दो शब्द में कोई कवि,शायर या ग़ज़लकार नहीं हूँ । वास्तविकता यह है कि मुझे स्वयं को कवि अथवा शायर कहने में भी हिचकिचाहट होती है , क्योंकि मैं कविता , शायरी या ग़ज़ल की परिधियों में बांधने से डरता हूँ । मैं खुले मन से जो जी में आये ईमानदारी से कहना चाहता हूँ । खुलकर शब्दो में व्यक्त करना चाहता हूँ । मेरा मानना है कि हर व्यक्ति के भीतर किसी न किसी क्षणं कविता अवश्य जन्म लेती है चाहे वह ख़ुशी के पलों में हो या अवसाद क्षणो में या फिर हम भाव विह्लल हो । कोई भी रचना,रचनाकार के हृदयस्थ भाव रस का उच्छलन है ...
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POEM 8 - KHWAAB...द्वारा Harshkumar Badheka
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POEM 7 - SHEHAR...द्वारा Harshkumar Badheka
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POEM 6 - TOOTA HUA CHAND...द्वारा Harshkumar Badheka
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POEM 5 - LIPPAT KAR...द्वारा Harshkumar Badheka
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POEM 4 - KAMRE MEIN...द्वारा Harshkumar Badheka
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POEM 3 : PATTE...द्वारा Harshkumar Badheka
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POEM 2 : MITTI KA GHAR...द्वारा Harshkumar Badheka
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रचनाकार के बारे में - “ बेबस है रात ’’ के रचनाकार हर्ष कुमार बधेका उर्फ “मसरूर “का जन्म २९ मई १९९० को मुम्बई में हुआ। यही पर उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। तत्पश्चात् के.सी. कॉलेज से स्नातक (बी.ए.) एवं हिंदी में स्नातकोत्तर (एम.ए.) की उपाधि प्राप्त की। स्नातकोत्तर में अध्ययन के दौरान ही बचपन से ही दबी हुई साहित्य रूचि को एक नया आकाश मिला। उन…
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