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इसे सुनिएगा। इस कविता को मैंने महान कहने से खुद को रोक लिया। यह शब्द क्योंकि अब घिस चुका है। आता नहीं इसका अभिप्राय पढ़-सुनकर। पढ़ना या सुनना और महसूस करना ही इस कविता के लिए सब विशेषण हैं।
 
"सक्रियता की चरम सीमा है निष्क्रियता. बड़बोलेपन की चरम परिणति है ख़ामोशी और तीरंदाज़ी की अंतिम पराकाष्ठा है धनुर्धारण से परहेज." -महाविज्ञ, कहानीकार : अत्सुशी नाकाजिमा.
 
"धार्मिक दंगों की राजनीति" शमशेर की ऐसी कविता है जो भारत के संदर्भ में वर्चस्व की राजनीति जिसमें धर्म एक हथियार होता है को पूरी तरह सामने रख देती है।
 
"तुमको पाना है, अविराम"अगर आप प्रेम से, प्रेम कविताओं से ज़रा भी खिंचते हैं तो यह कविता पढ़नी-सुननी चाहिए। पढ़ना अपनी सुविधा उपलब्धता से ही हो सकता है। इसलिए मैंने यहीं सुना दी है। सुनिएगा। बताएंगे सुनना कैसा रहा तो समझ लीजिए इतना ही मैं आपसे चाहता हूं। कविता से बहुत अधिक पा चुका हूं।
 
अचेतना के लिए बिगब्रदर की "न्यूस्पीक" योजना यानी "थॉट क्राइम" रोकने के लिए शब्दों को नष्ट करना । यह जॉर्ज ऑरवेल के उपन्यास 1984 का अंश है । जिसे उज्जैन से रीवा जाते हुए 22 दिसंबर 2022 को दमोह-सागर के आस-पास चलती ट्रेन में रिकॉर्ड किया गया । इसे सुन-पढ़कर एहसास होता है कि भाषा भी शासन का हथियार होती है ।…
 
मैं सोचा करता हूं/ देवताले जी कुछ भी पाल सकते थे/ कुत्तों गायों से उज्जैन भरा पड़ा है/ वे बेवजह अकेले पड़ते चले गए/ हालांकि जानता हूं अकेला पड़ना है- कवि हो या फ़ासिस्ट। (शशिभूषण)
 
मर्दानी सुना था तेज की अधिकारिणी पाया। माना जाता है कि सुभद्रा कुमारी चौहान की जानी-मानी कविता "झांसी की रानी" में वीरता है। लेकिन मुझे लगता आया है कि इस कविता में स्त्री के दुख और त्याग अधिक हैं। यह एक वीर स्त्री की दुख भरी कहानी ही है, जिसका बचपन में ब्याह हो गया। जिसने सबको अपनाया सबकुछ सहा किंतु बदले में वीरता ही लौटायी, बलिदान ही दिया। उसी दुख…
 
"मुझसे उम्मीद न करना कि मैं खेतों का बेटा होकर आपके चगले हुए स्वादों की बात करूँगा" - अवतार सिंह पाश
 
कहानी "ईदगाह" सुनिए. बहुत मन हुआ इसलिए यह कहानी सुनाई है. मुझे बच्चे हामिद से बचपन से बहुत प्यार है. "ईदगाह" कहानी कभी नहीं भूलती. यही दिल में आता है काश! मैं हामिद जैसा होता. हमारे घरों के बच्चे हामिद जैसे हों!
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के अठारहवें दिन संध्या नवोदिता की दो कविताएं, "जब उम्मीदें मरती हैं" और "एक दिन जब हम नहीं रहेंगे"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।…
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के सत्रहवें दिन रेखा चमोली की दो कविताएं, "डरे हुए लोग" और "एक मां के होते"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के सोलहवें दिन ज्योति चावला की दो कविताएं, "बेटी की गुल्लक" और "बहुरूपिया आ रहा है"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के पंद्रहवें दिन अनुराधा सिंह की दो कविताएं, "पाताल से प्रार्थना" और "सपने हथियार नहीं देते"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के चौदहवें दिन निर्मला पुतुल की दो कविताएं, "मेरा सब कुछ अप्रिय है उनकी नज़र में" और "उतनी दूर मत ब्याहना बाबा!" पाठ एवं चयन: शशिभूषण।…
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के तेरहवें दिन शहनाज़ इमरानी की दो कविताएं, "ख़ुदाओं की इस जंग में" और "चले गए पिता के लिए"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के बारहवें दिन वाज़दा ख़ान की दो कविताएं, "हम लड़कियां" और "हिस्सा"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के ग्यारहवें दिन नाज़िश अंसारी की दो कविताएं, "हलफ़नामा" और "मेरा गला दबा दो मां"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के दसवें दिन उपासना झा की दो कविताएं, "ग्यारह बरस की मां" और "रोना"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के नौवें दिन बाबुषा कोहली की दो कविताएं। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के आठवें दिन रश्मि भारद्वाज की दो कविताएं, "इन ए पेपर वर्ल्ड" और "भय"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के सातवें दिन पल्लवी त्रिवेदी की दो कविताएं, "गर्ल्स स्कूल की लड़कियां" और "अगर कभी आओ लौटकर"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के छठवें दिन जसिंता केरिकेट्टा की दो कविताएं, "बच्चे अपने पिता को माफ़ न कर सके" और "जो तुम्हारा है वह स्टेशन पर खड़ा है"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।…
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के पांचवे दिन अनुपम सिंह की दो कविताएं, "हमारा इतिहास" और "हाँ, शर्तों पर टिका है मेरा प्रेम"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के चौथे दिन नेहा नरूका की दो कविताएं, "आख़िरी रोटी" और "गुलाम"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के तीसरे दिन अर्चना लार्क की दो कविताएं, "बेटी का कमरा" और "स्त्री की आवाज़"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के दूसरे दिन शुभम श्री की दो कविताएं, "ब्लैकबोर्ड पर सवाल टंगा है" और "कविताएँ चंद नंबरों की मोहताज हैं, भावनाओं की नहीं"। पाठ एवं चयन: शशिभूषण।…
 
दो कविताएँ रोज़: पच्चीस युवा स्त्री कवि। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के उपलक्ष्य में कात्यायनी, अनामिका और पच्चीस हिंदी युवा स्त्री कवि के अंतर्गत "दो कविताएँ रोज़" श्रृंखला के पहले दिन कात्यायनी की दो कविताएँ, "सफल नागरिक" और "तमाम-तमाम चाहतों का एक अधूरा-असमाप्त गीत"।
 
लोग भूल जाते हैं दहशत जो लिख गया कोई किताब में / Log Bhool Jaate Hain Dahashat jo Likh Gaya Koi Kitaab men - रघुवीर सहाय / Raghuvir Sahay
 
जाने-माने कवि-लेखक कुमार अंबुज द्वारा लिखित "तुम आंसुओं का स्वाद भूल चुके हो तुम्हें याद है सिर्फ़ खून का स्वाद" काव्य-नाट्य लेख अमेरिकी निर्देशक जोएल कोएन की फ़िल्म "द ट्रैजिडी ऑफ़ मैकबेथ" पर आधारित है। "मैकबेथ" महान नाटककार शेक्सपियर की कालजयी कृति है। कुमार अंबुज का यह काव्य-नाट्य लेख आज के तानाशाहों द्वारा निर्मित आसन्न तृतीय विश्वयुद्ध और देशो…
 
प्रस्तुत है गोपालदस नीरज की कविता 'मैं सोच रहा हूँ अगर तीसरा युद्ध हुआ तो'.
 
"प्रेम एक जुमला हो गया थाजो किसी समादृत ग्रंथ के साररूप में किसी आलोचक ने उछाला हो" : रामकुमार सिंह
 
"मेरे बेटे, मैंने तुम्हारे झूठ के लिए ही तुम्हारी पिटाई की। झूठ- यह भूल नहीं, संयोग से होने वाली बात नहीं, यह हमारे चरित्र का एक लक्षण है, जो जड़ जमा सकता है। यह तुम्हारी आत्मा के खेत में भयानक जंगली घास है। अगर उसे वक्त पर न उखाड़ फेंका जाए, तो वह सारे खेत में फैल जाएगी और अच्छे बीज के फूट निकलने की कहीं भी जगह नहीं बचेगी। झूठ से ज़्यादा ख़तरनाक औ…
 
"मुझे प्यार चाहिए" उदय प्रकाश की एक बेधक कविता है। यह कविता इंसानी और नागरिक मांगों का काव्य स्वर ही है। कविता प्रेम की चाह से आरंभ होकर राज्य में दमन के ख़िलाफ़ अभिव्यक्ति और मानवीय आज़ादी की प्रार्थना बन जाती है। 2019 में वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित कविता संग्रह "अंबर में अबाबील" से साभार!…
 
"उनका उनके पास" उदय प्रकाश की प्रतिनिधि कविताओं में से है। यह कविता हिन्दी की श्रेष्ठतम प्रेम कविताओं में गिनी जानी चाहिए। कविता का प्रेम धरा से प्रेम ही है जो मनुष्य के रूप में हमें करुणा से भरता है। 2019 में वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित कविता संग्रह "अंबर में अबाबील" से साभार!
 
सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" के निधन पर लिखी गई शिवमंगल सिंह "सुमन" की स्मरण कविता "महाप्राण के महाप्रयाण पर" अविस्मरणीय ही नहीं अप्रतिम भी है।
 
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