इस खास सेगमेंट में कविता के माध्यम हम गंभीर बातों को आप तक पहुंचाते है.
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डॉ. प्रेम लता चसवाल 'प्रेमपुष्प' - मेरे ठाकुर जी
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=premlata-chaswalद्वारा अनहद कृति
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सुनिए परसाई के रचना संग्रह निठल्ले की डायरी का एक अंशद्वारा HW News Network
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प्रधानसेवक के झकाझक भाषणों से देश की सारी समस्याएं हल हो जाने वाली हैं और कुछ करने की ज़रुरत ही नहीं है लोग मस्त रहें पकोड़े छानेंद्वारा HW News Network
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लौटती बारात बहुत ख़तरनाक होती है भैया
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सुनिए परसाई का व्यंग्यद्वारा HW News Network
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हम तो प्यार करते रहेंगे, तुम्हारी ऐसी की तैसी
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आप चाहें तो प्रेम कर लीजिये, आप चाहें तो लव कर लीजिये प्रेम न भाषा देखता है न देशी-विदेशी देखता है, प्रेम सरहदें नहीं देखता, प्रेम धर्म नहीं देखता, प्रेम में सियासत घुसेड़ने वालों हम तप प्रेम करते रहेंगे तुम्हारी ऐसी की तैसी.द्वारा HW News Network
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इब्ने इंशा की किताब 'उर्दू की आख़िरी किताब' के कुछ अंशद्वारा HW News Network
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हरियाणा के सुप्रसिद्ध हास्य रचनाकार अरुण जैमिनी की मारक रचना सुनियेद्वारा HW News Network
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अजीब आदमी था वो मोहब्बतों की बात करता था
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कई बार कुछ बातों का मतलब सिर्फ़ उतना ही नहीं होता जितना कि फ़ौरी तौर पर दिख रहा होता है कई बार कुछ बातों के मानी बहुत विशाल होते हैं यही खासियत है जावेद साहब की कलम में.द्वारा HW News Network
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सियासत के खेल से पर्दा उठती जावेद साहब की ये रचना सुनिए.द्वारा HW News Network
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सुनिए जावेद अख्तर साहब की बेहतरीन रचनाएंद्वारा HW News Network
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तुमने बहुत सहा है / तुमने जाना है किस तरह स्त्री का कलेजा पत्थर हो जाता है / किस तरह स्त्री पत्थर हो जाती है / महल अटारी में सजाने लायक / मैं एक हाड़ मांस की स्त्री नहीं हो पाउंगी पत्थर / न ही माल असबाब / तुम डोली सजा देना / उसमें काठ की एक पुतली रख देना / उसे चूनर भी ओढ़ा देना / और उनसे कहना लो ये रही तुम्हारी दुल्हन / मैं तो जोगी के साथ जाउंगी माँ…
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सिर्फ़ अच्छा अच्छा याद रखने से काम नहीं चलेगा
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साल 2017 ख़त्म हो रहा है लोग आंकलन करेंगे कि क्या पाया क्या खोया लेकिन इस आंकलन में हम अक्सर अच्छा अच्छा याद करते रह जाते हैं जो बुरा और ग़लत हुआ उससे सबक लेना भूल जाते हैं.द्वारा HW News Network
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जाते साल को विदा है और आते साल का स्वागत हैद्वारा HW News Network
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अनिल पुरोहित - कविता - सुलगती जिन्दगी...
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=anil-purohitद्वारा अनहद कृति
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डॉ. प्रणव भारती - कविता - हम नाटक में फँसते रहते
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=pranava-bharti-shriwalद्वारा अनहद कृति
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=alka-pandeyद्वारा अनहद कृति
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=subodh-srivastavaद्वारा अनहद कृति
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सुरेन्द्र शर्मा - कविता - मैंने अपना गांव लिखा
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=surendra-sharmaद्वारा अनहद कृति
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=shri-krishna-sainiद्वारा अनहद कृति
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=amrendra-manish-sumanद्वारा अनहद कृति
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महादेवी वर्मा - साहित्य स्तम्भ - जाग तुझ को दूर जाना
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=mahadevi-vermaद्वारा अनहद कृति
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=harihar-jhaद्वारा अनहद कृति
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सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' - संध्या सुन्दरी
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=suryakant-tripathi-niralaद्वारा अनहद कृति
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पुष्प राज चसवाल - गीत - मन क्यों गाए रे
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https://www.anhadkriti.com/rachnakar.php?k=pushpraj-chaswalद्वारा अनहद कृति
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