प्रमाणिक विश्वास और झूठे विश्वास में भेद।
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ख्रीष्ट भी, बहुतों के पापों को उठाने के लिए एक बार बलिदान होकर, दूसरी बार प्रकट होगा। पाप उठाने के लिए नहीं, परन्तु उनके उद्धार के लिए जो उत्सुकता से उसके आने की प्रतीक्षा करते हैं। (इब्रानियों 9:28)
हम सब के सामने जो प्रश्न है, वह यह है कि: क्या हम उन “बहुतों” में सम्मिलित हैं जिनके पापों को ख्रीष्ट ने उठाया है। और क्या उसके द्वितीय आगमन के समय हम उद्धार पाएँगे?
इब्रानियों 9:28 उत्तर देता है, “हाँ,” यदि हम “उत्सुकता से उसके आने की प्रतीक्षा करते हैं।” हम जान सकते हैं कि हमारे पाप दूर किए जा चुके हैं और कि हम न्याय में सुरक्षित होंगे, यदि हम ख्रीष्ट पर इस रीति से भरोसा करें जो हमें उसके आगमन के लिए उत्सुक करे।
एक झूठा विश्वास भी है जो दावा तो करता है ख्रीष्ट पर विश्वास करने का, परन्तु यह विश्वास केवल अग्नि बीमा योजना के समान है। झूठा विश्वास केवल नरक से बचने के लिए “विश्वास करता” है। इसमें ख्रीष्ट के लिए कोई वास्तविक इच्छा नहीं होती है। वास्तव में तो उसको यही अच्छा लगेगा कि ख्रीष्ट न आए, जिससे कि हम जितना अधिक हो सके इस संसार के सुखों का आनन्द उठा सकें। यह एक ऐसे हृदय को दिखाता है जो ख्रीष्ट के साथ नहीं, वरन् संसार के साथ है।
तो प्रश्न हमारे लिए यह है: क्या हम ख्रीष्ट के आगमन के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं? या क्या हम चाहते हैं कि वह तब तक दूर ही रहे, जब तक कि संसार के साथ हमारा प्रेम-प्रसंग पूरा न हो जाए? यही वह प्रश्न है जो विश्वास की प्रमाणिकता की जाँच करता है।
आइए हम कुरिन्थियों के जैसे हों और हम भी “प्रभु यीशु ख्रीष्ट के प्रकट होने की प्रतीक्षा उत्सुकता-पूर्वक करते रहें” (1 कुरिन्थियों 1:7), तथा फिलिप्पियों के जैसे हों जिनकी “नागरिकता स्वर्ग की है, जहाँ से हम उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ख्रीष्ट के आगमन की प्रतीक्षा उत्सुकता से करें” (फिलिप्पियों 3:20)।
हमारे लिए यही प्रश्न है। क्या हम उसके प्रकट होने को प्रिय जानते हैं? या क्या हम संसार से प्रेम करते हैं और आशा करते हैं कि उसका प्रकट होना हमारी योजनाओं में बाधा न डाले। हमारा अनन्तकाल इसी प्रश्न के उत्तर पर टिका हुआ है।
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