Gospel of John Audio Bible in Hindi | Chapter 19 | संत योहन रचित सुसमाचार | Catholic Audio Bible
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संत योहन रचित सुसमाचार अध्याय 19 प्रभु येसु के दुःखभोग, क्रूस मरण और दफ़न का वर्णन है। संत योहन अन्य तीनों सुसमाचारों में जो बातें नहीं मिलती हैं, वैसे कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को संत योहन हमें बताते हैं।
- अपनी माता को नयी सृष्टि की माँ के रूप में प्रभु द्वारा घोषणा।
- प्रभु के हृदय का छेदन का वर्णन जो प्रभु को आदम और उनके बगल से उनकी वधु, कलीसिया के जन्म को प्रकट करता है।
(इस महान रहस्य को ठीक से समझने योहन रचित सुसमाचार के परिचय को देखिये। संत योहन प्रभु येसु को आदम और उनकी माँ को उत्पत्ति ग्रन्थ में ईश्वर द्वारा घोषित "स्त्री" के रूप में प्रकट करते हैं। और भी बहुत सारी विशेष बातें हैं।)
काँटों का मुकुट - बैंगनी कपडा और काँटों का मुकुट, प्रभु को राजा जैसे दिखाता है। प्रभु इस दुनिया के राजा नहीं, बल्कि हमारे दया-के-राजा या अनुग्रह-के-राजा हैं।
प्राणदण्ड की आज्ञा - काँटों का मुकुट और बैगनी कपडा पहने हुए प्रभु को पिलातुस लोगों के सामने यह कहकर प्रस्तुत किया, "यही है वह मनुष्य!"। लम्बी सुनवाई के बाद पुनः प्रभु को यह कहकर लोगों के सामने लाया, "यही ही तुम्हारा राजा!"। लोगों की मांग के अनुसार पिलातुस प्रभु की प्राणदण्ड की आज्ञा देता है।
क्रूस-आरोपण - ख्रीस्त राजा अपना सिंहासन स्वयं ढोते हुए गोलगोथा गए। वहाँ क्रूस पर विराजित हुए और उनके ऊपर उनकी पहचान-पत्र रखा हुआ था - "ईसा नाज़री यहूदियों का राजा।"
हमारे राजा के बारे में इब्रानियों के नाम पत्र में लिखा हुआ है, "इसलिए हम भरोसे के साथ अनुग्रह के सिंहासन के पास जायें, जिससे हमें दया मिले और हम वह कृपा प्राप्त करें, जो हमारी आवश्यकताओं में हमारी सहायता करेगी।" (इब्रानियों के नाम पत्र 4:16)
ईसा की माता - पुराने विधान में हम राजा सुलेमान को देखते हैं, वे उनकी माँ को राज-माता का दर्जा देखर अपने सिंहासन के पास ही बैठाया था। वैसे ही यहाँ प्रभु येसु, राजा दाऊद का पुत्र, अपनी माँ को अपने "अनुग्रह के सिंहासन के पास" स्थान दिया है, ताकि वह भी अपनी प्रजा की राज-माता के रूप में उनके लिए कार्य करें।
इसलिए प्रभु अपनी प्रजा को उनके हाथों सौंपते हैं। उनका प्रिय शिष्य उनकी प्रजा के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ खड़ा था।
ईसा की मृत्यु - संत योहन रचित सुसमाचार में ही क्रूसित प्रभु कहते हैं, "मैं प्यासा हूँ" और "सब पूरा हो चुका है"। और इसी में ही प्रभु खट्ठी अंगूरी चखते हैं। क्यों? यहाँ क्या पूरा होता है? उनका मिशन? अंगूरी चखने से ही क्या पूरा हुआ? अन्य सुसमाचारों में इसका वर्णन नहीं है, तो संत योहन ही क्यों इसका वर्णन करते हैं और उसके बाद ही "सब पूरा" होता है?
पास्का-भोज वास्तव में यहीं समाप्त होता है। योहन रचित सुसमाचार में पवित्र यूखरिस्त की स्थापना का वर्णन नहीं है। संत योहन प्रभु को ईश्वर के मेमने के रूप में भी प्रकट करते हैं। यह को साधारण मेमना नहीं "पास्का का मेमना" हैं। वे अपना प्राण अपनों के लिए अर्पित करते हैं।
अन्य सुसमाचारों को, विशेष रूप से मारकुस रचित सुसमाचार, ध्यान से पढ़ने से हमें पता चलता है कि प्रभु अपने शिष्यों के साथ 3 बार ही दाखरस पिये जो कि पास्का भोज को अपूर्ण बनता है। संत योहन रचित सुसमाचार के पहले ही अन्य तीनों सुसमाचार लिखे जा चुके थे। इसलिए संत योहन उन बातों को दोहराते नहीं हैं।
लेकिन क्रूस पर खट्ठी अंगूरी चखकर पास्का भोज को पूरा करना जरुरी था। इस प्रकार संत योहन अंतिम-भोज (पास्का-भोज) और क्रूस बलिदान को एक साथ रखते हैं। दोनों एक ही घटना के दो खंड हैं जैसे मानो मूवी के दो खंड होते हैं।
हृदय का छेदन - यह भी संत योहन रचित सुसमाचार में पायी जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण घटना है।
प्रथम सृष्टि में आदम के बगल से ही हेवा निकली गयी थी। नयी सृष्टि में प्रभु ही नए आदम हैं और उनके बगल से उनकी वधु, कलीसिया का जन्म होता है।
ईसा का दफ़न - हृदय का छेदन के साथ-साथ प्रभु का दफ़न इस सच्चाई को भी प्रकट करता है कि प्रभु सचमुच मरे। क्योंकि जैसे मुसलमानों की गलत शिक्षा है कि प्रभु वास्तव में मरे नहीं, इस प्रकार पहले भी गलत शिक्षा दी जा रही थी।
इन महत्त्वपूर्ण बातों को ध्यान में रख कर संत योहन रचित सुसमाचार अध्याय 19 को पढ़िए।
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