रिश्तों में बोझ या बोझिल रिश्ते- क्यों और क्या हैं कारण?
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रिश्तों में बोझ या बोझिल रिश्ते- क्यों और क्या हैं कारण?| Burden or burdensome relationships in relationships - why and what are the reasons? रिश्ते जीने का संबल, जीने का सबब, एक सहारा या यूं कहें कि एक साथ… रिश्तों को शब्दों के दायरे में परिभाषित नहींकिया जा सकता, उन्हें तो सिर्फ़ भावनाओं में महसूस किया जा सकता है. लेकिन बात आजकल के रिश्तों की करें तो उनमेंना भावनायें होती हैं और ना ही ताउम्र साथ निभाने का माद्दा, क्योंकि आज रिश्ते ज़रूरतों और स्वार्थ पर निर्भर हो चुके हैं. यही वजह है कि रिश्तों में बेहिसाब बोझ बढ़ते जा रहे हैं और हर रिश्ता बोझिल होता जा रहा है. ऐसे में इनके करणों को जानना बेहद ज़रूरी है.
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