परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार | दिन- 23
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क्योंकि जब हम शत्रु ही थे, हमारा मेल परमेश्वर के साथ उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हुआ तो उससे बढ़कर, अब मेल हो जाने पर हम उसके जीवन के द्वारा उद्धार पाएँगे। केवल यही नहीं, परन्तु हम परमेश्वर में अपने प्रभु यीशु के द्वारा आनन्दित होते हैं, जिसके द्वारा अब हमारा मेल हुआ है।
रोमियों 5:10–11
हम व्यावहारिक रूप से परमेश्वर से मेल-मिलाप और उसमें आनन्द कैसे प्राप्त कर सकते हैं? हम इसे यीशु ख्रीष्ट के द्वारा प्राप्त करते हैं। जिसका अर्थ, कम से कम यह है कि हम बाइबल में यीशु का चित्रण करते हैं— अर्थात्, नए नियम में यीशु के कार्य और वचनों का जो चित्रण किया गया है उसके आधार पर—हम इस चित्रण को परमेश्वर के विषय में अपने आनन्द की आवश्यक विषयवस्तु बनाते हैं। ख्रीष्ट की विषयवस्तु के बिना परमेश्वर में आनन्द मनाना ख्रीष्ट को सम्मान नहीं देता है। और जहाँ ख्रीष्ट का सम्मान नहीं किया जाता है, वहाँ परमेश्वर सम्मानित नहीं होता है।
2 कुरिन्थियों 4:4-6 में, पौलुस दो प्रकार से हृदयपरिवर्तनों का वर्णन करता है। पद 4 में, वह कहता है कि यह “परमेश्वर के प्रतिरूप, अर्थात् ख्रीष्ट के तेजोमय सुसमाचार की ज्योति को” देखना है तथा पद 6 में वह कहता है कि यह “यीशु ख्रीष्ट के मुख में परमेश्वर की महिमा है।” दोनों ही परिस्थितियों में आप मुख्य बात को देख सकते हैं। हमारे पास ख्रीष्ट है, परमेश्वर का प्रतिरूप, और हमारे पास ख्रीष्ट के मुख में परमेश्वर है।
हम परमेश्वर में आनन्दित होने के लिए, यीशु ख्रीष्ट के चित्र में परमेश्वर के विषय में जो देखते और जानते हैं उसमें आनन्दित होते हैं। और जैसा कि रोमियों 5:5 कहता है, इसका पूर्ण अनुभव तब प्राप्त होता है जब पवित्र आत्मा द्वारा हमारे हृदय में परमेश्वर का प्रेम उण्डेला जाता है। और परमेश्वर के प्रेम का वह मधुर, आत्मा द्वारा दिया गया अनुभव हमें तब प्राप्त होता है जब हम पद 6 की ऐतिहासिक वास्तविकता पर विचार करते हैं, “क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तब ठीक समय पर ख्रीष्ट भक्तिहीनों के लिए मरा।”
तो क्रिसमस का मुख्य सन्देश यह है। न केवल परमेश्वर ने प्रभु यीशु ख्रीष्ट की मृत्यु के माध्यम से उसके साथ हमारे मेल को मोल लिया (रोमियों 5:10), और न केवल परमेश्वर ने हमें प्रभु यीशु ख्रीष्ट के माध्यम से उस मेल को प्राप्त करने में सक्षम बनाया, किन्तु अब भी हम, आत्मा के द्वारा, हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट के माध्यम से स्वयं परमेश्वर में आनन्दित होते हैं (रोमियों 5:11)।
यीशु ने हमारे मेल को मोल लिया। यीशु ने हमें मेल-मिलाप प्राप्त करने और उपहार पाने के लिए सक्षम बनाया। और यीशु ने स्वयं को अपने आप में वर्णन से परे उपहार के रूप में चमकाया—परमेश्वर देह में उपस्थित है—और परमेश्वर में हमारे आनन्द को बढ़ाया है।
इस क्रिसमस पर आप यीशु की ओर देखें। मोल लिए गए मेल को प्राप्त करें। उपहार को बन्द करके दीवट पर न रखें। और जब आप इसे खोलते हैं, तो स्मरण रखें कि परमेश्वर स्वयं ही परमेश्वर के साथ मेल का उपहार है।
उसी में आनन्द मनाएँ। अपने हर्ष के रूप में उसका अनुभव करें। उसे अपने धन के रूप में जानें।
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