परमेश्वर के वचन में कैसे आनन्दित हों/How to Delight in God’s Word.
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परमेश्वर के वचन में कैसे आनन्दित हों
How to Delight in God’s Word.
तेरे वचन मुझको कितने मीठे लगते हैं, हाँ मेरे मुँह में मधु से भी मीठे हैं! (भजन 119:103)
ख्रीष्टीयता को कभी भी केवल माँगों और संकल्पों और इच्छाशक्ति के विषय तक ही घटाकर न प्रस्तुत करें। यह तो इस विषय से सम्बन्धित है कि हमें क्या प्रिय लगता है, हम किसमें आनन्दित होते हैं, हमें किसका स्वाद भाता है।
जब यीशु संसार में आया तो मानवता इस आधार पर विभाजित हो गयी कि लोग किससे प्रेम करते थे। “ज्योति जगत में आ चुकी है, परन्तु मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अंधकार को अधिक प्रिय जाना ” (यूहन्ना 3:19)। धर्मी और दुष्ट इस बात के द्वारा पृथक किये जाते हैं कि वे किस में आनन्द पाते हैं — यीशु में, परमेश्वर के प्रकाशन में, या संसार के मार्ग में।
सम्भवतः कोई प्रश्न कर सकता है कि: मैं कैसे परमेश्वर के वचन में आनन्द प्राप्त करना आरम्भ कर सकता हूँ? मेरे पास इसके दो उत्तर हैं:
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