एनएल चर्चा 97: नृत्य गोपालदास, दिनेंद्र दास के साथ साक्षात्कार
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9 नवम्बर को बाबरी मस्जिद-राम जन्म भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्यूज़लॉन्ड्री ने इस विवाद से जुड़े तमाम क़ानूनी पक्षकारों के साथ साक्षात्कार की श्रृंखला शुरू की है. इसके तहत हम हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के तमाम पैरोकारों की राय को आपके सामने ला रहे है.निर्मोही अखाड़ा रामजन्मभूमि विवादित स्थल का सबसे पुराना दावेदार रहा है. इसी तरह श्री राम जन्मभूमि न्यास का इस विवाद से सीधा रिश्ता रहा है. चर्चा में इस हफ्ते निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास से हुई बातचीत पेश है.महंत दिनेंद्र दास का कहना है 9 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया वो भगवान राम के नाम पर आया है और यह अच्छा रहा. इसलिए उनको यह फैसला मंज़ूर है.न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने दिनेंद्र दास से पूछा, “हाल ही में एक ऑडियो क्लिप सामने आया है जिसमें बीजेपी के पूर्व सांसद रामविलास वेदान्ती भी राम मंदिर निर्माण के लिए बनायी जाने वाली कमेटी में शामिल होने की इच्छा जता रहे हैं. और भी तमाम लोग है जो इसमें शामिल होना चाहते हैं, क्या अब यह बड़ी सत्ता और पैसे से जुड़ा मामला हो गया है इसीलिए इसमें सब अपनी हिस्सेदारी चाहते हैं?”इसका जवाब देते हुए दिनेंद्र दास कहते हैं, “निर्मोही अखाड़ा कोर्ट में रामजन्मभूमि का पक्षकार रहा है. तो जहां तक अयोध्या बैठक का मामला है हमें उचित पक्ष मिल ही जाएगा.”1885 से 1992 तक निर्मोही अखाड़ा वहां पूजा पाठ करता था यह दस्तावेज़ों में भी दर्ज है. 1992 में रिसीवर की नियुक्ति के बाद से वहां सतेन्द्र दास पूजा-पाठ का काम देखते हैं.इस सन्दर्भ में अतुल महंत से सवाल पूछते हैं कि, पूजा पाठ जो निर्मोही अखाड़ा करता था क्या आप उसपर दावा पेश करेंगे?”इस सवाल का जवाब देते हुए महंत दिनेंद्र दास कहते हैं, “नहीं हम दावा तो नहीं करेंगे. लेकिन निर्मोही अखाड़ा वहां अनादिकाल से पूजा करता आ रहा था. हम लोगों का हमेशा से सौभाग्य रहा वहां पूजा पाठ करने का. इस लिहाज़ से वो पद हमे मिलना चाहिए. हमारा लक्ष्मीजी से कोई प्रेम नहीं है. हमे राम-राम ही पढ़ना है. इतना ही हमारे लिए काफी है.”इस तरह महंत नृत्य गोपाल दास के साथ भी राम जन्मभूमि से जुड़े कई सारे रोचक पहलुओं पर बात हुई. इस पूरी चर्चा को सुनने के लिए पूरा पॉडकास्ट सुनें. और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करें और गर्व से कहें- ‘मेरे खर्च पर आज़ाद हैं ख़बरें.’
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