Self composed various aspects of love, various feelings, sensations and colors of love with enchanting and melodious words of Hindi and Urdu language have been presented in a very poetic manner in every episode of this podcast . All the episodes of this podcast are solemnly dedicated to all the lovers just as the cycle of love never ends in the same way these love lyrics episode will move on, move on and move on...
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This story is about three young men and their love triangle, where two friends fall in love with the same girl. How do they choose that girl? Who will have to sacrifice their love? It is as confusing as it sounds, but it is more interesting, and it is serious about one such love triangle story inspired by a famous novel, “Gridah”, written by a famous writer and novel “Sarat Chandra Ji”. So what are you waiting for? Start Listening and Learn about this interesting love triangle only on “Audio ...
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कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर हमेशा हमेशा के लिये ना चाहते हुए भी मुझसे दूर जा रहीं थीं...एक आह...एक दर्द के साथ...जाते जाते मुझको दी गई परंत…
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दिल टूट जाने के बाद ...ये दिल दिल ना रहा इस दिल में कुछ भी ना रहा... अगर कुछ रहा तो बस... तेरा ही नाम...तेरा ही दर्द ... छुपा रहा...... Heartbreak leaves us in pieces, but somewhere amidst the pain and sorrow, love still lingers. In this heartfelt episode of #DhadkaneMeriSun, we dive deep into the emotions that follow a broken #relationship. How do…
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एक इश्क़ दो दिल फिर बेहद प्यार और फिर...बेइंतहा ...इंतजार शायद इसीलिए.... .......तेरी राह तकते तकते मेरी उम्र गुजर गई ....... In this heartfelt episode of 'Dhadkane Meri Sun,' we dive into the emotions of longing and love in 'Waiting for You - Tera Intezaar.' Join us as we explore the beauty of waiting, the hope it brings, and the tender moments th…
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तू वो ग़ज़ल है मेरी जिसमें तेरा होना तय है तू वो नज्म है मेरी जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है इसलिये नहीं... कि... तू मेरी दस्तरस में है बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र ना थकेगा ना रुकेगा ये कारवाँ ना छूटेगी ये डगर क्यों कि... तेरा मेरा है प्यार अमर.....।…
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ज़रा आँखों में मोहब्बत की तिश्नगी पिरोईये फिर हसरतों को सावन की मस्तियों में भिगोईये और फिर देखिये-ऐसे लगेगा जैसे.... कहीं बारिश की हर बूंद में प्यार बरस रहा है तो कहीं दौर-ए-मोहब्बत की पुरानी यादों में भीगा तन मन बूंद बूंद को तरस रहा है.द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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अब लफ्जों में हैं उसके खामोशियां अब रही ना वो पहले सी नजदीकियां आती नहीं मुझको अब हिचकियाँ जाती नहीं मन से क्यूं सिसकियाँ याद आती हैं उसकी वो सरगोशियां कहता था उसको मैं "मासूम" तब उसकी मासूमियत ये क्या हो गया वो जो मुझसे मिला मेरी जां हो गया मोहब्बत भरी दास्ताँ हो गया संग मेरे चला अंग भी वो लगा रफ्ता रफ़्ता मेरी जाने जां हो गया वो मासूम इश्क़ वो मा…
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कभी तेरे नैनों पे लिखा तो कभी नैनों के मोतियों पे लिखा कभी तेरे मासूम चेहरे पे लिखा तो कभी चेहरे की मासूमियत वाली बातों पे लिखा कभी इश्क़- ए -मिजाजी पे लिखा तेरी तो कभी इश्क़ - ए-दगाबाजी पे लिखा कभी ग़ज़ल लिखी कभी गीत लिखा तो कभी खत-ए-मोहब्बत लिखाद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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मेरी सांसों में रहती है मगर आँखों से बहती है मैं तुझ बिन जी नहीं सकता धड़कने मेरी कहती हैं जो मिल जायेंगे मैं और तुम ज़मी जन्नत बनाऊंगा अमीरी हो या फकीरी हो सभी नखरे उठाऊंगा ज़माने भर की हर रौनक तेरे कदमो में लगाऊंगा कहेंगे लोग पागल जो गुज़र हद से भी जाऊँगा मरे सीने से लग के बस इतना सा ही कह दे तू मैं तेरी हूँ मै तेरी हूँ मैं तेरी हूँ..........…
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The Night doesn't pass without you dear
24:45
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बाद में चलाएं
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उसने अपने खत में लिखा.... ये कैसा प्यार है तेरा... बिस्तर में सलवटें ही नहीं पड़ती, सलवटें पड़े भी तो कैसे... क्योंकि...तू वहाँ ... मैं यहाँ.... ये कैसा खुदा है मेरा .... धरती प्यास से तड़प रही है मेघ हैं कि बरसने का नाम ही नहीं लेते मेघ बरसे भी तो कैसे.... क्यों कि ... तू वहाँ... मैं यहाँ .... वो अक्सर अपने खत में लिखा करती थी........... रातां बिन…
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क्या खूब समा था इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था मौसम के थे नजारे आंखों के थे इशारे बातों में कशिश थी इतनी लहजे में तपिश थी इतनी जिस्म था - आग थी हर छुअन में एक धुआं था हसीना थी कमसिन दीवाना जवां था इश्क़ के महीने में इश्क़ भी जवां था .....ऐसे ही थे एहसास हमारे.....द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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Dive into the heart of romance this Valentine's Day with "Half Love-Incomplete Dream." A tale of love's complexities and unfulfilled dreams, poetically captured in Dr. Rajnish Kaushik's stirring words: "आधा प्रेम जड़ है अनंत पीड़ा की, जिसमें अधूरे ख्वाब पनपते हैं। चलो छोड़ो मोहब्बत की बातेँ, खुद से लड़ कर खुद ही में सिमटते हैं।" Experience the inte…
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ये छेड़छाड़ , ये आवारगी , और ये दास्ताँ-ए-मोहब्बत उस रोज़ उस रात की तन्हाई की है दोस्तों,जब हम भी मूड में थे और वो भी........ ......मगर... with full dedication.द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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Embark on a Soulful Journey with 'Those Moments'! Listen now on Spotify, Amazon, and JioSaavn! Capturing the essence of unforgettable moments, this episode on #Dhadkane MeriSun podcast by Dr. Rajnish Kaushik is a must-listen! Join us for a heartfelt experience filled with soulful music, emotions, and cherished memories.…
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उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........द्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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तुम जो धड़कती थी सीने में जिंदगी बनकर.....मेरे ज़िस्म मेरे शरीर में मेरी रूह बनकर.....मेरे दिल के हर हिस्से में दौड़ते रक्त प्रवाह की मानिंद..... कहीं तुम्हें कोई दर्द ना हो मेरी वज़ह से तुम्हें कोई आघात ना हो...मेरे प्रेम की निरंतरता उसकी एकाग्रता भंग ना हो नीरसता का एक अंश भी घर ना कर पाए हमारे प्रेम के अहसासों में.... शायद इसीलिए......तुम्हारी व…
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Love with breath even after breath
18:06
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अनुभवी लोग कहते हैं कि मोहब्बत की गांठ भले ही कच्ची डोर से क्यों ना बंधी हो मगर अनंत प्रेम की कड़ियों से जुड़ी होती है अनंत से अनंत तक आपके साथ खड़ी होती है कल भी आज भी.. ...... सांसों के साथ भी... सांसों के बाद भीद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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EP 12 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 12)
1:09:32
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In this episode, we will know how Suresh died. What will Achala do now? Will Mahim manage to take her back as his wife? And why did Rambabu say Achala is a Vaishya? To Know the answers to all these questions, listen to this episode until the end only on “Audio Pitara '' Don’t forget to share your thoughts with us and don’t hesitate to tell us how y…
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EP 11 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 11)
53:01
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In this episode, we will know why Suresh was feeling remorse. After all, why did Achala’s father wait for Mahim, and why did Suresh want to leave Achala? To Know, the answers to all these questions, listen to this episode till the end only on “Audio Pitara '' and don’t forget to share your thoughts with us. Stay Updated on our shows at audiopitara.…
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EP 10 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 10)
59:47
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Here, we will know why Suresh got the new house built. After all, why did Achala hate herself? And what misunderstanding did Mahim have about Achala? And how did Achala’s father change his mind about the villagers? To Know, the answers to all these questions, listen to this episode till the end only on “Audio Pitara” and don’t forget to share your …
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EP 09 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 9)
1:09:27
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In this episode, we will know why Mrinal wrote the letter to Achala. Why did Achala’s father doubt his daughter? And why was Achala staying with Suresh at a stranger’s house? To know the answers to all these questions, listen to this episode until the end of “Audio Pitara” and don’t forget to share your thoughts with us. Stay Updated on our shows a…
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EP 08 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 8)
58:02
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In this episode, we will know where Achala and Mahim go for a trip and why Suresh suddenly came with them. After all, how did Mahim disappear from the train, and what trick did Suresh play with Achala? To know the answers to all these questions, listen to this episode till the end only on “Audio Pitara” only. Stay Updated on our shows at audiopitar…
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EP 07 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 7)
1:02:48
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In this episode, we will know Why Mahim and Achala start staying at Suresh's house? And why does Suresh find Mrinal more talented than the girls in the city, and why does Achala ask Suresh to marry Mrinal? Know the answers to all these questions only on “Audio Pitara”, and share your thoughts regarding such a complicated situation in the comment se…
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EP 06 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 6)
1:11:17
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In this episode we will know why Achala suspects Mahim? Who wrote the letter for Mahim? And how did Achala understand the importance of simplicity? What made Mahim doubt their relationship? Also you will know the secret of the fire in Mahim’s house only on “Audio Pitara”. Stay Updated on our shows at audiopitara.com and follow us on Instagram and Y…
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EP 05 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 5)
53:26
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In this episode, we learn that Suresh suddenly turns up at the village to meet Achala and Mahim, and Achala knows about her father's ill health. Why did her father's health deteriorate? Why did Achala want to go home? Why did Mahim want Achala and his friend to go to the city together? To know, listen to this episode till the end only on “Audio Pit…
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EP 04 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 4)
53:18
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In this episode, we will learn that Achala comes to her in-law's house after getting married, But after arriving there, she learns that Mahim has no relatives in the village either. Then she meets Mrinal, who introduces herself as Mahim's ex-girlfriend and says I would be his wife now, not you. After all, What was the relationship between Mahim and…
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EP 03 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 3)
1:06:36
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In this episode, we will know how Achala reveals everything to Mahim and tells Mahim that she doesn't want to do this marriage. After all, Why did Suresh say nasty things to Achala? After all, What news was published about Suresh in the newspaper? After all, why did Suresh ask Achala and her father to go to his home? Know the answers to all these q…
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EP 02 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 2)
1:04:03
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In this episode, we will learn about Mahim going to his village and Suresh helping Achala’s father financially. At the same time, Achala’s father decides to give her hand to Suresh, and Mahim returns. What will Mahim's reaction be after seeing Suresh at Achala’s house? What will Achala say to Mahim? What happened between Achala’s father and Mahim? …
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EP 01 - Grihdah by Sarat Chandra Chattopadhyay (Bhag 1)
57:46
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This story is about the triple love of lovers Syresh, Mahim and Achala, Where we learn about the friendship of Mahim and Syresh, the love of Mahim and Achala, and where Suresh falls in love with Achala in the first meeting. Now what turn will come in the life of these three? What will Suresh do after all? Know the answers to all these questions onl…
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जवानी जब से बहकी थी उसी का नाम लेती थी मोहब्बत प्यास है उसकी यही पैगाम देती थी मैं मजनूं था मैं रांझा था वो लैला हीर जैसी थी मेरी चाहत के ज़ज्बो को मेरा ईमान कहती थी मगर अब.... जो समझती थी इशारों को इशारों ही इशारों में भुलाके उन नज़ारो को मेरा अब दिल दुखाती है ना कहती है ना सुनती है बड़ी खामोश रहती है मेरे इश्क़-ए- बहारा में वो तीर-ए-ग़म चलाती है …
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मैं आज भी वहीं हूँ मेरी चाहते और मेरा इश्क़ भी वहीं ठहरा हुआ है उसी मोड़ उसी राह पर जहाँ जुदा हुए थे हम.....बस...मैं ही कुछ पत्थर सा हो चुका हूँ और पत्थरों से टकराता हूँ मंजिलों की तलाश में हर रोज हर लम्हा और टूट कर बिखर जाता हूँ हर रोज हर लम्हा....कभी वक़्त मिले और उन्हीं राहों पर चलने की हूक उठे तेरे मन में...तो कभी आ...आ कभी और रख मेरे दिल पे हा…
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तू कहती थी तेरी ही हूँ मैं तू कहती थी तेरी रहूंगी बगावत भी कर लूँगी जग से तेरी होने को सब कुछ सहूंगी समंदर की तरहा तू रहना मैं नदिया सी संग संग बहूँगी दर्द तूने दिया मर मिटा मैं लोग कहते हैं तू बेगुनाह थी आखिरी सांस तक तुझको चाहूँ तू क्या जाने तू मेरा खुदा थी बेपनाह इश्क़ करता था तुझसे मेरे जीने की तू ही वज़ह थी…
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BADMASHIYAAN...Teri GUSTAKHIYAAN...Meri
10:56
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कुछ तेरी कुछ मेरी बातेँ होती थीं ...याद है ना तुझे...कुछ ऐसी भी रातें होती थीं ... रातों के वो हसीन लम्हे जिनमें होती थीं...कुछ .....बदमाशियां तेरी और कुछ .....गुस्ताखियां मेरीद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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Neeli jheel ka aqs , raton ki haseen chandni , khwabon ki zamee , wafaon ki haseen waadiyan , jis taraf bhi nazar jaye har uss taraf bepanah husn me machalti qatil adayen ---- kiya kuchh nahi tha usme --- apne masoom lahje me prem ki kisi devi se kam nahi thi vo --------- tabhi to --- vo zawan raten jo uske husn - e - bagwan me guzrin , jab yadon k…
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Bhoola nahi hoon aaj taK Holi ka vo faag Badan ranga tha chahat me Man me ishq ki aag Masti aisi mujhe chadhi Ragad diya gulal Khula nimantran de rahe the Gore gore gaal -----------jogeera saara ra raद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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मेरे इश्क़ का तू दरिया सागर मैं चाहतों का चाहें आये तूफ़ाँ कितने तेरा प्यार राहतों सा तू ही ज़ख्म तू ही मरहम तू ही दर्द की दवा है सासों में तेरी खुशबू आँखों में तू बसा है कहती है दुनिया सारी मुझे तेरा ही नशा है मुझे तेरा ही नशा हैद्वारा Dr. Rajnish Kaushik
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उल्फत की बातेँ जन्मों के वादे वो रस्में वो कसमें और जन्नत सी रातें कितने जवां और कितने थे पक्के पत्थर की मानिंद तेरे इरादे फिर भी तूने जुल्म ये ढाया क्यूँ बेवफा मुझे इतना रुलाया मोहब्बत थी या फिर आवारगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी कैसी वो तेरी दीवानगी थी........
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Tu ret pr likhi ibarat thi kabhi Ab to pattharon taq pe likh diya maine Dam hai to Mita ke dikha Kiya aandhi kiya toofan Ab to baarishon taq se Kah diya maine Ek baar teri yaadon ke babasta Jashn-e-mohabbat ko anjaam diya Sare vaadon sari kasmon sari rasmon ko bhi anjaam diya Sabke sab aaye pr Tu nahi aayee Rah rah ke teri yaaden aati rahi Dhadkane…
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Prem ka seedha sambandh sparsh se hai---sparsh koi bhi ho--- jismani ya mansik ---vah aahat hai prem ki Kisi ko choone ya sochne se hame jo aanand aata hai vah aanand hi prem hai ---mohabbat hai ishq hai Aur yahi vah aanand bhi hai jo hame hamare prem ki pahli khabar deta hai Balki yah kahna bemani nahi hoga ki sparsh hi prem ki bhasha hai Kishi ke…
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Mai jab aakash jitni anant unchaaiyon pe tha ---tab jakar tumne bataya ki ----prem nahi hai Shayad isliye ki --- tumhe unchaaiya pasand thi aur mujhe tum Tum zid thi meri Pr mai tumhari nahi Mai to aaj bhi tumhari halki si aahat pr hi chaunk padta hoo aise---- RET PR CHAND KI TASVEER HO JAISE
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कमबख्त कैसा आशिक था दिल और मुल्क की सरहदों को एक समझ बैठा ये भी नहीं जान पाया कि दो मुल्कों की सरहदें ज़ज्बात-ए-मोहब्बत नहीं समझती... समझे भी आखिर क्यों क्यूँ कि सरहद का मतलब ही बंटवारा होता है,,,, ...मगर सरहदें चाहे कितनी हों,कैसी भी हों...... .......... ..कतरा - कतरा बहती रहती हो तुम हर वक्त - हर लम्हा मेरी नब्ज मे नब्ज रुक भी गयी कभी - तो क्या फ…
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जब तक है जवानी खूँ में तेरे रग रग में मोहब्बत बसती हो प्यार भी हो तकरार भी हो बस गोवा जैसी मस्ती हो
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Vo mere shauk ka aakhiri jaam thi Piyaas uski mujhe hr subha sham thi Jaga karti thi sang vo mere raat bhar Darmiyan ishq ke kitni masoom thi Vaade karti thi pakke harek baat pr Hum chale the jahan vo kathin thi dagar Dil do the magar Pr the hum safar Mil jate agar Zindagi chhanv thi Zindagi chhanv thi…
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Mana ki use meri mohabbat dikhti nahi hai.... Mana ki meri aawaj us tak pahunchti nahi hai... Mai yah bhi manta hoo ki uski nigahen mujhe khojti bhi nahi hai... Magar mujhe vishwas hai ki koi to hai uske aur mere darmiyan jo uske dil pr kabhi kabhi dastak jaroor deta hoga... Kabhi Mai to kabhi Mera prem bankar... Kabhi to ahsaas hoga Kabhi to uski …
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My dear Masoom...kaisi ho ...kaisi ho tum.. Kiya tumhe yaad hain milan ke vo pal, vo din,vo shaame aur vo raaten...ya bhool chuki ho - vaise mujhe to pahle se hi ehsaas tha ki tum ek din mujhe chhod hi dogi ...aur fhir ek din aakhirkar tumne chhod hi diya aur ab bhool bhi gai ho......magar nahi gai tum mere dil se,meri yaadon se,mere zahan se ...ma…
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Dildar mohabbat me Har waqt satate hain Chahe wafa karo kitni Vo jamm ke roolate hain
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Mere jism me dil tha ki nahi, saanse chal rahin thee ki nahi, mai khud bhi vahan tha ki nahi Iska ahsas mujhe tab hua jab husan-e-yaara ke labon ne Mere labon ko choom liya ---fir kiya tha Maine usse kaha---- Dhadkane dil ki ab thum rahin hain meri Garm saanse bhi ab jum rahin hain meri Na satao labon se chhoo ke yoon tum Khwahisen vasl ki ab badh …
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Kambakhat Kaun peeta hai tan ko jalane ke liye... Ye to...Shauk - e - insa...hai gum ko bhulane ke liye Uski yaadon ko bhulane ke liye Kiyon ki tazurbekar kahte hain ki sharab har marz ki dawa hoti hai dil toota ho ya mohabbat roothi ho Ya ho koi bhi gum... sabhi ka ilaaj bade saleeke se karti hai .....jo kabhi sharab jaisi dikhti thi .....aaj bhi …
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ज़िंदगी...समझा जिसे उसे लिख रहा हूँ आज तक
20:06
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नगमा जो जिंदगी का लिख रहा था मैं जिंदगी समझा जिसे उसे लिख रहा हूँ आज तक
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Jab usne baat baat pe chhal karna shuru kiya Farebee mashooq ki taraha pal pal badalna shuru kiya Tab... Ham bhi apni mohabbat se mukar gaye Magar mohabbat Kam nahi hui Vo... jhoonthi , chhaliya, Farebee Meri zindagi se to chali gai Magar... yaadon se na gai Mere ahsaason se na gai Mere zazbaaton se na gai Mere khwabon se na gai Mere khwabon se na …
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Labon ki surkhiyaan dekho mohabbat gungunati hai....vo ladki chahton si dhadkano me khankhanati hai....
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