Listening Platform with Shashi Bhooshan: Hamari Aavaaz शशिभूषण के साथ सुनने का साझा मंच: हमारी आवाज़
…
continue reading
"शिक्षिकाएँ"कविता एवं वाचन : शशिभूषण
…
continue reading
वसीयतनामा लिखने जैसी कुछ गुफ़्तगूकवि : कात्यायनीवाचन : शशिभूषण(बया, अप्रैल-मार्च 2024)
…
continue reading
धीरे-धीरेकवि : सर्वेश्वरदयाल सक्सेनावाचन : शशिभूषण
…
continue reading
"रहें या न रहें".कविता एवं वाचन: शशिभूषण.
…
continue reading
1
Bhasha Singh | Chunav Jang aur Medea
59:00
59:00
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
59:00
"चुनाव जंग और मीडिया" वक्ता : भाषा सिंह, जन पक्षधर जुझारू पत्रकार।आयोजक : राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा, ढाई आखर प्रेम 2023, इंदौर (म.प्र.)।स्थल : मध्य प्रदेश प्रेस क्लब, अभिनव कला समाज सभागार इंदौर।तिथि : 27 दिसंबर 2023, शाम 05.55 बजे।
…
continue reading
1
Dhai Aakhar Prem | Subah ke intzar men
21:19
21:19
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
21:19
सुबह के इंतज़ार में। विनीत तिवारी से बातचीत। प्रसंग: ढाई आखर प्रेम यात्रा। 26 दिसंबर 2023, सहस्त्र धारा नर्मदा, महेश्वर।
…
continue reading
1
Chandrakant Devtale | Thode se bachche aur baqi bachche
4:24
4:24
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
4:24
थोड़े से बच्चे और बाक़ी बच्चेकवि : चंद्रकांत देवतालेवाचन : शशिभूषण
…
continue reading
क्रूरताकवि : कुमार अम्बुजवाचन : शशिभूषण
…
continue reading
1
Sandip Naik | Jahan ghar hai vahan ped hai
5:11
5:11
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
5:11
"जहाँ घर है वहाँ पेड़ है"कवि : संदीप नाईकवाचन : शशिभूषण
…
continue reading
"माँ का मंत्रोच्चार", मार्मिक और अविस्मरणीय कहानी। कहानीकार, रवींद्र व्यास। वाचन, शशिभूषण।
…
continue reading
उस तट पर भी जाकर दिया जला आना,पर पहले अपना यह आँगन कुछ कहता हैजाना, फिर जाना! •केदारनाथ सिंह
…
continue reading
प्रियतमकवि : निरालावाचन : शशिभूषण
…
continue reading
"धीरे चलो"कवि : चंद्रभूषण
…
continue reading
प्रलेसं घोषणा पत्र. लेखक, कुमार अम्बुज-वीरेंद्र यादव. अठारहवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन, 20, 21, 22 अगस्त 2023, जबलपुर(म. प्र.).
…
continue reading
1
Kumar Ambuj | Shikshakon Se Samvad
58:51
58:51
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
58:51
शिक्षकों से संवाद : कुमार अम्बुज, कवि-कहानीकार, सिनेमा चिंतक। विषय : गद्य कैसे समझें समझाएँ।25 मई 2021,केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 3 भोपाल,क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल।सौजन्य : श्री सोमित श्रीवास्तव(उपायुक्त), डॉ ऋतु पल्लवी, सहायक आयुक्त(तत्कालीन प्राचार्य)
…
continue reading
1
Harishankar Parsai | Sadachar Ka Taveez
11:25
11:25
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
11:25
विशेषज्ञों ने कहा, "हुज़ूर वह हाथ की पकड़ में नहीं आता। वह स्थूल नहीं, सूक्ष्म है, अगोचर है। पर वह सर्वत्र व्याप्त है। उसे देखा नहीं जा सकता, अनुभव किया जा सकता है।" राजा सोच में पड़ गए। बोले, "विशेषज्ञो, तुम कहते हो वह सूक्ष्म है, अगोचर है और सर्वव्यापी है। ये गुण तो ईश्वर के हैं। तो क्या भ्रष्टाचार ईश्वर है?" विशेषज्ञों ने कहा, "हाँ, महाराज, भ्रष्टा…
…
continue reading
इस कहानी का अंत अच्छा नहीं है। मैं चाहता हूँ कि आप उसे नहीं पढ़ें। और पढ़ें भी तो यह ज़रूर सोचें कि क्या इसका कोई और अंत हो सकता था? अच्छा अंत? अगर हाँ तो कैसे? - पार्टीशन(कहानी), स्वयं प्रकाश
…
continue reading
1
Bhartiytata Rashtravad aur Sahitya : Vineet Tiwari
50:37
50:37
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
50:37
"भारतीयता राष्ट्रवाद और साहित्य".वक्ता : विनीत तिवारी, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता.संदर्भ : हिरोशिमा दिवस, 6 अगस्त, 2023. आयोजक : मध्य-प्रदेश प्रलेसं, देवास इकाई.
…
continue reading
हिरोशिमाकवि : अज्ञेयवाचन : शशिभूषण हिंदी के युगपुरुष अज्ञेय की यह कविता 'हिरोशिमा दिवस' 6 अगस्त 2023 को रिकॉर्ड की गयी। कविता और आत्मकथ्य NCERT की पाठ्यपुस्तक 'कृतिका' भाग-दो(कक्षा 10) में संकलित हैं।
…
continue reading
बुर्क़ा उतार लेना बेटाकवि: अरबाज़ ख़ानसमय के साखी, मई-जून 2023
…
continue reading
मैं कुछ कहना चाहता हूँ। कहना ज़रूरी हो गया है। शोर और बोलना बहुत है फिर भी सोचता हूँ- शायद कहना सुना जाय।(शशिभूषण)
…
continue reading
हिंदवी संगत 18, शुक्रवार को कवि-लेखक-फ़िल्मकार देवीप्रसाद मिश्र से अंजुम शर्मा की बातचीत सुनकर यह मौखिक संदेश या तुरंत राय रिकॉर्ड करने से ख़ुद को रोक नहीं पाया।संदेश रिकॉर्ड करने, भेजने के बाद सोचा अगर राय में निजताओं का उल्लंघन नहीं हो, तो उसमें अनायास आ गयी कितनी ही बातों को व्यक्तिगत ही बनाये रखने में क्या भलाई? इसलिए यहाँ पब्लिश कर रहा हूँ।…
…
continue reading
1
Pawan Karan | Hum ek dusre ko bhul jayenge
21:14
21:14
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
21:14
इसे सुनिएगा। इस कविता को मैंने महान कहने से खुद को रोक लिया। यह शब्द क्योंकि अब घिस चुका है। आता नहीं इसका अभिप्राय पढ़-सुनकर। पढ़ना या सुनना और महसूस करना ही इस कविता के लिए सब विशेषण हैं।
…
continue reading
"सक्रियता की चरम सीमा है निष्क्रियता. बड़बोलेपन की चरम परिणति है ख़ामोशी और तीरंदाज़ी की अंतिम पराकाष्ठा है धनुर्धारण से परहेज." -महाविज्ञ, कहानीकार : अत्सुशी नाकाजिमा.
…
continue reading
"स्वतंत्रता दिवस की तारीख़ बदलने पर भी विचार किया जा सकता है।"
…
continue reading
विनय सौरभ की कविता "चला गया आदमी"
…
continue reading
1
Avinash Mishra | Varshavas, Upanyas Ansh
3:11
3:11
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
3:11
अविनाश मिश्र के उपन्यास 'वर्षावास' का अंश 'आलोचक'
…
continue reading
अशोक वाजपेयी की कविता "थोड़ा सा"
…
continue reading
शमशेर बहादुर सिंह की कविता "काल तुझसे होड़ है मेरी"
…
continue reading
1
Shamsher | Agar maine arbi men prarthna ki
3:44
3:44
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
3:44
शमशेर बहादुर सिंह की कविता, "अगर मैंने अरबी में प्रार्थना की"
…
continue reading
1
Ravish Kumar ki ek bat se dar lagta hai
12:44
12:44
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
12:44
रवीश कुमार की एक बात से डर लगता है।
…
continue reading
ग़ज़ल: शमशेर
…
continue reading
1
Shamsher ki kavita Dharmik dangon ki rajniti
3:17
3:17
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
3:17
"धार्मिक दंगों की राजनीति" शमशेर की ऐसी कविता है जो भारत के संदर्भ में वर्चस्व की राजनीति जिसमें धर्म एक हथियार होता है को पूरी तरह सामने रख देती है।
…
continue reading
1
Shamsher ki kavita Tumko pana hai aviram
2:22
2:22
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
2:22
"तुमको पाना है, अविराम"अगर आप प्रेम से, प्रेम कविताओं से ज़रा भी खिंचते हैं तो यह कविता पढ़नी-सुननी चाहिए। पढ़ना अपनी सुविधा उपलब्धता से ही हो सकता है। इसलिए मैंने यहीं सुना दी है। सुनिएगा। बताएंगे सुनना कैसा रहा तो समझ लीजिए इतना ही मैं आपसे चाहता हूं। कविता से बहुत अधिक पा चुका हूं।
…
continue reading
1
Ashok Vajpayi ki kavita Sadak par ek admi
4:34
4:34
बाद में चलाएं
बाद में चलाएं
सूचियाँ
पसंद
पसंद
4:34
सड़क पर एक आदमी: दो मिनट कविता ढाई मिनट कविता पर बात।
…
continue reading
अचेतना के लिए बिगब्रदर की "न्यूस्पीक" योजना यानी "थॉट क्राइम" रोकने के लिए शब्दों को नष्ट करना । यह जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 का अंश है । जिसे उज्जैन से रीवा जाते हुए 22 दिसंबर 2022 को दमोह-सागर के आस-पास चलती ट्रेन में रिकॉर्ड किया गया । इसे सुन-पढ़कर एहसास होता है कि भाषा भी शासन का हथियार होती है ।…
…
continue reading
मैं सोचा करता हूं/ देवताले जी कुछ भी पाल सकते थे/ कुत्तों गायों से उज्जैन भरा पड़ा है/ वे बेवजह अकेले पड़ते चले गए/ हालांकि जानता हूं अकेला पड़ना है- कवि हो या फ़ासिस्ट। (शशिभूषण)
…
continue reading
मर्दानी सुना था तेज की अधिकारिणी पाया। माना जाता है कि सुभद्रा कुमारी चौहान की जानी-मानी कविता "झांसी की रानी" में वीरता है। लेकिन मुझे लगता आया है कि इस कविता में स्त्री के दुख और त्याग अधिक हैं। यह एक वीर स्त्री की दुख भरी कहानी ही है, जिसका बचपन में ब्याह हो गया। जिसने सबको अपनाया सबकुछ सहा किंतु बदले में वीरता ही लौटायी, बलिदान ही दिया। उसी दुख…
…
continue reading
मत बनें अंधे हिंग्लिश में हैं धंधे: शशिभूषण
…
continue reading
"मुझसे उम्मीद न करना कि मैं खेतों का बेटा होकर आपके चगले हुए स्वादों की बात करूँगा" - अवतार सिंह पाश
…
continue reading
कहानी "ईदगाह" सुनिए. बहुत मन हुआ इसलिए यह कहानी सुनाई है. मुझे बच्चे हामिद से बचपन से बहुत प्यार है. "ईदगाह" कहानी कभी नहीं भूलती. यही दिल में आता है काश! मैं हामिद जैसा होता. हमारे घरों के बच्चे हामिद जैसे हों!
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के अठारहवें दिन संध्या नवोदिता की दो कविताएं, "जब उम्मीदें मरती हैं" और "एक दिन जब हम नहीं रहेंगे"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।…
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के सत्रहवें दिन रेखा चमोली की दो कविताएं, "डरे हुए लोग" और "एक मां के होते"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के सोलहवें दिन ज्योति चावला की दो कविताएं, "बेटी की गुल्लक" और "बहुरूपिया आ रहा है"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के पंद्रहवें दिन अनुराधा सिंह की दो कविताएं, "पाताल से प्रार्थना" और "सपने हथियार नहीं देते"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के चौदहवें दिन निर्मला पुतुल की दो कविताएं, "मेरा सब कुछ अप्रिय है उनकी नज़र में" और "उतनी दूर मत ब्याहना बाबा!" पाठ एवं चयन: शशिभूषण।…
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के तेरहवें दिन शहनाज़ इमरानी की दो कविताएं, "ख़ुदाओं की इस जंग में" और "चले गए पिता के लिए"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के बारहवें दिन वाज़दा ख़ान की दो कविताएं, "हम लड़कियां" और "हिस्सा"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के ग्यारहवें दिन नाज़िश अंसारी की दो कविताएं, "हलफ़नामा" और "मेरा गला दबा दो मां"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के दसवें दिन उपासना झा की दो कविताएं, "ग्यारह बरस की मां" और "रोना"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
…
continue reading