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DHADKANE MERI SUN

Dr. Rajnish Kaushik

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मासिक
 
Self composed various aspects of love, various feelings, sensations and colors of love with enchanting and melodious words of Hindi and Urdu language have been presented in a very poetic manner in every episode of this podcast . All the episodes of this podcast are solemnly dedicated to all the lovers just as the cycle of love never ends in the same way these love lyrics episode will move on, move on and move on...
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दिल टूट जाने के बाद ...ये दिल दिल ना रहा इस दिल में कुछ भी ना रहा... अगर कुछ रहा तो बस... तेरा ही नाम...तेरा ही दर्द ... छुपा रहा...... Heartbreak leaves us in pieces, but somewhere amidst the pain and sorrow, love still lingers. In this heartfelt episode of #DhadkaneMeriSun, we dive deep into the emotions that follow a broken #relationship. How do…
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एक इश्क़ दो दिल फिर बेहद प्यार और फिर...बेइंतहा ...इंतजार शायद इसीलिए.... .......तेरी राह तकते तकते मेरी उम्र गुजर गई ....... In this heartfelt episode of 'Dhadkane Meri Sun,' we dive into the emotions of longing and love in 'Waiting for You - Tera Intezaar.' Join us as we explore the beauty of waiting, the hope it brings, and the tender moments th…
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तू वो ग़ज़ल है मेरी जिसमें तेरा होना तय है तू वो नज्म है मेरी जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है इसलिये नहीं... कि... तू मेरी दस्तरस में है बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ ना छूटेगी ये डगर क्यों कि... तेरा मेरा है प्यार अमर.....।…
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ज़रा आँखों में मोहब्बत की तिश्नगी पिरोईये फिर हसरतों को सावन की मस्तियों में भिगोईये और फिर देखिये-ऐसे लगेगा जैसे.... कहीं बारिश की हर बूंद में प्यार बरस रहा है तो कहीं दौर-ए-मोहब्बत की पुरानी यादों में भीगा तन मन बूंद बूंद को तरस रहा है.द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां कहता था उसको मैं "मासूम" तब उसकी मासूमियत ये क्या हो गया वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया संग मेरे चला अंग भी वो लगा रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया वो मासूम इश्क़ वो मा…
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कभी तेरे नैनों पे लिखा तो कभी नैनों के मोतियों पे लिखा कभी तेरे मासूम चेहरे पे लिखा तो कभी चेहरे की मासूमियत वाली बातों पे लिखा कभी इश्क़- ए -मिजाजी पे लिखा तेरी तो कभी इश्क़ - ए-दगाबाजी पे लिखा कभी ग़ज़ल लिखी कभी गीत लिखा तो कभी खत-ए-मोहब्बत लिखाद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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मेरी सांसों में रहती है मगर आँखों से बहती है मैं तुझ बिन जी नहीं सकता धड़कने मेरी कहती हैं जो मिल जायेंगे मैं और तुम ज़मी जन्नत बनाऊंगा अमीरी हो या फकीरी हो सभी नखरे उठाऊंगा ज़माने भर की हर रौनक तेरे कदमो में लगाऊंगा कहेंगे लोग पागल जो गुज़र हद से भी जाऊँगा मरे सीने से लग के बस इतना सा ही कह दे तू मैं तेरी हूँ मै तेरी हूँ मैं तेरी हूँ..........…
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उसने अपने खत में लिखा.... ये कैसा प्यार है तेरा... बिस्तर में सलवटें ही नहीं पड़ती, सलवटें पड़े भी तो कैसे... क्योंकि...तू वहाँ ... मैं यहाँ.... ये कैसा खुदा है मेरा .... धरती प्यास से तड़प रही है मेघ हैं कि बरसने का नाम ही नहीं लेते मेघ बरसे भी तो कैसे.... क्यों कि ... तू वहाँ... मैं यहाँ .... वो अक्सर अपने खत में लिखा करती थी........... रातां बिन…
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क्या खूब समा था इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था मौसम के थे नजारे आंखों के थे इशारे बातों में कशिश थी इतनी लहजे में तपिश थी इतनी जिस्म था - आग थी हर छुअन में एक धुआं था हसीना थी कमसिन दीवाना जवां था इश्क़ के महीने में इश्क़ भी जवां था .....ऐसे ही थे एहसास हमारे.....द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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Dive into the heart of romance this Valentine's Day with "Half Love-Incomplete Dream." A tale of love's complexities and unfulfilled dreams, poetically captured in Dr. Rajnish Kaushik's stirring words: "आधा प्रेम जड़ है अनंत पीड़ा की, जिसमें अधूरे ख्वाब पनपते हैं। चलो छोड़ो मोहब्बत की बातेँ, खुद से लड़ कर खुद ही में सिमटते हैं।" Experience the inte…
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ये छेड़छाड़ , ये आवारगी , और ये दास्ताँ-ए-मोहब्बत उस रोज़ उस रात की तन्हाई की है दोस्तों,जब हम भी मूड में थे और वो भी........ ......मगर... with full dedication.द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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Embark on a Soulful Journey with 'Those Moments'! Listen now on Spotify, Amazon, and JioSaavn! Capturing the essence of unforgettable moments, this episode on #Dhadkane MeriSun podcast by Dr. Rajnish Kaushik is a must-listen! Join us for a heartfelt experience filled with soulful music, emotions, and cherished memories.…
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उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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तुम जो धड़कती थी सीने में जिंदगी बनकर.....मेरे ज़िस्म मेरे शरीर में मेरी रूह बनकर.....मेरे दिल के हर हिस्से में दौड़ते रक्त प्रवाह की मानिंद..... कहीं तुम्हें कोई दर्द ना हो मेरी वज़ह से तुम्हें कोई आघात ना हो...मेरे प्रेम की निरंतरता उसकी एकाग्रता भंग ना हो नीरसता का एक अंश भी घर ना कर पाए हमारे प्रेम के अहसासों में.... शायद इसीलिए......तुम्हारी व…
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अनुभवी लोग कहते हैं कि मोहब्बत की गांठ भले ही कच्ची डोर से क्यों ना बंधी हो मगर अनंत प्रेम की कड़ियों से जुड़ी होती है अनंत से अनंत तक आपके साथ खड़ी होती है कल भी आज भी.. ...... सांसों के साथ भी... सांसों के बाद भीद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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जवानी जब से बहकी थी उसी का नाम लेती थी मोहब्बत प्यास है उसकी यही पैगाम देती थी मैं मजनूं था मैं रांझा था वो लैला हीर जैसी थी मेरी चाहत के ज़ज्बो को मेरा ईमान कहती थी मगर अब.... जो समझती थी इशारों को इशारों ही इशारों में भुलाके उन नज़ारो को मेरा अब दिल दुखाती है ना कहती है ना सुनती है बड़ी खामोश रहती है मेरे इश्क़-ए- बहारा में वो तीर-ए-ग़म चलाती है …
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मैं आज भी वहीं हूँ मेरी चाहते और मेरा इश्क़ भी वहीं ठहरा हुआ है उसी मोड़ उसी राह पर जहाँ जुदा हुए थे हम.....बस...मैं ही कुछ पत्थर सा हो चुका हूँ और पत्थरों से टकराता हूँ मंजिलों की तलाश में हर रोज हर लम्हा और टूट कर बिखर जाता हूँ हर रोज हर लम्हा....कभी वक़्त मिले और उन्हीं राहों पर चलने की हूक उठे तेरे मन में...तो कभी आ...आ कभी और रख मेरे दिल पे हा…
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तू कहती थी तेरी ही हूँ मैं तू कहती थी तेरी रहूंगी बगावत भी कर लूँगी जग से तेरी होने को सब कुछ सहूंगी समंदर की तरहा तू रहना मैं नदिया सी संग संग बहूँगी दर्द तूने दिया मर मिटा मैं लोग कहते हैं तू बेगुनाह थी आखिरी सांस तक तुझको चाहूँ तू क्या जाने तू मेरा खुदा थी बेपनाह इश्क़ करता था तुझसे मेरे जीने की तू ही वज़ह थी…
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कुछ तेरी कुछ मेरी बातेँ होती थीं ...याद है ना तुझे...कुछ ऐसी भी रातें होती थीं ... रातों के वो हसीन लम्हे जिनमें होती थीं...कुछ .....बदमाशियां तेरी और कुछ .....गुस्ताखियां मेरीद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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Neeli jheel ka aqs , raton ki haseen chandni , khwabon ki zamee , wafaon ki haseen waadiyan , jis taraf bhi nazar jaye har uss taraf bepanah husn me machalti qatil adayen ---- kiya kuchh nahi tha usme --- apne masoom lahje me prem ki kisi devi se kam nahi thi vo --------- tabhi to --- vo zawan raten jo uske husn - e - bagwan me guzrin , jab yadon k…
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Bhoola nahi hoon aaj taK Holi ka vo faag Badan ranga tha chahat me Man me ishq ki aag Masti aisi mujhe chadhi Ragad diya gulal Khula nimantran de rahe the Gore gore gaal -----------jogeera saara ra raद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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मेरे इश्क़ का तू दरिया सागर मैं चाहतों का चाहें आये तूफ़ाँ कितने तेरा प्यार राहतों सा तू ही ज़ख्म तू ही मरहम तू ही दर्द की दवा है सासों में तेरी खुशबू आँखों में तू बसा है कहती है दुनिया सारी मुझे तेरा ही नशा है मुझे तेरा ही नशा हैद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........
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Tu ret pr likhi ibarat thi kabhi Ab to pattharon taq pe likh diya maine Dam hai to Mita ke dikha Kiya aandhi kiya toofan Ab to baarishon taq se Kah diya maine Ek baar teri yaadon ke babasta Jashn-e-mohabbat ko anjaam diya Sare vaadon sari kasmon sari rasmon ko bhi anjaam diya Sabke sab aaye pr Tu nahi aayee Rah rah ke teri yaaden aati rahi Dhadkane…
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Prem ka seedha sambandh sparsh se hai---sparsh koi bhi ho--- jismani ya mansik ---vah aahat hai prem ki Kisi ko choone ya sochne se hame jo aanand aata hai vah aanand hi prem hai ---mohabbat hai ishq hai Aur yahi vah aanand bhi hai jo hame hamare prem ki pahli khabar deta hai Balki yah kahna bemani nahi hoga ki sparsh hi prem ki bhasha hai Kishi ke…
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Mai jab aakash jitni anant unchaaiyon pe tha ---tab jakar tumne bataya ki ----prem nahi hai Shayad isliye ki --- tumhe unchaaiya pasand thi aur mujhe tum Tum zid thi meri Pr mai tumhari nahi Mai to aaj bhi tumhari halki si aahat pr hi chaunk padta hoo aise---- RET PR CHAND KI TASVEER HO JAISE
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कमबख्त कैसा आशिक था दिल और मुल्क की सरहदों को एक समझ बैठा ये भी नहीं जान पाया कि दो मुल्कों की सरहदें ज़ज्बात-ए-मोहब्बत नहीं समझती... समझे भी आखिर क्यों क्यूँ कि सरहद का मतलब ही बंटवारा होता है,,,, ...मगर सरहदें चाहे कितनी हों,कैसी भी हों...... .......... ..कतरा - कतरा बहती रहती हो तुम हर वक्त - हर लम्हा मेरी नब्ज मे नब्ज रुक भी गयी कभी - तो क्या फ…
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जब तक है जवानी खूँ में तेरे रग रग में मोहब्बत बसती हो प्यार भी हो तकरार भी हो बस गोवा जैसी मस्ती हो
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Vo mere shauk ka aakhiri jaam thi Piyaas uski mujhe hr subha sham thi Jaga karti thi sang vo mere raat bhar Darmiyan ishq ke kitni masoom thi Vaade karti thi pakke harek baat pr Hum chale the jahan vo kathin thi dagar Dil do the magar Pr the hum safar Mil jate agar Zindagi chhanv thi Zindagi chhanv thi…
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Mana ki use meri mohabbat dikhti nahi hai.... Mana ki meri aawaj us tak pahunchti nahi hai... Mai yah bhi manta hoo ki uski nigahen mujhe khojti bhi nahi hai... Magar mujhe vishwas hai ki koi to hai uske aur mere darmiyan jo uske dil pr kabhi kabhi dastak jaroor deta hoga... Kabhi Mai to kabhi Mera prem bankar... Kabhi to ahsaas hoga Kabhi to uski …
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My dear Masoom...kaisi ho ...kaisi ho tum.. Kiya tumhe yaad hain milan ke vo pal, vo din,vo shaame aur vo raaten...ya bhool chuki ho - vaise mujhe to pahle se hi ehsaas tha ki tum ek din mujhe chhod hi dogi ...aur fhir ek din aakhirkar tumne chhod hi diya aur ab bhool bhi gai ho......magar nahi gai tum mere dil se,meri yaadon se,mere zahan se ...ma…
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Mere jism me dil tha ki nahi, saanse chal rahin thee ki nahi, mai khud bhi vahan tha ki nahi Iska ahsas mujhe tab hua jab husan-e-yaara ke labon ne Mere labon ko choom liya ---fir kiya tha Maine usse kaha---- Dhadkane dil ki ab thum rahin hain meri Garm saanse bhi ab jum rahin hain meri Na satao labon se chhoo ke yoon tum Khwahisen vasl ki ab badh …
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Kambakhat Kaun peeta hai tan ko jalane ke liye... Ye to...Shauk - e - insa...hai gum ko bhulane ke liye Uski yaadon ko bhulane ke liye Kiyon ki tazurbekar kahte hain ki sharab har marz ki dawa hoti hai dil toota ho ya mohabbat roothi ho Ya ho koi bhi gum... sabhi ka ilaaj bade saleeke se karti hai .....jo kabhi sharab jaisi dikhti thi .....aaj bhi …
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Jab usne baat baat pe chhal karna shuru kiya Farebee mashooq ki taraha pal pal badalna shuru kiya Tab... Ham bhi apni mohabbat se mukar gaye Magar mohabbat Kam nahi hui Vo... jhoonthi , chhaliya, Farebee Meri zindagi se to chali gai Magar... yaadon se na gai Mere ahsaason se na gai Mere zazbaaton se na gai Mere khwabon se na gai Mere khwabon se na …
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अनुभवी लोग कहते हैं कि मोहब्बत की गांठ भले ही कच्ची डोर से क्यों ना बंधी हो मगर अनंत प्रेम की कडियों से जुड़ी होती है अनंत से अनंत तक आपके साथ खड़ी होती है कल भी आज भी........ .....सांसों के साथ भी...सांसों के बाद भी
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वह रिश्ता जो मेरी इबादतों का परिणाम था, वह रिश्ता जो मेरी कोशिशों का अंजाम था , झूठे इक़रार और एतबार के अग्निकुण्ड में स्वाहा हो गया...शायद इसीलिए वह दिल जो जो सिर्फ उसी के लिए धड़कता था, धड़कना भूल गया........दिल ही तो था...पत्थर थोड़ी था...टूट गया
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Kiya uske sang guzare vo lamhe.... Vo mahakti subaha Vo bahakti shaamen Vo bikhrati raaten Vo hothon ki narmiyan Vo saanso ki garmiyan Vo baahon ki mastiyan Uske zism ko choo kr Sulag kr rah gai vo sardiyan Vo badmashiyan Aur gustakhiyan Kiya Bhool sakte ho kabhi.....
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तेरे आंसू की खातिर मैं बिकता रहा दर्द कितना सहा तुझको दिखता रहा तूने मेरी मोहब्बत की तौहीन की ज़ख्म ऐसे दिए के मैं रिसता रहा ना समझा तुझे ना तेरी चाहते नाम " मासूम " तेरा मैं लिखता रहा तूने ठुकरा दिया प्यार मेरा सनम मेरे ख्वाबों फिर भी तू आती रही साँस आती रही...साँस जाती रही धड़कने मेरी तुझको बुलाती रहीं .....क्योंकि... तू लम्हा नहीं ....जिन्दगी थी…
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उसने अपने खत में लिखा.... ये कैसा प्यार है तेरा... बिस्तर में सलवटें ही नहीं पड़ती, सलवटें पड़े भी तो कैसे...क्योंकि...तू वहाँ ...मैं यहाँ....ये कैसा खुदा है मेरा ....धरती प्यास से तड़प रही है मेघ हैं कि बरसने का नाम ही नहीं लेते मेघ बरसे भी तो कैसे....क्यों कि ...तू वहाँ...मैं यहाँ ....वो अक्सर अपने खत में लिखा करती थी.......... रातां बिन यारा तेर…
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संग-ए-मर मर सा वो बदन खिलते होंठों का वो चमन आँखों में था तेरी सुरूर मुझको था तुझपे गुरूर इश्क़ का तेरे फितूर वो तेरी बातों का ख्याल वो तेरे चेहरे का नूर वो तेरे आगोश की गर्मी इश्क़ का तेरे फितूर
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इश्क़ अधूरा मैं भी अधूरा जीवन मेरा हुआ ना पूरा उसने अपनी दुनिया बसाई दुनिया समझा मैंने जिसको भिगो गया वो बादल बनकर छत समझा था मैंने जिसको
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तू तो अंजान थी मेरे ईमान से मेरे अरमाँ भी तब सब हैरान थे मेरी बाहों में जब तू सिमटने लगी हम खुद से बगावत करने लगे जब जाना तुझे तू है मेरा खुदा हम तेरी इबादत करने लगे उस रात की तन्हाई में चाहत की गहराई में जब चढ़ने लगीं मस्तियाँ प्यार की हम दोनों शरारत करने लगे जब जाना तुझे तू है मेरा ख़ुदा हम तेरी इबादत करने लगे…
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मै तो घुलने लगा खुशबु-ए-यार में यार मेरा हुआ मेरे ऐतबार में सांसे थम सी गईं बर्फ सी जम गईं हम तुझसे नजाकत करने लगे जब जाना तुझे तू है मेरा खुदा हम तेरी इबादत करने लगे ......उस रात की तन्हाई में चाहत की गहराई में जब चढ़ने लगीं मस्तियाँ प्यार की हम दोनों शरारत करने लगे जब जाना तुझे तू है मेरा खुदा हम तेरी इबादत करने लगे…
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Dekh teri wafa...dil se nikli dua Jism se rooh tak...kuchh hua-kuchh hua Kho na jaye kahin...piyar mera kabhi Hum teri hifajat karne lage Uss rat ki tanhai me Chahat ki gahrai me Jab chadhne lagi...mastiyan piyar ki Hum dono shararat karne lage Jab jana tujhe...tu hai mera khuda Hum teri ibadat karne lage…
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