पाँच कारण कि मरना लाभ है
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क्योंकि मेरे लिए जीवित रहना तो ख्रीष्ट, और मरना लाभ है। (फिलिप्पियों 1:21)
मरना “लाभ” कैसे है?
1) हमारी आत्माएँ सिद्ध की जाएँगी (इब्रानियों 12:22-23)।
परन्तु तुम तो सिय्योन पर्वत के और जीवित परमेश्वर के नगर स्वर्गीय यरूशलेम में तथा असंख्य स्वर्गदूतों के पास, और महासभा अर्थात् उन पहिलौठों की कलीसिया के समीप जिनके नाम स्वर्ग में लिखे हैं, और सब के न्यायाधीश परमेश्वर और सिद्ध किए हुए धर्मियों की आत्माओं की उपस्थिति में [आए हो]।
तब हम में कोई भी पाप नहीं रहेगा। हम आन्तरिक युद्ध और उस प्रभु को अपमानित करने की हृदयविदारक निराशाओं से छुटकारा पा लेंगे, जिसने हमसे प्रेम किया और हमारे लिए स्वयं को दे दिया।
2) हम इस संसार की पीड़ा से मुक्त हो जाएँगे (लूका 16:24-25)।
पुनरुत्थान का आनन्द अभी हमारा नहीं होगा, परन्तु हमें पीड़ा से मुक्ति का आनन्द होगा। यीशु मृत्यु के समय में होने वाले उस महान उलटफेर को दिखाने के लिए लाजर और धनी पुरुष की कहानी सुनाता है।
“तब [धनी पुरुष] ने पुकार कर कहा, ‘हे पिता अब्राहम, मुझ पर दया कर। लाजर को भेज कि वह अपनी उंगली का सिरा पानी में डुबोकर मेरी जीभ को ठण्डा करें, क्योंकि मैं इस ज्वाला में पड़ा तड़प रहा हूँ।’ परन्तु अब्राहम ने कहा, ‘हे पुत्र, स्मरण कर कि तू अपने जीवन में सब अच्छी वस्तुएँ प्राप्त कर चुका है और इसी प्रकार लाजर बुरी वस्तुएँ; पर अब वह यहाँ शान्ति पा रहा है और तू पीड़ा में पड़ा तड़प रहा है।”
3) हमें अपने प्राणों में गहन विश्राम दिया जाएगा (प्रकाशितवाक्य 6:9-11)।
परमेश्वर की देखभाल में ऐसी शान्ति होगी जो कि हमने अपने सबसे सुखद क्षणों में सर्वाधिक शान्तिपूर्ण झील के किनारे, गर्मियों की अत्यन्त सुखदायी शाम में जो कुछ भी जाना है, वह उससे कहीं अधिक बढ़कर होगा।
तो मैंने वेदी के नीचे उनके प्राणों को देखा जो परमेश्वर के वचन तथा उसकी निरन्तर साक्षी के कारण वध किए गए थे। वे उच्च स्वर से पुकार कर कह रहे थे, “हे पवित्र और सच्चे प्रभु, तू कब तक न्याय न करेगा? तथा कब तक पृथ्वी के निवासियों से हमारे रक्त का प्रतिशोध न लेगा?” उनमें से प्रत्येक को श्वेत चोगा दिया गया, और उनसे कहा गया, थोड़ी देर तक और विश्राम करो।
4) हम ऐसा गहन अनुभव करेंगे मानो कि हम घर आ गए हैं (2 कुरिन्थियों 5:8)।
अतः हम पूर्णतः साहस रखते हैं तथा देह से अलग होकर प्रभु के साथ रहना और भी उत्तम समझते हैं।
सम्पूर्ण मानव जाति यद्यपि इस बात से अनभिज्ञ है किन्तु वह परमेश्वर के पास वापस अपने घर जाने के लिए उत्सुक है। जब हम ख्रीष्ट के पास घर जाते हैं, तो वहाँ पर एक ऐसी सन्तुष्टि होगी जो हमारे द्वारा अनुभव की गई किसी भी सुरक्षा और शान्ति की भावना से परे है।
5) हम ख्रीष्ट के साथ होंगे (फिलिप्पियों 1:21-23)।
ख्रीष्ट पृथ्वी पर किसी भी व्यक्ति से अधिक अद्भुत है। वह उन सब से अधिक बुद्धिमान, सामर्थी और दयालु है जिनके साथ आपको समय व्यतीत करना अच्छा लगता है। वह असीम रूप से रोचक है। वह ठीक-ठीक जानता है कि अपने अतिथियों को जितना सम्भव हो सके उतना हर्षित करने के लिए हर क्षण उसे क्या करना और क्या कहना चाहिए। उसका प्रेम और उसकी असीम अन्तर्दृष्टि इस बात में उमण्डती है कि वह अपने प्रियजनों को प्रेम की अनुभूति कराने के लिए उस प्रेम का उपयोग कैसे करे। इसलिए पौलुस ने कहा,
क्योंकि मेरे लिए जीवित रहना तो ख्रीष्ट, और मरना लाभ है। परन्तु यदि सदेह जीवित रहूँ तो इसका अर्थ मेरे लिए फलदायी परिश्रम है; परन्तु मैं किस बात को चुनूँ, यह नहीं जानता। मैं इन दोनों के बीच असमञ्जस में पड़ा हूँ। मेरी लालसा तो यह है कि कूच करके ख्रीष्ट के पास जा रहूँ, क्योंकि यह अति उत्तम है।
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