"वह लड़की" --सआदत हसन मंटो लिखित कहानी
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सुरेंद्र दिल ही दिल में बहुत ख़फ़ीफ़ हो रहा था,उसने एक बार बुलंद आवाज़ में उस लड़की को पुकारा ,"ए लड़की !"
लड़की ने फिर भी उसकी तरफ न देखा. झुंझला कर उसने अपना मलमल का कुरता पहना और नीचे उतरा।जब उस लड़की के पास पहुंचा तो वो उसी तरह अपनी नंगी पिंडली खुजला रही थी.
सुरेंद्र उसके पास खड़ा हो गया। लड़की ने एक नज़र उसकी तरफ देखा और सलवार नीची करके अपनी पिंडली ढांप ली .
लड़की का चेहरा और ज़्यादा सांवला हो गया,"तुम क्या चाहते हो ?"
सुरेंद्र ने थोड़ी देर अपने दिल को टटोला,"मैं क्या चाहता हूँ मैं कुछ नहीं चाहता. मैं घर में अकेला हूँ ,अगर तुम मेरे साथ चलोगी तो बड़ी मेहरबानी होगी "
लड़की के गहरे सांवले होठों पर अजीब-ओ-गरीब किस्म की मुस्कराहट नुमूदार हुई ,"मेहरबानी ... काहे की मेहरबानी ... चलो !"
और दोनों चल दिए।
उर्दू के अग्रणी लेखकों में से एक सआदत हसन मंटो लिखित कहानी "वह लड़की" विभाजन की उस त्रासदी से छलके दर्द की परिणति है,जब धर्म के आधार पर आंदोलन भड़के और भारत दो भागों में बंट गया ।
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