क्रिसमस स्वतन्त्रता के लिए है। | दिन- 19
Manage episode 350116626 series 3247075
अतः जिस प्रकार बच्चे माँस और लहू में सहभागी हैं, तो वह आप भी उसी प्रकार उनमें सहभागी हो गया, कि मृत्यु के द्वारा उसको जिसे मृत्यु पर शक्ति मिली है, अर्थात् शैतान को, शक्तिहीन कर दे, और उन्हें छुड़ा ले जो मृत्यु के भय से जीवन भर दासत्व में पड़े थे।
इब्रानियों 2:14–15
यीशु मनुष्य बन गया क्योंकि ऐसे मनुष्य की मृत्यु की आवश्यकता थी जो एक मनुष्य से अधिक था। देहधारण, परमेश्वर द्वारा स्वयं को मृत्यु दण्ड के लिए नियुक्त करना था।
ख्रीष्ट ने केवल मृत्यु का संकट ही नहींं उठाया। किन्तु उसने मृत्यु का चुनाव किया। उसने उसे गले लगा लिया। ठीक यही वह कारण है जिसके लिए वह आया: “सेवा कराने नहीं, वरन् सेवा करने और बहुतों की फिरौती के मूल्य में अपना प्राण देने” (मरकुस 10:45)।
कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि शैतान ने यीशु को जंगल में (मत्ती 4:1–11) और पतरस के द्वारा (मत्ती 16:21–23) क्रूस से विमुख करने का प्रयास किया! क्रूस शैतान का विनाश था। यीशु ने उसे कैसे नाश किया?
इब्रानियों 2:14 कहता है कि शैतान को “मृत्यु पर शक्ति मिली” है। इसका अर्थ है कि शैतान के पास मृत्यु को भयावह बनाने की क्षमता है। “मृत्यु पर शक्ति” वह शक्ति है जो मृत्यु के भय से मनुष्यों को बन्धन में रखती है। यह मनुष्यों को पाप में बनाए रखने की शक्ति है जिससे कि मृत्यु एक भयानक वास्तविकता के रूप में सामने आए।
परन्तु यीशु ने इस शक्ति को शैतान से छीन लिया। उसने उसको शस्त्रहीन कर दिया। उसने हमारे लिए धार्मिकता का एक कवच बनाया जो शैतान के दोषारोपण से हमारी प्रतिरक्षा करता है। उसने यह कैसे किया?
उसने यह अपनी मृत्यु के द्वारा किया, यीशु ने हमारे सभी पापों को मिटा दिया। और पाप रहित मनुष्य पर शैतान दोष नहीं लगा सकता है। क्षमा प्राप्त करके, हम अन्ततः अविनाशी हैं। शैतान की योजना थी कि वह स्वयं के न्यायालय में परमेश्वर के अनुयायियों पर परमेश्वर के दोष लगाने के द्वारा परमेश्वर के शासन को नष्ट करेगा। परन्तु अब, ख्रीष्ट में, हम पर कोई दण्ड की आज्ञा नहीं है। शैतान का राजद्रोह निरस्त कर दिया गया है। संसार में व्याप्त उसके विश्वासघात को विफल कर दिया गया है। “उसके क्रोध को हम सह सकते हैं, क्योंकि, उसका सर्वनाश निश्चित है।” क्रूस ने उसे पूर्णतया पराजित कर दिया है। और वह समय दूर नहीं जब वह अपनी अन्तिम साँस लेगा।
क्रिसमस स्वतन्त्रता के लिए है। मृत्यु के भय से स्वतन्त्रता के लिए।
यीशु ने बैतलहम में हमारा स्वभाव धारण किया, जिससे कि यरूशलेम में वह हमारे स्थान पर मृत्यु मर सके—यह सब इसलिए कि आज हम अपने नगरों में निडर हो कर रह सकें। हाँ, निडर। क्योंकि यदि मेरे आनन्द के विरोध में सबसे बड़ा संकट समाप्त हो चुका है, तो मैं छोटे संकटों से क्यों विचलित होऊँ? तो फिर आप (वास्तव में!) कैसे कह सकते हैं, “मैं मरने से नहीं डरता, परन्तु मैं अपनी आजीविका खोने से डरता हूँ”? नहीं। नहीं। विचार कीजिये!
यदि मृत्यु (मैंने कहा, मृत्यु!—शिथिल पड़ी हुई ठंडी देह, जिसमें प्राण नहीं हैं!) अब किसी भय का कारण नहीं है, तो हम स्वतन्त्र हैं, वास्तव में स्वतन्त्र हैं। अब हम ख्रीष्ट के लिए और प्रेम के लिए इस पृथ्वी पर कोई भी जोखिम उठाने के लिए स्वतन्त्र हैं। अब हम और अधिक चिन्ता के दास नहीं रहे।
यदि पुत्र ने आपको स्वतन्त्र कर दिया है, तो आप सचमुच स्वतन्त्र हो जाएँगे!
--- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/marg-satya-jeevan/message778 एपिसोडस