पुराने नियम के कौन सी प्रतिज्ञाएँ मुझ पर लागू होती हैं/Which Old-Testament Promises Apply to Me?
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पुराने नियम के कौन सी प्रतिज्ञाएँ मुझ पर लागू होती हैं
Which Old-Testament Promises Apply to Me?
जतिन, नाम के एक पॉडकास्ट श्रोता ने इस प्रश्न को भेजा है: “पास्टर जॉन, मैं प्राय: पुराने नियम के कुछ भागों (विशेष रूप से भविष्यवाणी की पुस्तकों) का अर्थानुवाद और लागूकरण करने में संघर्ष करता हूँ, जहाँ परमेश्वर का वचन इस्राएल राष्ट्र के रूप में परमेश्वर के लोगों से बोला जा रहा था। हम यह कैसे परख सकते हैं कि क्या इस्राएल को दी गई चेतावनियाँ या प्रतिज्ञाएँ, अन्य राष्ट्रों, विश्वव्यापी कलीसिया में ख्रीष्ट की देह, या यहाँ तक कि व्यक्तिगत रूप से स्वयं पर भी लागू होती हैं या नहीं? इनके अर्थ को इस्राएल से अन्य आधुनिक समय के श्रोताओं तक ले जाने में क्या लाभ या खतरे हो सकते हैं? 2 इतिहास 7:14 इसका एक उदाहरण है।”
पास्टर जॉन आप जतिन से क्या कहेंगे?
मैं प्रयास करूँगा कि कुछ बहुत ही जटिल बातों को सरल बनाऊँ तथा दो-चरण की एक ऐसी प्रक्रिया प्रदान करूँ जो जतिन तथा हम सब ख्रीष्टियों को और विशेष रूप से 21वीं शताब्दी के ख्रीष्टियों को पुराने नियम की प्रतिज्ञाओं को उपयोग करने में सहायता प्रदान करे।
यह है पहला चरण: 2 कुरिन्थियों 1:20 कहता है, “परमेश्वर की सभी प्रतिज्ञाएँ उस [ख्रीष्ट] में अपना हाँ पाती हैं। यही कारण है कि हम उसके द्वारा परमेश्वर के सम्मुख उसकी महिमा के लिये आमीन बोलते हैं।” अब, मैं सोचता हूँ कि इसका अर्थ है कि ख्रीष्ट, अर्थात् मसीहा के साथ मिलन में, ख्रीष्टीयगण पुराने नियम की सभी प्रतिज्ञाओं के उत्तराधिकारी बन जाते हैं। और इस बात को समझाने के अलग-अलग उत्तर हैं कि ऐसा क्यों है। उनमें से एक उत्तर यह है कि यहूदी मसीहा अर्थात् यीशु ख्रीष्ट के साथ आत्मिक मिलन में, हम ख्रीष्टीय लोग मसीहाई लोग बन गए हैं। और अब हम सच्चा इस्राएल हैं, तथा सच्चे इस्राएल से की गई सभी प्रतिज्ञा की बातों के उत्तराधिकारी भी हैं।
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