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एन एल चर्चा 85: हाउडी मोदी, शिवपुरी में दलित बच्चों की हत्या और अन्य

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इस सप्ताह एनएल चर्चा में जो विषय शामिल हुए उनमें अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम 'हाउडी मोदी', कश्मीर और भारत-पाक के संबंधों के ऊपर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का बयान, 16 साल की युवा कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग का भाषण, टेलीग्राफ के एडिटर द्वारा बाबुल सुप्रियो पर गाली गलौज का आरोप, शरद पवार को ईडी का नोटिस और हमारे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को दिया गया दादा साहब फाल्के सम्मान आदि विषय शामिल रहे. मध्य प्रदेश में दो दलित बच्चों को खुले में शौच करने की वजह से की गई हत्या पर विशेष चर्चा हुई.चर्चा में लेखक और पत्रकार अनिल यादव में साथ ही टेलीविजन पत्रकार स्मिता शर्मा भी शामिल हुए. कार्यक्रम का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया है. चर्चा की शुरुआत अतुल चौरसिया ने खुले में शौच करने की वजह से मध्य प्रदेश में मारे गए दलित बच्चों के मामले से की. जिस जिले में बच्चों की हत्या की गई वो जिला खुले में शौच से मुक्त हो चुका है. उसके बाद इस तरह के मामले का सामने आया है? इन बच्चों की हत्या सवर्ण बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले किसी शख्स ने नहीं किया बल्कि ओबीसी से संबंध रखने वाले दो लोगों ने किया है. यह हमारी जाति व्यवस्था का एक और घिनौना सच है जिसमें पिछड़ी जातियां भी दलितों की शोषक दिखाई देती हैं, जबकि वे स्वयं जाति व्यवस्था के पीड़ित हैं.इस पर अनिल यादव ने बताया कि हमारे समाज के हर पायदान पर जाति ही अंतिम सत्य है. हमारे यहां तमाम राजनीति दल जाति के आधार पर ही टिकट देती है. लेकिन मध्य प्रदेश वाली जो घटना है उसके मूल में शौचालय या उस जिले का खुले से शौच मुक्त होना नहीं है. इसमें कोई दो राय नहीं कि शौचालय जो बने है उनमें से ज़्यादातर तो ख़राब ही है. हालांकि इस घटना के मूल में जातीय नफऱत है. जिन बच्चों की हत्या हुई है उसके पिताजी से हत्यारे अपने यहां कम पैसे में मज़दूरी कराना चाहते थे. उसने मना कर दिया तो उसकी खुन्नस उन्होंने बच्चों पर निकली. यह जो नफऱत है वो पूरे भारत में फैली हुई है. और इस तरह की घटनाएं हर रोज हो रही है.इसी मुद्दे पर बोलते हुए पत्रकार स्मिता शर्मा ने कहा, "निश्चित रूप से इस तरह की खबरें परेशान करती हैं. सुबह-सुबह जब उन बच्चों का शव सफेद कपड़े में लिपटा हुआ दिखा. वो भी उस कुटिया में जहां कोई सुविधा है ही नहीं. दूसरी तरफ आप खुले में शौच से मुक्त की बात कर रहे है. वो तस्वीर दिल दहलाने वाली है. यह तस्वीर हमें तब देखने को मिलती है जब हमारे प्रधानमंत्री विदेश में जाकर अलग-अलग भाषाओं में कहते हैं भारत में सब ठीक है. भारत की गुलाबी तस्वीर दिखाते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं कि जातीय तल्खियां हैं. लेकिन जो आग लगाई जा रही है. मॉब लिंचिंग की सूरत में हमें नज़र आ रहा है. ये आग रुक नहीं रही है और ये हमारे लिए बहुत चिंता होनी चाहिए. लोग आज सोचते हैं कि वे मॉब लिंचिंग से अछूते हैं. लेकिन ये जो भीड़ है. जिसका कोई चेहरा नहीं होता. जो सोचते हैं कि वे इस भीड़ से बचे रहेंगे मुझे लगता है उन लोगों को सोचने की ज़रूरत है."चर्चा की आखिरी में अनिल यादव ने केरल के कवि रहीम पोन्नड की लिखी कविता 'भाषा निरोधनम' का पाठ किया.

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