Apne Ko Dekhna Chahta Hoon | Chandrakant Devtale
Manage episode 384217187 series 3463571
अपने को देखना चाहता हूँ | चंद्रकांत देवताले
मैं अपने को खाते हुए देखना चाहता हूँ
किस जानवर या परिंदे की तरह खाता हूँ मैं
मिट्ठू जैसी हरी मिर्च कुतरता है
या बंदर गड़ाता है भुट्टे पर दाँत
या साँड़ जैसे मुँह मारता है छबड़े पर
मैं अपने को सोए हुए देखना चाहता हूँ
माँद में रीछ की तरह
मछली पानी में सोती होती जैसे
मैं धुँध में सोया हुआ हूँ
हँस रहा हूँ नींद में
मैं सपने में पतंग उड़ाते बच्चे की तरह सोया
अपने को देखना चाहता हूँ
मैं अपने को गिरते हुए देखना चाहता हूँ
जैसे खाई में गिरती है आवाज़
जैसे पंख धरती पर
जैसे सेंटर फ़ॉरवर्ड गिर जाता है हॉकी समेत
ऐन गोल के सामने
मैं गिरकर दुनिया भर से माफ़ी माँगने की तरह
अपने को गिरते हुए देखना चाहता हूँ
मैं अपने को लड़ते हुए देखना चाहता हूँ
नेक और कमज़ोर आदमी जिस तरह एक दिन
चाक़ू खुपस ही देता है फ़रेबी मालिक के सीने में
जैसे बेटा माँ से लड़ता है
और छिपकर ज़ार-ज़ार आँसू बहाता है
जैसे अपनी प्रियतम से लड़ते हैं
और फिर से लड़ते हैं प्रेम बनाने के लिए
मैं अपने को साँप से लड़ते नेवले की तरह
लड़ते हुए देखना चाहता हूँ
मैं अपने को डूबते हुए देखना चाहता हूँ
पानी की सतह के ऊपर बचे सिर्फ़ अपने दोनों हाथों के
इशारों से तट पर बैठे मज़े में सुनना चाहता हूँ
मुझे मत बचाओ
कोई मुझे मत बचाओ
आते हुए अपने को देखना संभव नहीं था
मैं अपने को जाते हुए देखना चाहता हूँ
जैसे कोई सुई की आँख से देखे कबूतर की अंतिम उड़ान
और कहे अब नहीं है अदृश्य हो गया कबूतर
पर हाँ दिखाई दे रही है उड़ान
मैं अपनी इस बची उड़ान की छाया को देखते हुए
अपने को देखना चाहता हूँ।
656 एपिसोडस