BHARATVAANI...KAVITA SINGS INDIA I Sing.. I Write.. I Chant.. I Recite.. I'm here to Tell Tales of my glorious motherland INDIA, Tales of our rich cultural, spiritual heritage, ancient Vedic history, literature and epic poetry. My podcasts will include Bharat Bharti by Maithilisharan Gupta, Rashmirathi and Parashuram ki Prateeksha by Ramdhari Singh Dinkar, Kamayani by Jaishankar Prasad, Madhushala by Harivanshrai Bachchan, Ramcharitmanas by Tulsidas, Radheshyam Ramayan, Valmiki Ramayan, Soun ...
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By the Physio - For the Physio . Host - Adi Rehab . instagram/thephysiometric www.thephysiometric.com . . Available on : Spotify Google Podcast Instagram YouTube . . contact - +91-8076453440
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Protect the priceless heritage of our sages and saints with Bharat MahaGatha, hosted by Kanwar Gautam. In this present world where we have a shortage of time for reading our spiritual texts, we bring you a medium of short storytelling to effectively impart the teachings of our Hindu scriptures. Join Kanwar Gautam as he narrates. #OmGurudevNamo #KanwarGautam #SpiritualStories #HeritageProtection #ShortStorytelling #HinduSages #SaintsHeritage #bharatmahagatha #AudioPodcast #SpiritualTexts #App ...
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==== भारतीय प्रचलित भाषा जिनके एक लाख से दस लाख वक्ता (३०-६०) - "खुशखबरी", "जीवन के शब्द", "इँजील गीत" / / INDIAN POPULAR LANGUAGES THAT HAVE 100,000 TO ONE MILLION SPEAKERS(FROM No.30 TO No.60) - "GOOD ...
Tze-John Liu
==== भारतीय प्रचलित भाषा जिनके एक लाख से दस लाख वक्ता (३०-६०) - "खुशखबरी", "जीवन के शब्द", "इँजील गीत" ==== (कुई, गारो, त्रिपुरी (कोक बोरोक), मिजो, हल्बी, कोरकू, मिरी, मुंडारी, कार्बी, कोया, आओ नागा, सावरा, कोन्याक नागा, खड़िया, अंग्रेजी, माल्टो, न्याशी, आदि, थडौ (कुकी), लोथा, कूर्गी, राभा, तंगखुल, मैथिली, अंगामी, फोम नागा, कोलामी, कुवी, दिमासा, लद्दाखी, सुमी) ==== INDIAN POPULAR LANGUAGES THAT HAVE 100,000 TO ONE MILLION SPEAKERS(FROM No.30 TO No.60) - "GOOD NEWS","WORDS OF LIFE" ."GOSPEL S ...
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Trisha Kar Madhu Viral MMS: Uncovering the Truth
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In this episode, we dive into the controversy surrounding Trisha Kar Madhu's viral MMS video that took social media by storm. What’s the real story behind the headlines? Tune in as we uncover the truth and discuss the impact of such incidents on personal and public life. Don’t miss this compelling discussion—follow us for more trending topics, insi…
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विश्वास, विनय और विश्राम - Bharat Bharati 65 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
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विश्वास, विनय और विश्राम - Bharat Bharati 65 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
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भविष्य की आशा और हमारे आदर्श - Bharat Bharati 64 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
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भविष्य की आशा और हमारे आदर्श - Bharat Bharati 64 (भविष्यत खण्ड ) - मैथिलीशरण गुप्त
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नवयुवाओं से उद्बोधन - Bharat Bharati 63 (भविष्यत खंड) - मैथिलीशरण गुप्त
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नवयुवाओं से उद्बोधन - Bharat Bharati 63 (भविष्यत खंड) - मैथिलीशरण गुप्त
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Soundaryalahari Shlok 100_ प्रदीप ज्वालाभि-र्दिवसकर-नीराजनविधिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 100_प्रदीप ज्वालाभि-र्दिवसकर-नीराजनविधिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaप्रदीप ज्वालाभि-र्दिवसकर-नीराजनविधिः सुधासूते-श्चन्द्रोपल-जललवै-रघ्यरचना । स्वकीयैरम्भोभिः सलिल-निधि-सौहित्यकरणं त्वदीयाभि-र्वाग्भि-स्तव जननि वाचां स्तुतिरियम् ॥ 100 ॥
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Soundaryalahari Shlok 99_ सरस्वत्या लक्ष्म्या विधि हरि सपत्नो विहरते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 99_सरस्वत्या लक्ष्म्या विधि हरि सपत्नो विहरते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaसरस्वत्या लक्ष्म्या विधि हरि सपत्नो विहरते रतेः पतिव्रत्यं शिथिलपति रम्येण वपुषा । चिरं जीवन्नेव क्षपित-पशुपाश-व्यतिकरः परानन्दाभिख्यं रसयति रसं त्वद्भजनवान् ॥ 99 ॥
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Soundaryalhari Shlok 98_ कदा काले मातः कथय कलितालक्तकरसं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitasingsIndia
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Soundaryalhari Shlok 98_कदा काले मातः कथय कलितालक्तकरसं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitasingsIndiaकदा काले मातः कथय कलितालक्तकरसं पिबेयं विद्यार्थी तव चरण-निर्णेजनजलम् । प्रकृत्या मूकानामपि च कविता0कारणतया कदा धत्ते वाणीमुखकमल-ताम्बूल-रसताम् ॥ 98 ॥
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Soundaryalahari Shlok 97_ गिरामाहु-र्देवीं द्रुहिणगृहिणी-मागमविदो_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
14:08
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Soundaryalahari Shlok 97_गिरामाहु-र्देवीं द्रुहिणगृहिणी-मागमविदो_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia गिरामाहु-र्देवीं द्रुहिणगृहिणी-मागमविदो हरेः पत्नीं पद्मां हरसहचरी-मद्रितनयाम् । तुरीया कापि त्वं दुरधिगम-निस्सीम-महिमा महामाया विश्वं भ्रमयसि परब्रह्ममहिषि ॥ 97 ॥
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Soundaryalahari Shlok 96_ कलत्रं वैधात्रं कतिकति भजन्ते न कवयः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 96_कलत्रं वैधात्रं कतिकति भजन्ते न कवयः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaकलत्रं वैधात्रं कतिकति भजन्ते न कवयः श्रियो देव्याः को वा न भवति पतिः कैरपि धनैः । महादेवं हित्वा तव सति सतीना-मचरमे कुचभ्या-मासङ्गः कुरवक-तरो-रप्यसुलभः ॥ 96 ॥
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Soundaryalahari Shlok 95_ पुरारन्ते-रन्तः पुरमसि तत-स्त्वचरणयोः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 95_पुरारन्ते-रन्तः पुरमसि तत-स्त्वचरणयोः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaपुरारन्ते-रन्तः पुरमसि तत-स्त्वचरणयोः सपर्या-मर्यादा तरलकरणाना-मसुलभा । तथा ह्येते नीताः शतमखमुखाः सिद्धिमतुलां तव द्वारोपान्तः स्थितिभि-रणिमाद्याभि-रमराः ॥ 95 ॥
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Soundaryalahari Shlok 94_ कलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 94_कलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaकलङ्कः कस्तूरी रजनिकर बिम्बं जलमयं कलाभिः कर्पूरै-र्मरकतकरण्डं निबिडितम् । अतस्त्वद्भोगेन प्रतिदिनमिदं रिक्तकुहरं विधि-र्भूयो भूयो निबिडयति नूनं तव कृते ॥ 94 ॥
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Soundaryalahari Shlok 93_ अराला केशेषु प्रकृति सरला मन्दहसिते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 93_अराला केशेषु प्रकृति सरला मन्दहसिते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaअराला केशेषु प्रकृति सरला मन्दहसितेशिरीषाभा चित्ते दृषदुपलशोभा कुचतटे ।भृशं तन्वी मध्ये पृथु-रुरसिजारोह विषयेजगत्त्रतुं शम्भो-र्जयति करुणा काचिदरुणा ॥ 93 ॥
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Soundaryalahari Shlok 92_ गतास्ते मञ्चत्वं द्रुहिण हरि रुद्रेश्वर भृतः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 92_गतास्ते मञ्चत्वं द्रुहिण हरि रुद्रेश्वर भृतः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaगतास्ते मञ्चत्वं द्रुहिण हरि रुद्रेश्वर भृतःशिवः स्वच्छ-च्छाया-घटित-कपट-प्रच्छदपटः ।त्वदीयानां भासां प्रतिफलन रागारुणतयाशरीरी शृङ्गारो रस इव दृशां दोग्धि कुतुकम् ॥ 92 ॥
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Soundaryalahari Shlok 91_ पदन्यास-क्रीडा परिचय-मिवारब्धु-मनसः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 91_पदन्यास-क्रीडा परिचय-मिवारब्धु-मनसः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaपदन्यास-क्रीडा परिचय-मिवारब्धु-मनसःस्खलन्तस्ते खेलं भवनकलहंसा न जहति ।अतस्तेषां शिक्षां सुभगमणि-मञ्जीर-रणित-च्छलादाचक्षाणं चरणकमलं चारुचरिते ॥ 91 ॥
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Soundaryalahari Shlok 90_ ददाने दीनेभ्यः श्रियमनिश-माशानुसदृशीं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 90_ददाने दीनेभ्यः श्रियमनिश-माशानुसदृशीं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaददाने दीनेभ्यः श्रियमनिश-माशानुसदृशींअमन्दं सौन्दर्यं प्रकर-मकरन्दं विकिरति ।तवास्मिन् मन्दार-स्तबक-सुभगे यातु चरणेनिमज्जन् मज्जीवः करणचरणः ष्ट्चरणताम् ॥ 90 ॥
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Soundaryalahari Shlok 89_ नखै-र्नाकस्त्रीणां करकमल-सङ्कोच-शशिभिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 89_नखै-र्नाकस्त्रीणां करकमल-सङ्कोच-शशिभिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaनखै-र्नाकस्त्रीणां करकमल-सङ्कोच-शशिभिःतरूणां दिव्यानां हसत इव ते चण्डि चरणौ ।फलानि स्वःस्थेभ्यः किसलय-कराग्रेण ददतांदरिद्रेभ्यो भद्रां श्रियमनिश-मह्नाय ददतौ ॥ 89 ॥
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Soundaryalahari Shlok 88_ पदं ते कीर्तीनां प्रपदमपदं देवि विपदां_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 88_पदं ते कीर्तीनां प्रपदमपदं देवि विपदां_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaपदं ते कीर्तीनां प्रपदमपदं देवि विपदांकथं नीतं सद्भिः कठिन-कमठी-कर्पर-तुलाम् ।कथं वा बाहुभ्या-मुपयमनकाले पुरभिदायदादाय न्यस्तं दृषदि दयमानेन मनसा ॥ 88 ॥
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Soundaryalahari Shlok 87_ हिमानी हन्तव्यं हिमगिरिनिवासैक-चतुरौ_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 87_हिमानी हन्तव्यं हिमगिरिनिवासैक-चतुरौ_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaहिमानी हन्तव्यं हिमगिरिनिवासैक-चतुरौनिशायां निद्राणं निशि-चरमभागे च विशदौ ।वरं लक्ष्मीपात्रं श्रिय-मतिसृहन्तो समयिनांसरोजं त्वत्पादौ जननि जयत-श्चित्रमिह किम् ॥ 87 ॥
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Soundaryalahari Shlok 86_ मृषा कृत्वा गोत्रस्खलन-मथ वैलक्ष्यनमितं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 86_मृषा कृत्वा गोत्रस्खलन-मथ वैलक्ष्यनमितं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaमृषा कृत्वा गोत्रस्खलन-मथ वैलक्ष्यनमितंललाटे भर्तारं चरणकमले ताडयति ते ।चिरादन्तः शल्यं दहनकृत मुन्मूलितवतातुलाकोटिक्वाणैः किलिकिलित मीशान रिपुणा ॥ 86 ॥
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Souundaryalahari Shlok 85_नमो वाकं ब्रूमो नयन-रमणीयाय पदयोः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Souundaryalahari Shlok 85_नमो वाकं ब्रूमो नयन-रमणीयाय पदयोः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaनमो वाकं ब्रूमो नयन-रमणीयाय पदयोःतवास्मै द्वन्द्वाय स्फुट-रुचि रसालक्तकवते ।असूयत्यत्यन्तं यदभिहननाय स्पृहयतेपशूना-मीशानः प्रमदवन-कङ्केलितरवे ॥ 85 ॥
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Soundaryalahari Shlok 84_ श्रुतीनां मूर्धानो दधति तव यौ शेखरतया_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 84_श्रुतीनां मूर्धानो दधति तव यौ शेखरतया_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaश्रुतीनां मूर्धानो दधति तव यौ शेखरतयाममाप्येतौ मातः शेरसि दयया देहि चरणौ ।ययओः पाद्यं पाथः पशुपति जटाजूट तटिनीययो-र्लाक्षा-लक्ष्मी-ररुण हरिचूडामणि रुचिः ॥ 84 ॥
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Soundaryalahari Shlok 83_ पराजेतुं रुद्रं द्विगुणशरगर्भौ गिरिसुते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 83_पराजेतुं रुद्रं द्विगुणशरगर्भौ गिरिसुते_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaपराजेतुं रुद्रं द्विगुणशरगर्भौ गिरिसुतेनिषङ्गौ जङ्घे ते विषमविशिखो बाढ-मकृत ।यदग्रे दृस्यन्ते दशशरफलाः पादयुगलीनखाग्रच्छन्मानः सुर मुकुट-शाणैक-निशिताः ॥ 83 ॥
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Soundaryalahari Shlok 82_ करीन्द्राणां शुण्डान्-कनककदली-काण्डपटलीं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 82_करीन्द्राणां शुण्डान्-कनककदली-काण्डपटलीं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaकरीन्द्राणां शुण्डान्-कनककदली-काण्डपटलींउभाभ्यामूरुभ्या-मुभयमपि निर्जित्य भवति ।सुवृत्ताभ्यां पत्युः प्रणतिकठिनाभ्यां गिरिसुतेविधिज्ञे जानुभ्यां विबुध करिकुम्भ द्वयमसि ॥ 82 ॥
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Soundaryalahari Shlok 81_ गुरुत्वं विस्तारं क्षितिधरपतिः पार्वति_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 81_गुरुत्वं विस्तारं क्षितिधरपतिः पार्वति_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaगुरुत्वं विस्तारं क्षितिधरपतिः पार्वति निजात्नितम्बा-दाच्छिद्य त्वयि हरण रूपेण निदधे ।अतस्ते विस्तीर्णो गुरुरयमशेषां वसुमतींनितम्ब-प्राग्भारः स्थगयति सघुत्वं नयति च ॥ 81 ॥
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Soundaryalahari Shlok 80_ कुचौ सद्यः स्विद्य-त्तटघटित-कूर्पासभिदुरौ_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 80_कुचौ सद्यः स्विद्य-त्तटघटित-कूर्पासभिदुरौ_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaकुचौ सद्यः स्विद्य-त्तटघटित-कूर्पासभिदुरौकषन्तौ-दौर्मूले कनककलशाभौ कलयता ।तव त्रातुं भङ्गादलमिति वलग्नं तनुभुवात्रिधा नद्ध्म् देवी त्रिवलि लवलीवल्लिभिरिव ॥ 80 ॥
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Supreme Shockwave: Ramdev's Stand Against Indian Judiciary #JusticeForAyurveda
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Welcome to 'Bharat Mahagatha', a podcast that dives deep into the soul of India, unearthing stories, debates, and perspectives shaping our Bharat. In our latest episode, 'Supreme Shockwave: Ramdev's Stand Against Indian Judiciary', we dissect the monumental clash between traditional Indian medicine and modern legal frameworks. Join us as we explore…
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Soundaryalahari Shlok 79_ निसर्ग-क्षीणस्य स्तनतट-भरेण क्लमजुषो_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 79_निसर्ग-क्षीणस्य स्तनतट-भरेण क्लमजुषो_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaनिसर्ग-क्षीणस्य स्तनतट-भरेण क्लमजुषोनमन्मूर्ते र्नारीतिलक शनकै-स्त्रुट्यत इव ।चिरं ते मध्यस्य त्रुटित तटिनी-तीर-तरुणासमावस्था-स्थेम्नो भवतु कुशलं शैलतनये ॥ 79 ॥
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Soundaryalahari Shlok 78_ स्थिरो गङ्गा वर्तः स्तनमुकुल-रोमावलि-लता_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 78_स्थिरो गङ्गा वर्तः स्तनमुकुल-रोमावलि-लता_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaस्थिरो गङ्गा वर्तः स्तनमुकुल-रोमावलि-लताकलावालं कुण्डं कुसुमशर तेजो-हुतभुजः ।रते-र्लीलागारं किमपि तव नाभिर्गिरिसुतेबेलद्वारं सिद्धे-र्गिरिशनयनानां विजयते ॥ 78 ॥
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Soundaryalahari Shlok 77_ यदेतत्कालिन्दी-तनुतर-तरङ्गाकृति शिवे_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 77_यदेतत्कालिन्दी-तनुतर-तरङ्गाकृति शिवे_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaयदेतत्कालिन्दी-तनुतर-तरङ्गाकृति शिवेकृशे मध्ये किञ्चिज्जननि तव यद्भाति सुधियाम् ।विमर्दा-दन्योन्यं कुचकलशयो-रन्तरगतंतनूभूतं व्योम प्रविशदिव नाभिं कुहरिणीम् ॥ 77 ॥
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Soundaryalahari Shlok 76_ हरक्रोध-ज्वालावलिभि-रवलीढेन वपुषा_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 76_हरक्रोध-ज्वालावलिभि-रवलीढेन वपुषा_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaहरक्रोध-ज्वालावलिभि-रवलीढेन वपुषागभीरे ते नाभीसरसि कृतसङो मनसिजः ।समुत्तस्थौ तस्मा-दचलतनये धूमलतिकाजनस्तां जानीते तव जननि रोमावलिरिति ॥ 76 ॥
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Soundaryalahari Shlok 75_ तव स्तन्यं मन्ये धरणिधरकन्ये हृदयतः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 75_तव स्तन्यं मन्ये धरणिधरकन्ये हृदयतः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaतव स्तन्यं मन्ये धरणिधरकन्ये हृदयतःपयः पारावारः परिवहति सारस्वतमिव ।दयावत्या दत्तं द्रविडशिशु-रास्वाद्य तव यत्कवीनां प्रौढाना मजनि कमनीयः कवयिता ॥ 75 ॥
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Soundaryalahari Shlok 74_ वहत्यम्ब स्त्म्बेरम-दनुज-कुम्भप्रकृतिभिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 74_वहत्यम्ब स्त्म्बेरम-दनुज-कुम्भप्रकृतिभिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaवहत्यम्ब स्त्म्बेरम-दनुज-कुम्भप्रकृतिभिःसमारब्धां मुक्तामणिभिरमलां हारलतिकाम् ।कुचाभोगो बिम्बाधर-रुचिभि-रन्तः शबलितांप्रताप-व्यामिश्रां पुरदमयितुः कीर्तिमिव ते ॥ 74 ॥
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Soundaryalahari Shlok 73_ अमू ते वक्षोजा-वमृतरस-माणिक्य कुतुपौ_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 73_अमू ते वक्षोजा-वमृतरस-माणिक्य कुतुपौ_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaअमू ते वक्षोजा-वमृतरस-माणिक्य कुतुपौन सन्देहस्पन्दो नगपति पताके मनसि नः ।पिबन्तौ तौ यस्मा दविदित वधूसङ्ग रसिकौकुमारावद्यापि द्विरदवदन-क्रौञ्च्दलनौ ॥ 73 ॥
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Soundaryalahari Shlok 72_ समं देवि स्कन्द द्विपिवदन पीतं स्तनयुगं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 72_समं देवि स्कन्द द्विपिवदन पीतं स्तनयुगं_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaसमं देवि स्कन्द द्विपिवदन पीतं स्तनयुगंतवेदं नः खेदं हरतु सततं प्रस्नुत-मुखम् ।यदालोक्याशङ्काकुलित हृदयो हासजनकःस्वकुम्भौ हेरम्बः परिमृशति हस्तेन झडिति ॥ 72 ॥
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Soundaryalahari Shlok 71_ नखाना-मुद्योतै-र्नवनलिनरागं विहसतां_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 71_नखाना-मुद्योतै-र्नवनलिनरागं विहसतां_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaनखाना-मुद्योतै-र्नवनलिनरागं विहसतांकराणां ते कान्तिं कथय कथयामः कथमुमे ।कयाचिद्वा साम्यं भजतु कलया हन्त कमलंयदि क्रीडल्लक्ष्मी-चरणतल-लाक्षारस-चणम् ॥ 71 ॥
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Adi Shankaracharya vs Mandana Misra: The Legendary Debate - Bharat MahaGatha -हिंदी में
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Dive into the depths of Indian philosophical history with this episode of Bharat MahaGatha, presented in Hindi. Explore the legendary debate between Adi Shankaracharya and Mandana Misra, a pivotal moment that shaped the course of Indian spirituality and philosophy. We also delve into the intriguing role of Ubhay Bharati in this intellectual saga. T…
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Soundaryalahari Shlok 70_मृणाली-मृद्वीनां तव भुजलतानां चतसृणां_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 70_मृणाली-मृद्वीनां तव भुजलतानां चतसृणां_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaमृणाली-मृद्वीनां तव भुजलतानां चतसृणांचतुर्भिः सौन्द्रयं सरसिजभवः स्तौति वदनैः ।नखेभ्यः सन्त्रस्यन् प्रथम-मथना दन्तकरिपोःचतुर्णां शीर्षाणां सम-मभयहस्तार्पण-धिया ॥ 70 ॥
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Hindi Insight: Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Ji's Teachings - Bharat MahaGatha
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Join us in this enlightening episode of Bharat MahaGatha as we delve into the teachings and philosophy of Gurudev Sri Sri Ravi Shankar Ji. Discover the profound insights and spiritual guidance of this revered Indian spiritual leader, presented in Hindi. This episode offers a unique blend of wisdom and inspiration, perfect for those seeking deeper u…
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नारद भक्ति सूत्र: मानव जीवन के सुझाव और मार्गदर्शन
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In this episode of Bharat MahaGatha, we delve deep into the divine world of Maharishi Narad Muni. Often portrayed comically in Bollywood, Narad Muni was, in reality, a revered and divine sage. Join us as we explore his life, teachings, and spiritual significance. Discover how Narad Muni's unwavering devotion and wisdom continue to inspire seekers o…
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Soundaryalahari Shlok 69_ गले रेखास्तिस्रो गति गमक गीतैक निपुणे_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 69_गले रेखास्तिस्रो गति गमक गीतैक निपुणे_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaगले रेखास्तिस्रो गति गमक गीतैक निपुणेविवाह-व्यानद्ध-प्रगुणगुण-सङ्ख्या प्रतिभुवः ।विराजन्ते नानाविध-मधुर-रागाकर-भुवांत्रयाणां ग्रामाणां स्थिति-नियम-सीमान इव ते ॥ 69 ॥
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Soundaryalahari Shlok 68_ भुजाश्लेषान्नित्यं पुरदमयितुः कन्टकवती_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 68_भुजाश्लेषान्नित्यं पुरदमयितुः कन्टकवती_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaभुजाश्लेषान्नित्यं पुरदमयितुः कन्टकवतीतव ग्रीवा धत्ते मुखकमलनाल-श्रियमियम् ।स्वतः श्वेता काला गरु बहुल-जम्बालमलिनामृणालीलालित्यं वहति यदधो हारलतिका ॥ 68 ॥
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Soundaryalahari Shlok 67_करग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतया_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 67_करग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतया_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaकरग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतयागिरिशेनो-दस्तं मुहुरधरपानाकुलतया ।करग्राह्यं शम्भोर्मुखमुकुरवृन्तं गिरिसुतेकथङ्करं ब्रूम-स्तव चुबुकमोपम्यरहितम् ॥ 67 ॥
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Soundaryalahari Shlok 66_विपंचया गायन्ती विविधपदानम्_AdiShankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 66_विपंचया गायन्ती विविधपदानम् पशुपतेः_AdiShankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 65_ रणे जित्वा दैत्या नपहृत-शिरस्त्रैः कवचिभिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 65_रणे जित्वा दैत्या नपहृत-शिरस्त्रैः कवचिभिः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaरणे जित्वा दैत्या नपहृत-शिरस्त्रैः कवचिभिःनिवृत्तै-श्चण्डांश-त्रिपुरहर-निर्माल्य-विमुखैः ।विशाखेन्द्रोपेन्द्रैः शशिविशद-कर्पूरशकलाविलीयन्ते मातस्तव वदनताम्बूल-कबलाः ॥ 65 ॥
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Soundaryalahari Shlok 64_ अविश्रान्तं पत्युर्गुणगण कथाम्रेडनजपा_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 64_अविश्रान्तं पत्युर्गुणगण कथाम्रेडनजपा_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaअविश्रान्तं पत्युर्गुणगण कथाम्रेडनजपाजपापुष्पच्छाया तव जननि जिह्वा जयति सा ।यदग्रासीनायाः स्फटिकदृष-दच्छच्छविमयिसरस्वत्या मूर्तिः परिणमति माणिक्यवपुषा ॥ 64 ॥
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Soundaryalahari Shlok 63_ स्मितज्योत्स्नाजालं तव वदनचन्द्रस्य पिबतां_Ai Shankaracharya Tantragranth_Kavita Sings India
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Soundaryalahari Shlok 63_स्मितज्योत्स्नाजालं तव वदनचन्द्रस्य पिबतां_Ai Shankaracharya Tantragranth_Kavita Sings Indiaस्मितज्योत्स्नाजालं तव वदनचन्द्रस्य पिबतांचकोराणा-मासी-दतिरसतया चञ्चु-जडिमा ।अतस्ते शीतांशो-रमृतलहरी माम्लरुचयःपिबन्ती स्वच्छन्दं निशि निशि भृशं काञ्जि कधिया ॥ 63 ॥
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RamLeela Chronicles: रावण की तपस्या & सीता का स्वयंवर | Sportify Podcast
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Sportify Podcast में आपका स्वागत है! जानिए RamLeela की कहानियों के महत्वपूर्ण पहलु में से दो: रावण की गहरी तपस्या और सीता के दिव्य स्वयंवर को। Discover the beauty, drama, and depth of these epic tales as we narrate them with passion and detail. ये कहानियां हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं, और हम उम्मीद करते हैं कि आप इसे सुनकर उत्तराधिकार में ज…
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Soundaryalahari Shlok 62_प्रकृत्यारक्ताया-स्तव सुदति दन्दच्छदरुचेः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndia
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Soundaryalahari Shlok 62_प्रकृत्यारक्ताया-स्तव सुदति दन्दच्छदरुचेः_Adi Shankaracharya Tantragranth_KavitaSingsIndiaप्रकृत्याஉஉरक्ताया-स्तव सुदति दन्दच्छदरुचेःप्रवक्ष्ये सदृश्यं जनयतु फलं विद्रुमलता ।न बिम्बं तद्बिम्ब-प्रतिफलन-रागा-दरुणितंतुलामध्रारोढुं कथमिव विलज्जेत कलया ॥ 62 ॥
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Soundaryalahari Shlok 61_ असौ नासावंश-स्तुहिनगिरिवण्श-ध्वजपटि_Adi Shankaracharya Tantragranth_Kavita Sings India
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Soundaryalahari Shlok 61_असौ नासावंश-स्तुहिनगिरिवण्श-ध्वजपटि_Adi Shankaracharya Tantragranth_Kavita Sings Indiaअसौ नासावंश-स्तुहिनगिरिवण्श-ध्वजपटित्वदीयो नेदीयः फलतु फल-मस्माकमुचितम् ।वहत्यन्तर्मुक्ताः शिशिरकर-निश्वास-गलितंसमृद्ध्या यत्तासां बहिरपि च मुक्तामणिधरः ॥ 61 ॥
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Soundaryalahari Shlok 60_ सरस्वत्याः सूक्तीरमृतलहरी कौशलहरीः_Adi Shankaracharya Tantragranth_Kavita Sings Indias
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Soundaryalahari Shlok 60_सरस्वत्याः सूक्तीरमृतलहरी कौशलहरीः_Adi Shankaracharya Tantragranth_Kavita Sings Indiaसरस्वत्याः सूक्ती-रमृतलहरी कौशलहरीःपिब्नत्याः शर्वाणि श्रवण-चुलुकाभ्या-मविरलम् ।चमत्कारः-श्लाघाचलित-शिरसः कुण्डलगणोझणत्करैस्तारैः प्रतिवचन-माचष्ट इव ते ॥ 60 ॥
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