर माँगी।
फिर , अखबारें ,किताबें, जैसे मेरे डाकिये हो गयीं और मेरी नज़्में मेरे ख़त हो हो गए उसकी तरफ।
Rasidi Ticket part 5
lesson --7+8
Uska Saaya + Khamoshi ka ek dayara
35 एपिसोडस