भारत एक ऐसा देश है। जहाँ समय-समय पर विदेशी आक्रांताओ ने उसे अपने अधीन किया। विदेशी आक्रांताओ के शिकंजे से भारतमाता को निकलने के लिए भारत माँ के कई महान वीर सपूतों ने अपनी जान की बाज़ी तक लगा दी। भारत देश को गुलामी से आज़ाद करने के लिए और स्वराज्य को आगे बढ़ाने के लिए कई मराठो ने हसंते-हसंते वीरगति प्राप्त कर ली। वो कौन थे वीर मराठे ? जानते है, स्वराज्य के इन एपिसोड्स में।
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अति का विश्वास भी मनुष्य को घोर संकट में डाल देता है इसलिए हमे हर समय चैतन्य रहना चाहिए और सूझ-बुझ के साथ काम लेना चाहिए। और बस यही संभाजी महाराज ने गलती कर दी उन्होंने अपने किसी मंत्री की बात मान कर अपनी विशाल सेना रायगढ़ भेज दी और स्वयं संगमेश्वर में क़िले में कुछ सैनिको के साथ रुक गए। एक विशाल सेना को राजधानी भेज कर अकेले वह रुकना क्या यह सही नि…
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शिवाजी की मृत्यु के बाद औरंगज़ेब को दक्कन पर विजय प्राप्त करना आसान लग राग था लेकिन दक्कन पर विजय प्राप्त करने से पहले औरंगज़ेब को संभाजी से मुकाबला करना था। जो सदैव उसके रास्ते में आकर खड़े हो जाते थे। बार बार मुक़ाबला करने के बाद औरंगज़ेब थक चुके था। वह समझ चुका था कि वह अकेले संभाजी का मुकाबला नहीं कर सकता। तो फिर उसने क्या रणनीति बनाई वह हम जानेंगे …
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बात है सन 1680 की, जब तेज़ ज्वर के कारण शिवाजी महाराज के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी। वैद्यराज की औषधियां भी विफल होती साबित हो रही थी। वैद्यराज के द्वारा सभी तरीके अपना लिए गए, किन्तु कोई भी उपचार शिवाजी महाराज के अनुरूप नहीं था। एक तरफ शिवजी की बिगड़ती तबियत और दूसरी तरफ क़िले में बढ़ते षड़यंत्र आखिर क्या होने वाला था, जानते है इस एपिसोड…
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स्वराज्य लाने के लिए शिवाजी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाये। उन्ही महत्वपूर्ण कदमों में राज्याभिषेक भी एक अहम् कदम था। शिवाजी जानते है कि यदि किसी शत्रु पर विजय पानी है तो पहले उसके पद को या तो खुद के बराबर ले आओ या खुद से नीचे ले चले जाओ। तभी आप उस उसके मनोबल को तोड़ कर उस पर विजय पा सकते हो। राज्याभिषेक के बाद शिवाजी महाराज ने दक्षिण-पश्चिम से अपने साम…
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