Nishkarsh Kaushal सार्वजनिक
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'गज़ल-ए-कौशल'

Nishkarsh Kaushal

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मासिक
 
If you are interested in Ghazals. You are at the right place. मुझे किसी ख्याल में खो जाना और खोए हुए किसी और ख्याल के हो जाना पसंद आता है। मैंने शब्दों को जादू करते करीब से देखा है। बहुत करीब से देखा है पंक्ति दो पंक्ति को कोलाहल मचाते। देखा है बड़े शायर के पीछे किसी हुजूम का तालियां बजाते बजाते लुट जाना। एक नशा है और मैं अपने लिए ऐसे ही नशे की दुनिया बना रहा हूं। आप भी इसमें बिना किराया बिना कर्ज़ साथ हो सकते हैं। बस आपको एक 'आह' में "वाह कौशल" कहते जाना है। _____"कौशल"।।
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Words may not suffice to express the heartfelt sorrow that is felt on your untimely passing. No amount of condolences will ever be enough and no span of time can be enough to forget this deeply disturbing incident. The thought that brought me here today was whether such a step was unavoidable ?? Where did the things go wrong, how can such a talente…
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एक ऐसा दौर जिसे इंसानी क़ौम शायद आने वाले सैकड़ों सालों तक भुला नहीं पाएगी। एक ऐसा साल जो बहुत कुछ दिखा गया बहुत कुछ सिखा गया।
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