This is my first podcast, please have fun listening and give feedback :)
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A soulful storytelling podcast by Santosh Rana, sharing inspiring tales of faith, devotion, karma, goodness, and life lessons. These stories bring peace, positivity, and spiritual reflection, helping you reconnect with your inner voice and find calm in everyday life. 🎧 New episodes every week — simple words, deep meaning, timeless wisdom. Bussiness/Collab: - [email protected] Youtube channel:- https://www.youtube.com/@santosh_storyverse #SantoshStoryverse #ListenVoiceOfBooks #Spiri ...
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सम्भाषणसन्देशः इति संस्कृतमासिकपत्रिका (https://sambhashanasandesha.in) । एतस्यां पत्रिकायां प्रकाशिताः लेखाः, कथाः, बालकथाः, वार्ताः इत्यादिकं सर्वम् अपि सरलसंस्कृतेन एव प्रकाश्यते । तत्रत्याः “बालमोदिनी”नामिकाः बालकथाः अत्र प्रसार्यन्ते । अतः अस्याः शृङ्खलायाः नाम अपि “बालमोदिनी” एव । लघु गात्रं, सरला भाषा च कथानां विशेषः । प्रत्येकं कथा काञ्चित् नीतिं बोधयति । बालकथाः आबालवृद्धं सर्वेषां प्रियाः । संस्कृतेन ताः श्रोतुम् उपलब्धाः भवन्तु इति एषः प्रयत्नः श्रोतृभ्यः अवश्यं रोचेत इति विश्वासः ...
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Motivation story & life learning lessons
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The Tastes of India Podcast- Indian Recipe Podcast
Puja - Blogger, Author, Podcaster, Home Business Owner,
Welcome to the Tastes of India Podcast. The Tastes of India is a Bi-Weekly Bilingual, (primarily Hindi) Indian recipe food podcast and Cookery Show on Tasty Indian Recipes. This show has two segments: In the first segment we bring to you stories from Indian culture that teaches you valuable lessons in life. We take these stories from fables, Indian epics, Mythological books and the stories that were passed on to us by our grandparents. The second segment is all about tasty food. We bring to ...
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Welcome to The Holistic Heyat Show! 🎙️ कुछ बातें होंगी। कुछ दिल की बातें होंगी। कुछ जिंदगी की बातें होंगी। कुछ मोहब्बत की बातें होंगी। कुछ कामयाबी की बातें होंगी। किसी की दुआ की बातें होंगी। अपनी भाई और बहनों को उम्मीद दे सकूं। बातें बड़ी नहीं है सिर्फ बात लंबी है। उम्मीद। Join us as we delve into heartfelt stories, life lessons, and inspiring journeys. Our podcast brings together everyday heroes and insightful guests to share their experiences, providing motivation and igniting minds.✨ Stay ...
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Puliyabaazi Hindi Podcast पुलियाबाज़ी हिन्दी पॉडकास्ट
Policy, Politics, Tech, Culture, and more...
This Hindi Podcast brings to you in-depth conversations on politics, public policy, technology, philosophy and pretty much everything that is interesting. Presented by tech entrepreneur Saurabh Chandra, public policy researcher Pranay Kotasthane, and writer-cartoonist Khyati Pathak, the show features conversations with experts in a casual yet thoughtful manner. जब महफ़िल ख़त्म होते-होते दरवाज़े के बाहर, एक पुलिया के ऊपर, हम दुनिया भर की जटिल समस्याओं को हल करने में लग जाते हैं, तो हो जाती है ...
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Navbharat Gold from the house of BCCL (Times Group), is a first of a kind Hindi Podcast Infotainment Service in the world, offering an unmatched range and quality of content across multiple genres such as Hindi audio news, current affairs, science, audio-documentaries, sports, economy, history, spirituality, art and literature, life lessons, relationships and much more. To listen to a much wider range of such exclusive Hindi podcasts, visit us at www.navbharatgold.com
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Podcast in Hindi on Kids Moral Stories & Indian History, Hindi Kahaniya, Hindi Story, हिंदी कहानियाँ
Kulbeli
Kulbeli Podcast Kids Moral stories! We bring you weekly episodes of inspiring and informative stories from popular collections such as Panchtantra, Akbar Birbal, Gone Jha, Lok Katha, Fairy Tales, Tenalirama, Sheikhchilli, Motivational Stories in Hindi, Stories for all ages, Hindi Kahani, Kahaniyan, and Indian History. Our stories are designed for listeners of all ages, and we offer stories that are both entertaining and educational. The stories we feature are perfect for bedtime listening. S ...
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“Naughty Sassy & Classy” is the show about moments, celebrations and life lessons with Natural health and learning for all age human beings be it Teenagers, Housewife, Doctor, Lawyer, Transgender, Leaders OR Game Changers hosted by Kalpana Dua “Kalpu” – Mrs. Universe India. In this PODCAST she brings topics to uncover all: Zindagi ke har rang har roop har pehlu aur har us lamhe ko aapke saamne lane ki, jiski hume talash hai Talaash hai hume Acchi Sehat ki Talaash hai hume aage badne ki Talaa ...
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कारीगर हूं साहेब शब्दों की मिट्टी से महफ़िल सजाता हूँ...! किसी को बेकार... किसी को लाजवाब नज़र आता हूं...!
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This Podcast Is For Student of Podar International School, Sangli.
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कैसे हुआ अर्जेंटीना का बेड़ा ग़र्क़? Lessons from Argentina’s Economic Decline
50:11
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50:11पिछले हफ़्ते हमने बात की थी कि कैसे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन की बदौलत कुछ देश लंबे समय तक आर्थिक प्रगति कर पाये। लेकिन, आर्थिक विकास का होना हमेशा तय नहीं होता। २०वीं सदी की शुरुआत में अर्जेंटीना तेज़ी से बढ़ रहा था, लेकिन बाद में उसके विकास का चक्का अटक सा गया। तो आइये, आज की पुलियाबाज़ी में अर्जेंटीना के आर्थिक पतन से कुछ सबक सीखते हैं। We discuss: * …
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कदाचित् कश्चन महात्मा कस्यचन निर्धनगृहस्य पुरतः स्थित्वा भिक्षां याचितवान् । तदा तस्मिन् गृहे काचित् बालिका अवदत् 'गृहे दानयोग्यं किमपि नास्ति' इति । महात्मा अवदत् 'दानक्रिया एव मुख्या । मूल्यं वस्तुनि नास्ति, भावे एव अस्ति । गृहस्य पुरतः स्थितां धूलिमपि दातुं शक्यते' इति । बालिका श्रद्धया धूलिं गृहीत्वा महात्मनः पात्रे न्यवेशयत् । एतत् दृष्ट्वा शि…
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सरकारी शिक्षा व्यवस्था क्यों चरमराई हुई है? How to improve education in India? ft. Yamini Aiyar
1:21:31
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1:21:31हमारी सरकारी स्कूलों में शिक्षा का हाल ये है की पाँचवी कक्षा में पढ़ रहे बच्चों में से केवल 34% बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताब पढ़ पाते हैं। ऐसे में ये सवाल जायज़ है कि क्या हमारे स्कूल बच्चों को वास्तव में सीखा रहे हैं, या सिर्फ सिलेबस पूरा कर रहे हैं? आखिर हमारी सरकारी शिक्षा व्यवस्था इतनी चरमराई हुई क्यों है? आज की पुलियाबाज़ी में हम इस मुद्दे की तह …
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कश्चन महात्मा आश्रमम् आगतान् भक्तान् स्वागतीकृत्य भोजनाय निमन्त्रितवान् । भोजनसमये सः महात्मा अवदत् 'मानवस्य आहारसेवनक्रमः पशूनामिव स्यात् । पशवः केवलं बुभुक्षायां सत्याम् एव खादन्ति । भगवता विहितम् आहारम् एव सेवन्ते । मानवः तु बुभुक्षायाम् अजातायाम् अपि खादति, विवाहादौ मितम् अतिक्रम्य भोजनं करोति, स्वस्य आरोग्यं नाशयति । स्वास्थ्यरक्षणं मानवाधीनम्…
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कदाचित् कश्चन धनिकः कस्यचन उत्कृष्टकलाकारस्य समीपं गत्वा स्वस्य चित्रं लेखयितुम् प्रार्थितवान् । चित्रकारेण चित्रं लिखितं, किन्तु धनिकः सादृश्यरहितताम् आरोप्य चित्रं न क्रीतवान् । चित्रकारेण द्वितीयम् उत्कृष्टं चित्रम् अपि लिखितम् । तदपि चित्रं धनिकः निराकृतवान् दोषान् प्रदर्श्य । खिन्नः चित्रकारः मित्रेण सह विचार्य धनिकस्य गृहं गत्वा अवदत् 'यतो हि…
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राज्यस्य उत्तराधिकारिणं प्राप्तुं योग्यतापरीक्षार्थं कश्चन राजा तस्य पुत्रं कस्यचन महात्मनः समीपं प्रेषयति । समग्रं दिनम् अरण्ये उषित्वा राजकुमारः अनुभवम् अकथयत् - 'गजानां घीङ्कार श्रुतः, महावृक्षस्य पतनं दृष्टं, मेघघर्जनं श्रुतं, तडितः दृष्टाः च' इति । अग्रिमवर्षे आगच्छ इति महात्मा वदति । अनन्तरवर्षे राजकुमारः वदति 'मूषकं गिलन् सर्पः दृष्टः, मूषकस…
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एषा कथा पञ्चदशे अथवा षोडशे शतके घटिता, यत्र श्रीकृष्णचैतन्यनामकः कश्चन मेधावी न्यायशास्त्रविद् भागवतभक्तः वैष्णवाचार्यः अभवत् । सः चैतन्यमहाप्रभुः इत्यपि प्रसिद्धः । तस्मिन्काले वासुदेवनामकः कश्चन कृष्णभक्तः कुष्ठरोगेण पीडितः आसीत् । एकदा चैतन्यमहाप्रभुः दक्षिणभारतयात्रां कुर्वन् कूर्मनामकस्य ब्राह्मणस्य गृहे वासं कृतवान् । श्रुतवार्तः वासुदेवः परि…
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काचित् माता पनसफलं कर्तयित्वा फलदलानि पञ्च द्रोणेषु स्थापयति । तस्याः पुत्रः अचिन्तयत् यत् माता मह्यम् एकं द्रोणं ददाति इति । किन्तु एकं द्रोणं भगवते समर्प्य आगच्छ इति वदति माता । अवशिष्टेषु द्रोणत्रयं ज्येष्ठपितृव्यायै कनिष्ठपितृव्यायै प्रतिवेशिन्यै वृद्धायै च दत्त्वा आगच्छ इति वदति । म्लानमुखः बालकः यदा प्रत्यागच्छति तदा अन्तिमद्रोणतः एकं फलदलं …
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यीशु का आख़िरी दीपक | आत्मा को रोशन कर देने वाली कहानी | Santosh Storyverse
4:51
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4:51यीशु का आख़िरी दीपक — एक ऐसी हृदयस्पर्शी कहानी जो आपके मन को शांति, प्रकाश और उम्मीद से भर देगी। यह कहानी बताती है कि— ✨ सच्ची रोशनी बाहर नहीं, हमारे भीतर होती है,और ईश्वर हमेशा उन दिलों में चमकते हैं जो प्रेम, क्षमा और करुणा से भरे होते हैं। इस एपिसोड में एक ऐसे दीपक की कथा है जो सिर्फ अंधकार दूर नहीं करता…बल्कि इंसान के अंतरमन का सत्य भी प्रकाशित…
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मनुष्येषु विभिन्नता भवत्येव । केषुचित् दोषरूपाणि छिद्राणि भवन्ति । तेषां छिद्राणां द्वारा दुष्प्रवृत्तयः तान् प्रविशन्ति । ततः तेषां पतनं भवति । ये दोषरहिताः स्युः, येषु दुष्प्रवृत्तीनां प्रवेशाय अवसरः न स्यात्, ते कामपि हानिम् अप्राप्नुवन्तः उत्तमं जीवनं यापयन्ति । एकैकस्यापि जनस्य आन्तरस्वरूपं विभिन्नं भवति इत्यतः तत्तस्य जीवनम् अपि विभिन्नं भवति…
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कदाचित् वङ्गप्रदेशात् कालिचरणनामकः कश्चन भगवद्भक्तः चम्पानगर्यां स्थितं विष्णुदेवालयम् आगतः । महत्याः वृष्ट्याः उपशान्तेः अनन्तरं सः भक्त्या कर्दमपूर्णे मार्गे नृत्यं कुर्वन् अग्रे अगच्छत् । तदवसरे तस्य पादक्षेपेण उत्थितः कर्दमः कस्याश्चित् महिलायाः शाटिकां पतितः इति कारणेन तस्याः पतिः क्रोधेन दुर्वचनानि वदन् कालिचरणं प्रहृतवान् । कालिचरणः कारणम् अ…
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सिर्फ राजनेताओं ने नहीं, भारतीय जनमानस ने हमारा संविधान पिरोया है। How Public Movements Shaped Indian Constitutionalism? ft. Rohit De and Ornit Shani
1:20:11
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1:20:1126 नवम्बर 1949 को भारत ने अपना संविधान अपनाया था। इस अहम् घड़ी को याद करने और उस समय हो रहे बदलाव को समझने का ये अच्छा मौका है। इसमें आम धारणा ये है कि संविधान को कुछ गिने-चुने अभिजात वर्ग के लोगों ने बनाया और भारत की आम जनता पर थोप दिया। लेकिन इस धारणा में कितनी सच्चाई है? इतिहासकार रोहित डे और ऑर्नित शनी अपने शोध के आधार पर इस बात का खंडन करते हैं…
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कदाचित् डा.रघुवीरः प्रवासावरे एकस्मिन् फ्रेञ्च्-जनस्य गृहे अतिथित्वेन वासम् अकरोत् । तदवसरे भारतात् आगतम् आङ्ग्लभाषया लिखितं पत्रं दृष्ट्वा गृहस्वामिनः पुत्री पृच्छति 'किमर्थं आङ्ग्लभाषया व्यवह्रियते ? स्वीया लिपिः भाषा वा नास्ति वा?’ इति । एतां घटनां ज्ञातवत्या बालिकायाः मात्रा उक्तम् - 'देशाभिमानः भाषाभिमानः च यस्य न स्यात् तं बर्बरं भावयामः वयम्…
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कस्याञ्चित् कक्ष्यायां कश्चन अध्यापकः छात्रान् अपृच्छत् 'वृक्षस्य एकैकः भागः अपि भवति महते प्रयोजनाय । भवत्सु कः कीदृशः वृक्षभागः भवितुम् इच्छति ?’ इति । तदा एकैकः छात्रः अपि तस्य इच्छानुगुणं कीदृशः भागः भवितुम् इच्छति इति । तस्य भागस्य प्रयोजनं किम् इत्यपि वदति । कश्चन पर्णं, कश्चन पुष्पं, कश्चन फलं, कश्चन शाखा भवितुम् इच्छामि इति वदति । कक्ष्याय…
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265 - How to Make Namak Ajwain Paratha | Soft Namak aur Ajwain ka Parantha
13:03
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13:03Namak ajwain paratha is one of the simplest and most comforting Indian flatbreads. Made with wheat flour, ajwain, salt, ghee, and water, this paratha is light, aromatic, and incredibly soft. The flavour of ajwain gives it a warm, homely taste, and the layered triangle shape makes it extra flaky and delicious. Whether for breakfast, lunchbox, or eve…
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मदनमोहनमालवीयः विश्वविद्यालयस्य संस्थापनाय कृतनिश्चयः सन् धनसङ्ग्रहाय सर्वत्र भ्रमित्वा कदाचित् कोलकातापत्तने कस्य श्रेष्ठिनः गृहं प्राप्तवान् । श्रेष्ठिनः बालेन काचित् अग्निशलाका प्रज्वालिता । विना कारणं अग्निशलाका व्यर्थीकृता इति कारणतः असः श्रेष्ठी बालस्य मुखे चपेटिकां दत्तवान् । शलाकामात्राय बालं ताडयितु उद्यतात् एतस्मात् दानस्य प्राप्त्याशा व्…
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क्यों रो पड़े श्रीकृष्ण? | सुदामा की सच्ची भक्ति और दोस्ती की कहानी
5:47
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5:47स्वागत है Santosh Storyverse में — जिसे पहले Listen Voice of Books के नाम से जाना जाता था। यह कहानी बताती है कि सच्ची दोस्ती और सच्ची भक्ति कैसी होती है। सुदामा की गरीबी, उनका प्रेम, और श्रीकृष्ण का उनके लिए बहता हुआ आँसू… यह सब मिलकर दिल को छू लेने वाली सीख देते हैं — कि संबंध प्रेम से चलते हैं, धन से नहीं। यह कथा सिर्फ भक्ति नहीं, बल्कि दया, विनम…
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कदाचित् भगवान् बुद्धः प्रवचनावसरे 'अयि भक्ताः! समयः अतिक्रामति, जागृत' इति अवदत् । तदा कयाचित् नर्तक्या कुत्रचित् नर्तनं करणीयम् इति स्मृतम् । केनचित् लुण्ठाकेन लुण्ठनं करणीयम् इति स्मृतम् । केनचित् वृद्धेन इतः परं वा पुण्यं सम्पादनीयम् इति स्मृतम् । यतः आजीवनं धनार्जनमात्रमेव चिन्तितम् आसीत् । प्रवचनावसरे केवलम् एकं वाक्यम् उक्तं बुद्धेन किन्तु एक…
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कदाचित् कश्चन शिष्यः मनसः शान्तिप्राप्तिमार्गं गुरुः पृच्छति । तदा सः गजभृङ्गयोः कथां श्रावयित्वा वदति 'अस्मान् परितः यद्यत् प्रवर्तेत तत्र अस्माकं दृष्टिः तु भवेत् । किन्तु ते अंशाः अस्माकं मनसि चाञ्चल्यं न जनयेयुः । यत् क्रियते तत्र मनसः पूर्णमग्नता स्यात् । अस्माकं निर्णयः बाह्यांशप्रभावयुक्तः न भवेत् । अयमेव शान्तचित्ततायाः मार्गः' इति । (“केन…
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कदाचित् गुरुशिष्याणां मध्ये 'वचनानि कीदृशानि भवेयुः' इति सम्भाषणं प्रचलति । तदा गुरुः वदति 'यत् वचनं कमपि न व्यथयेत्, यतः श्रोतॄणां मनः विकसेत्, यत् वचनं स्नेहादिसद्भाववृद्ध्यै स्यात्, यस्य श्रवणात् सद्व्यक्तित्वम् अभिव्यज्येत तदेव वचनं नाम । तादृशानि एव वचनानि यस्य मुखात् सर्वदा निर्गच्छेयुः सः एव सम्भाषणं जानाति इत्यर्थः' । पुनः सः वायोः, आतपस्य,…
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कश्चित् तरुणः आत्मानं शिष्यत्वेन स्वीकर्तुम् आचार्यं निवेदयति । तस्य योग्यतासामर्थ्यादिकं बहुधा परीक्ष्य सः उत्तीर्णः इति वदन् अपि एकसप्ताहानन्तरं निर्णयं श्रावयिष्यामि इति आचार्यः अवदत् । अनन्तरदिने एव आचार्यः कञ्चित् धनिकम् आहूय तरुणम् उन्नतस्थाने अधिकं वेतनम् दत्त्वा नियोजय इति अवदत् । तद्वदेव सः धनिकः अकरोत् । सप्ताहानन्तरं तं तरुणम् आहूय 'तव श…
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भारत की भावनात्मक एकता की खोज। The Unfinished Business of India’s Emotional Integration
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54:00भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर थोड़ी दूर पर भाषा बदल जाती है, खाना बदल जाता है और पहनावा बदल जाता है। हम नक़्शे पर तो एक हैं, लेकिन क्या हम दिलों से भी एक हैं? आज हम बात करेंगे एक ऐसे सवाल की जो आज़ादी के वक़्त भी था और आज भी हमारे सामने खड़ा है: भारत का भावनात्मक एकीकरण कैसे हो? इस मुद्दे को पहली बार 1961 में गठित एक कमिटी ने समझने की कोशिश की थी और अपने स…
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कर्मों का फल क्यों मिलता है? | कहानी जो जीवन बदल दे
5:29
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5:29स्वागत है Santosh Storyverse में — जिसे पहले Listen Voice of Books के नाम से जाना जाता था। यहाँ आपको ऐसी कहानियाँ मिलेंगी जो मन को छू जाती हैं, जीवन की गहरी सीख देती हैं और भीतर की शांति से जोड़ती हैं। हर कहानी में मिलता है — कर्म की शक्ति, भक्ति का सार, सकारात्मकता, आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन के अनुभवों की सच्चाई। अगर आप प्रेरणा, शांति या मन को छू ल…
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कदाचित् श्रीकृष्णः विविधैः सुन्दरैः आभरणैः आत्मानम् अलङ्कुर्वन् आसीत् । यः कदापि बाह्यालङ्कारे आसक्तिं न दर्शयति सः अद्य कथं बाह्यालङ्कारे विशेषास्थावान् इति चिन्तयन् आप्तः सेवकः कारणं पृच्छति । तदा कृष्णः वदति 'दुर्योधनं द्रष्टुं गच्छामि । बाह्याडम्बरदर्शने तस्य विशेषासक्तिः । अतः तं प्रभावयितुम् अयं वेशः' इति । पुनः सेवकः वदति यत् 'भवता किमर्थं त…
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गोवल्लभनामकः कश्चन महाधनिकः भोगजीवनं यापयन् वार्धक्ये रोगग्रस्तः जातः । कदाचित् चिन्तामग्नेन तेन किञ्चित् मधुरं गीतं श्रुतम् । तेन आनन्दः प्राप्तः गोवल्लभः तं चर्मकारम् आनाय्य किञ्चित् धनं दत्त्वा श्वः अपि आगत्य एवम् एव एकं गीतं श्रावय इति अवदत् । किन्तु अनन्तरदिने सः चर्मकारः आगत्य धनं प्रत्यर्प्य 'धनस्य रक्षणविषये चिन्तां प्राप्तवता मया भगवतः स्म…
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कदाचित् मार्गे स्थितेन केनचित् खिन्नेन भिक्षुकेन स्वर्णरथेन सह अकाशात् आगतः देवपुरुषः दृष्टः । भिक्षुकः तं दृष्ट्वा हृष्टः सन् चिन्तितवान् यत् अद्य मम दरिद्रता समाप्ता भविष्यति इति । किन्तु देवः स्वयं भिक्षुकात् भिक्षां याचितवान्, येन सः विस्मितः अभवत् । तिरस्कारभावेन सः केवलम् एकं तण्डुलकणं देवाय दत्तवान् । देवः तं स्वीकृत्य अन्तर्हितः अभवत् । रात…
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कस्यचन आचार्यस्य उभौ शिष्यौ आस्ताम् । तयोः एकः अध्ययने विशेषतया आसक्तः, अपरः च मन्दप्रवृत्तिः । कदाचित् अपरः गुरुं पृच्छति यत् किमर्थं प्रथमम् एव आधिक्येन पाठयति इति । तदा गुरुः बोधकथां श्रावयित्वा दर्शयति यत् प्रथमस्य ज्ञानप्राप्तीच्छा तीव्रा अस्ति अतः सः परिश्रमं करोति, परिश्रमानुगुणं फलं प्राप्नोति च । अपरस्य ज्ञानप्राप्तीच्छा तु दुर्बला अस्ति ।…
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बाबा के बाल का कमाल | A Miraculous Story of Faith & Devotion
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4:00🎧 “बाबा के बाल का कमाल | A Miraculous Story of Faith & Devotion” “कभी सोचा है, भक्ति का असली चमत्कार कैसा होता है? यह कहानी बताती है कि ईश्वर की कृपा कई बार साधारण चीज़ों में छिपी होती है। 🎧 सुनिए ‘Listen Voice of Books’ पर — एक प्रेरणादायक कथा जो आपको याद दिलाएगी कि जब विश्वास सच्चा हो, तो असंभव भी संभव हो जाता है। ✨ अगर यह कहानी आपके दिल को छू जा…
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राजा मानसिंहः एकदा वेषान्तरं धृत्वा कवेः कुम्भनदासस्य गृहम् अगच्छत् । तदवसरे प्रस्थानाय उद्यतः कविः तिलकं धर्तुं दर्पणम् आनेतुं पुत्रीम् अवदत् । अनवधानात् दर्पणः हस्तात् च्युतः सन् भग्नः जातः । तद् दृष्ट्वा कविः एकेन विशालमुखेन पात्रेण जलम् अनेतुम् उक्त्वा जले स्वमुखं दृष्ट्वा तिलकं धृत्वा प्रकोष्ठात् बहिः अगच्छत् । वेषान्तरं धृतवान् राजा एतत्सर्वं…
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सिक्खानां गुरोः गोविन्दसिंहस्य चत्वारः पुत्राः मोघलैः सह प्रवृत्ते युद्धे वीरमरणं प्राप्तवन्तः आसन् । एतत् वचनं श्रुत्वा पत्नी पुत्रवियोगेन नितरां दुःखसन्तप्ता भूत्वा उच्चैः रोदनम् अकरोत् । तदा गोविन्दसिंहः अवदत् ये धर्मयुद्धे वीरगतिं प्राप्नुवन्ति ते अमृतपुत्राः । तस्य विषये गर्वं भवतु । पुत्रवियोगं प्राप्तवन्तः जन्मदातारः सान्त्वनीयाः अस्माभिः । …
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अष्टादशवर्षपूर्वं स्यानन्दपुरे पद्मतीर्थनामा तडागः निर्जलः जातः । कथञ्चित् अयं तडागः जलपूर्णः स्यात् इति जनाः अचिन्तयन् । तदा तस्य कार्यार्थं डा. साम्बशिवनामकः कश्चन सज्जनः जनान् प्रेरितवान् । साम्बशिवस्य न केवलं वैद्यकीये विषये, अपि तु वेदोपनिषत्सु अपि अध्ययनम् आसीत् । अग्रिमदिने सर्वे ब्राह्मे मुहूर्ते अनशनपूर्वकान् आर्द्रवस्त्रान् जनान् वरुणमन्त…
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कश्चित् राजा राजधान्याम् एकं भव्यं मन्दिरं निर्मातुं सङ्कल्पं कृतवान् । वृद्धः आस्थानशिल्पी राजानं यौवनशिल्पिनः चयनाय उपदिष्टवान् । राजा स्पर्धाम् आयोज्य उत्कृष्टं शिल्पं निर्मातुं शिल्पिनः आमन्त्रितवान् । तेषु शिवमूर्ति-धनपालाभ्यां निर्मितं शिल्पम् उत्कृष्टम् इति तु घोषितम्, किन्तु तयोः नाम न प्रकाशितम् । एतत् दृष्ट्वा धनपालः खिन्नः जातः, रात्रौ र…
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शिव का सच्चा भक्त कौन? | A Heart-Touching Story of True Devotion
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6:02“कभी सोचा है, भगवान शिव के लिए सच्ची भक्ति क्या होती है? यह कहानी बताती है कि भक्ति सिर्फ मंदिर या पूजा में नहीं, बल्कि सच्चे कर्म और निःस्वार्थ भाव में छिपी होती है। 🎧 सुनिए ‘Listen Voice of Books’ पर — एक दिल को छू लेने वाली कथा जो सिखाती है कि ईश्वर को पाने का मार्ग कर्म, सत्य और विनम्रता से होकर गुजरता है। ✨ अगर यह कहानी आपको पसंद आए, तो Follow…
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कदाचित् राष्ट्रपतिना अब्दुलकलाममहोदयेन कस्मिंश्चित् समारम्भे अध्यक्षस्थानं वोढव्यम् आसीत् । तस्य भाषणस्य अनुवादः गुरुराजकरजगिवर्यस्य । तेन रुदन्ती लघुबालिका दृष्टा । कारणे पृष्टे तस्याः पितरौ उक्तवन्तौ यत् 'कलाममहोदयेन भाषणं कर्तुम् एतस्याः इच्छा अस्ति' इति । अध्यक्षभाषणसमाप्तेः अनन्तरं गुरुराजवर्यः कलाममहोदयं लघुबालिकायाः इच्छाम् अवदत् । अनुक्षणमे…
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पुरा ऋचीकनामा कश्चन ऋषिः, गाधिनाम्नः राज्ञः पुत्रीं सत्यवतीं परिणेतुम् ऐच्छन् माहाराजम् उपसर्प्य स्वस्य इङ्गितं निवेदितवान् । मुनये पुत्रीं दातुं राजा तु न इष्टवान् । बाह्यावलोकनतः अयं मुनिः सामान्यः इति विगणय्य राजा अस्मै साधारणं कार्यं ददामि इति अचिन्तयत् । ततः अवदत् यत् 'अस्माकं कुले विशिष्टा वरपरीक्षा अस्ति । यः एकतः श्यामकर्णान् सहस्रम् अश्वान…
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राजसूययगानन्तरं महता दानेन धर्मराजस्य मनसि अहं महादाता अस्मि इति भावः आगतः। एतत् अवगतेन श्रीकृष्णेन धर्मराजस्य एतं भावम् अपनेतुम् इच्छता सः बलिचक्रिवर्तिनः आस्थानं प्रति नीतः । कृष्णं दृष्ट्वा हर्षेण स्वागतवचनानि उक्त्वा बलिः अपृच्छत् 'आगमनावसरे भवता किमर्थम् अयम् अयोग्यः राजा अपि आनीतः' इति । कृष्णः 'एषः महान् दानशूरः अस्ति' इति यदा प्रत्युत्तरति …
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कदाचित् भारतीयसेनाधिकारिणः तत्पत्न्यः च रेल्स्थानकं गतवन्तः आसन् । तदवसरे केचन दुष्टाः माहिलाः बहुधा अपीडयन् । ते अधिकारिणः दुष्टान् बद्ध्वा युतकादिकम् अपनीय अन्तर्वस्त्रमात्रतया मुख्यमार्गे तेषां शोभायात्रां कारितवन्तः । तेषां दुष्टानां नायकः आसीत् मुख्यमन्त्रिणः पुत्रः एव । अतः यदा मुख्यमन्त्री सेनाशिबिरं प्रति अगच्छत् तदा तस्य प्रवेशाय अनुमतिः ए…
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काचित् वृद्धा भिक्षया यत् प्राप्यते तत् नारायणाय नैवेद्यत्वेन समर्प्य एव स्वयं खादति स्म । कदाचित् प्राप्तचणकान् जले संस्थाप्य मृदूकृत्य वस्त्रेण बद्ध्वा शयनम् अकरोत् । तस्यां रात्रौ चोराः आभरणग्रन्थिः इति मत्वा तं चणकग्रन्थिम् चोरयित्वा सान्दीपनिमुने आश्रमे नीलीय अतिष्ठन् । चणकग्रन्थिम् अप्राप्य दुःखिता वृद्धा शापं दत्तवती यत् ये तान् चणकान् खादेय…
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कश्चन संन्यासी प्रयाणेन श्रान्तः सन् कस्यचित् गृहस्य पुरतः स्थित्वा भोजनं याचितवान् । गृहस्वामी सादरं तम् अन्तः नीत्वा भोजनं प्रदत्तवान् । किञ्चित्कालं विश्रान्तिसुखम् अनुभवन् प्रस्थानसमये संन्यासी गृहस्वामिने धनं दातुम् उद्युक्तः । किन्तु गृहस्वामी धनप्राप्तीच्छया न, अपि तु बुभुक्षिताय अन्नदानं पुण्यम् इत्यतः भोजनं दत्तम् इति अवदत् । संन्यासी उक्त…
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इंदिरा, आपातकाल और उभरता कैसरवाद। The Indira Era ft. Srinath Raghavan
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1:08:152025 में इमरजेंसी के 50 साल पूरे हुए, तो हमने सोचा क्यों न भारत के लोकतंत्र के इस काले प्रकरण पर भी कुछ रोशनी डाली जाये? इस बात पर विस्तार से चर्चा करने किए लिए हमारे साथ जुड़ते हैं जाने माने इतिहासकार श्रीनाथ राघवन जी। तो ये पुलियाबाज़ी सुनिए और अपने सवाल या टीका-टिप्पणी हमसे साझा कीजिये। We discuss: * Crisis in India in the late 60s * What is Caesa…
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