परमेश्वर आपके लिए कार्य करता है।
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मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर उठाऊँगा; मुझे सहायता कहाँ से मिलेगी? सहायता तो मुझे यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है। वह तेरे पैर को फिसलने न देगा; तेरा रक्षक नहीं ऊँघेगा। (भजन 121:1-3)
क्या आपको सहायता की आवश्यकता है? मुझे तो है। आप सहायता को कहाँ ढूँढ़ते हैं?
जब उसने पर्वतों की ओर आँखें उठाईं और पूछा, “मुझे सहायता कहाँ से मिलेगी?” भजनकार ने उत्तर दिया, “सहायता तो मुझे यहोवा की ओर से मिलती है” — पर्वतों की ओर से नहीं, परन्तु पर्वतों को बनाने वाले परमेश्वर की ओर से। “सहायता तो मुझे यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।”
इसलिए, उसने स्वयं को दो महान् सत्य स्मरण दिलाए: पहला यह है कि परमेश्वर जीवन की समस्याओं के ऊपर एक महान् सृष्टिकर्ता है; दूसरा यह है कि परमेश्वर कभी नहीं सोता है। “तेरा रक्षक नहीं ऊँघेगा।”
परमेश्वर अथक कार्य करने वाला है। वह कभी थकता नहीं है। परमेश्वर के बारे मे यह विचार किया करें कि वह आपके जीवन में कार्य करने वाला जन है। हाँ, यह अद्भुत बात है। हम प्रायः यह सोचते हैं कि हम परमेश्वर के जीवन में कार्य करने वाले लोग हैं। परन्तु बाइबल चाहती है कि हम पहले इस बात से अचम्भित हों कि परमेश्वर हमारे जीवन में कार्य करने वाला जन है: “प्राचीनकाल ही से न किसी ने सुना, न ही कानों तक उसकी चर्चा पहुँची और न आँखों से किसी ने तुझे छोड़ ऐसे परमेश्वर को देखा जो अपनी बाट जोहने वालों के लिए कार्य करता हो” (यशायाह 64:4)।
परमेश्वर निरन्तर हमारे लिए कार्य करता रहता है। वह कभी छुट्टी नहीं लेता है और न ही वह कभी सोता है। वास्तव में तो वह हमारे लिए कार्य करने हेतु इतना उत्सुक है कि वह उस पर भरोसा करने वाले लोगों के लिए देखता रहता है कि वह उनके लिए और क्या कर सकता है: “यहोवा की आँखें समस्त पृथ्वी पर फिरती रहती हैं कि जिनका हृदय सम्पूर्ण रीति से उसका है, वह उनके प्रति अपने सामर्थ्य को दिखाए” (2 इतिहास 16:9)।
परमेश्वर को भाता है कि वह अपनी अथक सामर्थ्य और बुद्धि और भलाई को उन लोगों पर प्रकट करे जो उस पर भरोसा करते हैं। पिता ने इस बात को मुख्यतः अपने पुत्र, अर्थात् यीशु को भेजने के द्वारा प्रकट किया: “मनुष्य का पुत्र भी अपनी सेवा कराने नहीं वरन् सेवा करने आया” (मरकुस 10:45)। यीशु अपने अनुयायियों के लिए कार्य करता है। वह उनकी सेवा करता है। सुसमाचार एक ऐसा सूचना पट्ट नहीं है जिस पर लिखा है “कृपया सहायता करें।” वरन् यह एक ऐसा सूचना पट्ट है जिस पर लिखा है “यहाँ सहायता उपलब्ध है।”
इसी पर हमें विश्वास करना है — सच में विश्वास करना है — जिससे कि हम “सर्वदा आनन्दित [रहें]” (1 थिस्सलुनीकियों 5:16) और “सदैव सब बातों के लिए धन्यवाद [दें]” (इफिसियों 5:20) और हम में “परमेश्वर की शान्ति [हो], जो समझ से परे है” (फिलिप्पियों 4:7), और हम “किसी भी बात की चिन्ता न [करें]” (फिलिप्पियों 4:6), और “इस जगत में” अपने प्राण को अप्रिय जानें (यूहन्ना 12:25), और “अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम [करें]” (मत्ती 22:39)।
क्या ही अद्भुत सत्य यह है! क्या ही अद्भुत वास्तविकता यह है! परमेश्वर उन लोगों के लिए कार्य करने हेतु रात भर और दिन भर जगाता है जो उसकी बाट जोहते हैं।
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