कविता - "झरोखा"
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झरोखा यानी खिड़की, ज़रूरी है हर एक चार - दिवारी में। यह झरोखा, हवा, सौंधी महक, धूप आदि सभी की खूबसूरती से अवगत कराता है कमरे की बंद दीवारों को। इसी प्रकार, हमारे दिल में छुपी भावनाओं को भी एक झरोखा हमें ज़रूर देना चाहिए, क्या पता कब यह भावनाएं एक और मौका देदें, खुशियों को हमारे जीवन में।
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