हिन्द की सेना (Indian Army)
Manage episode 325088509 series 3337254
हिमालय की बर्फीली ऊँचाइयों से, हिन्द महासागर की अथाह गहराइयों तक।
पूर्वोत्तर के प्रचंड झंझावतों व सघन वर्षा वनों से, थार की गर्म शुष्क हवाओं तक।
हिंदुस्तान के कोने कोने में आलोकित है, इनके स्वेद और शोणित की चमक।
और अनंत काल तक गूँजेगी, सेना-ए-हिन्द की जोशीली ललकारो की खनक।
माँ भारती की सीमा-औ-सम्मान-सुरक्षा पर, ये सदैव शीश अर्पण को तत्पर।
कभी मुड़े ना कभी रुके ना कभी डरे ना, जब जब आया बलिदान का अवसर।
आशंकित हृदय से करते हैं प्रतीक्षा, इनके घर पर भी इनके प्यारे परिजन।
पर विशाल वज्र वक्ष विस्तृत है इतना की, हर भारतवासी है इनका स्वजन।
पर क्यों कर इनके बलिदान के किस्से, हम याद करते हैं बस एक दो दिन।
देश प्रेम एक निरंतर बहती नदिया है, यदि ये भूले तो आजादी जायेगी छिन।
मेरी प्रार्थना पर गौर करो मेरे देशवासियों, अगर चाहते हो सच्ची श्रद्धांजलि देना।
तो निज कर्तव्य की करो पूर्ति निष्ठा से यूँ, कि नाज हम पे करे ये हिन्द की सेना।
~ विवेक (सर्व अधिकार सुरक्षित)
स्वरचित व मौलिक
Write 2 me on HindiPoemsByVivek@gmail.com
--- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/vivek-agarwal70/message94 एपिसोडस