स्पेस की रेस से कितनी बदल रही दुनिया? – दुनिया जहान
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अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में कई मुल्क खुद को दूसरों से आगे साबित करने की रेस में हैं. दशकों से स्पेस वो जगह रही है जिसे मुल्क अपनी महत्वाकांक्षा से जोड़ कर देखते रहे हैं. शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ के बीच केवल हथियारों की दौड़ नहीं थी बल्कि वो धरती से परे अंतरिक्ष तकनीक में भी एकदूसरे से आगे बढ़ने की होड़ में थे.
हाल के वक्त में चीन चांद के फ़ार साइड यानी में मानवरहित यान उतारने में कामयाब रहा है. इस क्षेत्र में भारत का भी अपना रिकॉर्ड है. 2017 में उसने एक साथ 104 सैटलाइट प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बनाया.
भूटान ने 2018 में अपना पहला नैनोसैटलाइट अंतरिक्ष भेजा और इस साल के अंत तक दूसरा भेजने की तैयारी कर रहा है. इस दशक के अंत तक नाइजीरिया स्पेस में अंतरिक्षयात्री भेजना चाहता है. किर्गिस्तान भी अपना पहला सैटलाइट बना रहा है और ओमान ने इस साल अपना पहला सैटलाइट लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है.
तो इस बार दुनिया जहान में पड़ताल इस बात की कि स्पेस रेस में क्यों हैं मुल्क. ये राष्ट्रीय सम्मान का मसला है या फिर विकास के लिए ज़रूरी कदम. और पड़ताल इस बात की भी कि अंतरिक्ष में आगे बढ़ने की होड़ धरती में किस तरह के बदलाव ला रही है.
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