शैतान कैसे परमेश्वर की सेवा करता है
Manage episode 374181286 series 3247075
देखो, धैर्य रखने वालों को हम धन्य समझते हैं। तुमने अय्यूब के धैर्य के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु के व्यवहार के परिणाम को देखा है कि प्रभु अत्यन्त करुणामय और दयालु है। (याकूब 5:11)
प्रत्येक रोग और विकलांगता के पीछे परमेश्वर की ही परम इच्छा पाई जाती है। ऐसी बात नहीं है कि इनमें शैतान का हाथ नहीं है—सम्भवतः विनाशकारी उद्देश्यों के साथ किसी न किसी रीति से उसका हाथ इन बातों में पाया जाता है (प्रेरितों के काम 10:38)। परन्तु उसकी शक्ति निर्णायक नहीं है। वह परमेश्वर की अनुमति के बिना कोई कार्य नहीं कर सकता है।
अय्यूब के रोग द्वारा प्राप्त शिक्षाओं में से एक शिक्षा यही है। वह स्थल स्पष्ट करता है कि जब अय्यूब पर रोग आया, “तो शैतान ने. . . अय्यूब को भंयकर फोड़ों से पीड़ित किया’’(अय्यूब 2:7)। उसकी पत्नी ने उससे कहा कि परमेश्वर की निन्दा कर। परन्तु अय्यूब ने कहा, “क्या हम परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुख न लें?” (अय्यूब 2:10)। और फिर से इस पुस्तक का उत्प्रेरित लेखक (जैसे कि उसने 1:22 में कहा था) यह कहकर अय्यूब की सराहना करता है “इन सब बातों में अय्यूब ने अपने मुँह से पाप नहीं किया।’’
दूसरे शब्दों मेःं यह शैतान के ऊपर परमेश्वर की सम्प्रभुता का सही दृष्टिकोण है। शैतान वास्तविक है और हमारी विपत्तियों में उसका हाथ हो सकता है, परन्तु उसका हाथ न तो परम है और न ही निर्णायक होता है।
याकूब स्पष्ट करता है कि अय्यूब के सभी कष्टों में परमेश्वर का उद्देश्य भला थाः “तुमने अय्यूब के धैर्य के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु के व्यवहार के परिणाम को देखा है कि प्रभु अत्यन्त करुणामय और दयालु है” (याकूब 5:11)।
इसलिए भले ही शैतान इसमें सम्मिलित था फिर भी परम उद्देश्य तो परमेश्वर ही का था, और वह “करुणामय और दयालु” था।
यह वही पाठ है जिसे हम 2 कुरिन्थियों 12:7 से सीखते हैं, जहाँ पौलुस कहता है कि उसकी देह में चुभाया गया काँटा “शैतान का एक दूत” था और फिर भी वह पौलुस को उसकी स्वयं की पवित्रता के उद्देश्य से दिया गया था — उसको घमण्डी बनने से रोकने के लिए। “इसलिए प्रकाशनों की अधिकता के कारण, मेरी देह में एक काँटा चुभाया गया है, अर्थात् शैतान का एक दूत कि वह मुझे दुःख दे और घमण्ड करने से रोके रहे!”
अब, इस क्लेश में शैतान का उद्देश्य नम्रता नहीं है। जिसका अर्थ है कि यह तो परमेश्वर का उद्देश्य है। इसका अर्थ है कि पौलुस के जीवन में परमेश्वर के भले उद्देश्यों को पूरा करने के लिए यहाँ परमेश्वर द्वारा शैतान का उपयोग किया गया है। वास्तव में, परमेश्वर की चुनी हुई सन्तानों के लिए, शैतान हमें नाश नहीं कर सकता है, और परमेश्वर शैतान के सभी आक्रमणों को अन्ततः शैतान के ही विरुद्ध और हमारे लिए परिवर्तित कर देता है।
--- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/marg-satya-jeevan/message
778 एपिसोडस