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वो काश कुछ कहकर जाती

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Manage episode 325088533 series 3337254
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वो काश कुछ कहकर जाती

वो काश कुछ कहकर जाती

जो मन में था होठों पर लाती

वो काश कुछ कहकर जाती

अंतर्मन में आशंका थी

या कोई मजबूरी

आखिर क्या हुआ उन दिनों

जो बढ़ गयी इतनी दूरी

जो भी था, जैसा भी था

मुझको तो बतलाती

वो काश कुछ कह कर जाती

कहने को तो कई दिनों की

थी अपनी पहचान

फिर भी एक दूजे से हम थे

काफी कुछ अनजान

थोड़ा और साथ चलते तो

समझ और हो आती

वो काश कुछ कह कर जाती

विस्मृत नहीं हुआ आज तक

वो दिन जब लम्बी राह तकी

आखिर क्या हुआ था जो वो

कहके भी आ न सकी

आने में संकोच अगर था

चिट्ठी तो भिजवाती

वो काश कुछ कह कर जाती

अनुत्तरित प्रश्नों की चुभन

दिल में है आज भी रहती

अक्सर सोचा करता हूँ मैं

उस दिन वो क्या कहती

जरा देर की बात थी आखिर

एक बार मिल जाती

वो काश कुछ कह कर जाती

वो काश कुछ कह कर जाती

~ विवेक (सर्व अधिकार सुरक्षित)

--- Send in a voice message: https://podcasters.spotify.com/pod/show/vivek-agarwal70/message
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वो काश कुछ कहकर जाती

जो मन में था होठों पर लाती

वो काश कुछ कहकर जाती

अंतर्मन में आशंका थी

या कोई मजबूरी

आखिर क्या हुआ उन दिनों

जो बढ़ गयी इतनी दूरी

जो भी था, जैसा भी था

मुझको तो बतलाती

वो काश कुछ कह कर जाती

कहने को तो कई दिनों की

थी अपनी पहचान

फिर भी एक दूजे से हम थे

काफी कुछ अनजान

थोड़ा और साथ चलते तो

समझ और हो आती

वो काश कुछ कह कर जाती

विस्मृत नहीं हुआ आज तक

वो दिन जब लम्बी राह तकी

आखिर क्या हुआ था जो वो

कहके भी आ न सकी

आने में संकोच अगर था

चिट्ठी तो भिजवाती

वो काश कुछ कह कर जाती

अनुत्तरित प्रश्नों की चुभन

दिल में है आज भी रहती

अक्सर सोचा करता हूँ मैं

उस दिन वो क्या कहती

जरा देर की बात थी आखिर

एक बार मिल जाती

वो काश कुछ कह कर जाती

वो काश कुछ कह कर जाती

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