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एनएल चर्चा 137: हाथरस में अंतरराष्ट्रीय साजिश और टीआरपी रेटिंग में रिपब्लिक टीवी की धांधली

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एनएल चर्चा का 137वां एपिसोड कोरोना के बढ़ते मरीज, योगी सरकार द्वारा हाथरस मामले को बताया गया अंतरराष्ट्रीय साजिश, तमिलनाडु में दलित परिवारों को समाज से अलग करने, बिहार चुनाव में जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों का बंटवारा, केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन जैसे विषयों पर केंद्रित रहा. साथ ही मुंबई पुलिस द्वारा टीवी रेटिंग में धांधली को लेकर रिपब्लिक टीवी और दो अन्य चैनलों पर दर्ज केस भी चर्चा में बहस का विषय रहा.

इस बार चर्चा में द वायर की पत्रकार इस्मत आरा और शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने किया.

हाथरस मामले से चर्चा की शुरुआत करते हुए मेघनाथ ने इस्मत से सवाल किया, "अभी वहां पर माहौल क्या है. आप वहां कितने दिन थी. अपने वहां क्या देखा."


इस्मत बताती हैं, "मैं वहां पर दो से तीन दिन के लिए थी. उस वक्त वहां पर माहौल बहुत ही तनावपूर्ण था, क्योंकि जो मैंने वहां पर देखा वो ये था कि गांव में लगभग सौ घर थे जिनमें में सिर्फ चार घर दलितों के थे, और उन लोगों के मन में एक खौफ़ बैठ गया था.”

आरा कहती हैं, “वह कह रहे थे कि हम इस गांव में नहीं रह सकते, वो इस डर के साथ रह रहें हैं. जब मैं वहां थी तो मैंने ठाकुर परिवारों से भी बात की. पीड़ित परिवार के घर से सौ मीटर दूर ठाकुरों के घर में मैं बैठी थी. कुछ ठाकुरों से बात कर रही थी. मैने उनसे पूछा, “क्या हुआ था”, तो उन्होंने बताया कि हम इन सब चीजों से मतलब नहीं रखते हैं. जैसे दूध में से मक्खी निकाल दी जाती है, इ, केस से हम लोगों को ऐसे ही निकाल दिया है.”


आरा के मुताबिक वहां के लोग इस मामले पर पहले बात ही नहीं करना चाह रहे थे. एक-दो दिन के बाद जब हमने उनसे फिर से बात की, तो नया नैरेटिव सामने आया जिसके मुताबिक यह रेप का नहीं बल्कि ऑनर किलिंग का मामला है. गांव वाले पहले से ही इसे मान रहे हैं.


मेघनाथ ने शार्दूल को चर्चा में शामिल करते हुए पूछा, “जो अभी उत्तर प्रदेश सरकार कह रही है, कि यह अंतरराष्ट्रीय साजिश है और इस घटना के बहाने जातीय दंगे भड़काने की साजिश रची जा रही थी. इस आरोप को आप कैसे देखते हैं.”


इस पर शार्दूल कहते है, "इस घटना के बारे में अब सभी लोग जानते हैं. पीड़ित के साथ, क्या व्यवहार हुआ उसे भी सब जानते हैं. इन सब के बीच सीबीआई जांच के आर्डर दिए गए और फिर इसमें अंतरराष्ट्रीय साजिश की बात बाहर आई है. पुलिस ने इस मामले में 21 एफ़आईआर दर्ज किए हैं और घटना के बाद से गांव में हर जगह पुलिस दिख रही है.”

“पीड़ित के परिवार के डर, दुख की कल्पना करिए, क्योंकि हमारे यहां लोग महसूस नहीं करते है. उन्हें लगता है कि तो दूसरे के साथ हो रहा है. आप अपनी जगह सोच कर देखिए. जब आप के साथ इतना अत्याचार हुआ हो और आप पुलिस में रिपोर्ट कराए, उसके बाद पुलिस आप को ही कैद कर दे, सोचिए कैसा लगेगा,” शार्दूल ने कहा.

शार्दूल साजिश के सवाल पर कहते हैं, “इस मामले में विपक्षी दल पीड़ित परिवार से मिल चुके हैं. यह केस पूरे भारत में फैल हुआ है. इसके बाद आप कहते हैं अंतरराष्ट्रीय साजिश इसका मतलब क्या है. आप को लगता है कि अंतराष्ट्रीय साजिश के लिए हाथरस जिला, जो ना तो बहुत विकसित है और ना ही राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, उस जिले के एक छोटे से गांव की एक गरीब परिवार के द्वारा अंतराराष्ट्रीय साजिश की गई."


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क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.

रेफरेंस

हाथरस मामले पर बीबीसी की रिपोर्ट


न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित हाथरस से ग्राउंड रिपोर्ट - पार्ट 1 और पार्ट 2

बार्क की रेटिंग पर न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित लेख

इंडिविजवल वर्सेस ग्रुप आइडेंटिटी


सलाह और सुझाव

इस्मत आरा

इस्मत आरा की द वायर पर प्रकाशित रिपोर्ट

एड्रियन मारी ब्राउन की किताब प्लेजर एक्टिविज्म


शार्दूल कात्यायन

व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई की किताब - अपनी-अपनी बीमारी

रेटिंग पर न्यूज़लॉन्ड्री में प्रकाशित लेख


मेघनाथ

बैड बॉय बिलेनियर - नेटफ्लिक्स

एफसीआरए पर एक्सप्लेनर

इंडिया टूडे की रिपोर्टर की फोन टैपिंग मामले पर प्रकाशित आकांक्षा की रिपोर्ट

न्यूसेंस का 106 एपिसोड



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इस बार चर्चा में द वायर की पत्रकार इस्मत आरा और शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने किया.

हाथरस मामले से चर्चा की शुरुआत करते हुए मेघनाथ ने इस्मत से सवाल किया, "अभी वहां पर माहौल क्या है. आप वहां कितने दिन थी. अपने वहां क्या देखा."


इस्मत बताती हैं, "मैं वहां पर दो से तीन दिन के लिए थी. उस वक्त वहां पर माहौल बहुत ही तनावपूर्ण था, क्योंकि जो मैंने वहां पर देखा वो ये था कि गांव में लगभग सौ घर थे जिनमें में सिर्फ चार घर दलितों के थे, और उन लोगों के मन में एक खौफ़ बैठ गया था.”

आरा कहती हैं, “वह कह रहे थे कि हम इस गांव में नहीं रह सकते, वो इस डर के साथ रह रहें हैं. जब मैं वहां थी तो मैंने ठाकुर परिवारों से भी बात की. पीड़ित परिवार के घर से सौ मीटर दूर ठाकुरों के घर में मैं बैठी थी. कुछ ठाकुरों से बात कर रही थी. मैने उनसे पूछा, “क्या हुआ था”, तो उन्होंने बताया कि हम इन सब चीजों से मतलब नहीं रखते हैं. जैसे दूध में से मक्खी निकाल दी जाती है, इ, केस से हम लोगों को ऐसे ही निकाल दिया है.”


आरा के मुताबिक वहां के लोग इस मामले पर पहले बात ही नहीं करना चाह रहे थे. एक-दो दिन के बाद जब हमने उनसे फिर से बात की, तो नया नैरेटिव सामने आया जिसके मुताबिक यह रेप का नहीं बल्कि ऑनर किलिंग का मामला है. गांव वाले पहले से ही इसे मान रहे हैं.


मेघनाथ ने शार्दूल को चर्चा में शामिल करते हुए पूछा, “जो अभी उत्तर प्रदेश सरकार कह रही है, कि यह अंतरराष्ट्रीय साजिश है और इस घटना के बहाने जातीय दंगे भड़काने की साजिश रची जा रही थी. इस आरोप को आप कैसे देखते हैं.”


इस पर शार्दूल कहते है, "इस घटना के बारे में अब सभी लोग जानते हैं. पीड़ित के साथ, क्या व्यवहार हुआ उसे भी सब जानते हैं. इन सब के बीच सीबीआई जांच के आर्डर दिए गए और फिर इसमें अंतरराष्ट्रीय साजिश की बात बाहर आई है. पुलिस ने इस मामले में 21 एफ़आईआर दर्ज किए हैं और घटना के बाद से गांव में हर जगह पुलिस दिख रही है.”

“पीड़ित के परिवार के डर, दुख की कल्पना करिए, क्योंकि हमारे यहां लोग महसूस नहीं करते है. उन्हें लगता है कि तो दूसरे के साथ हो रहा है. आप अपनी जगह सोच कर देखिए. जब आप के साथ इतना अत्याचार हुआ हो और आप पुलिस में रिपोर्ट कराए, उसके बाद पुलिस आप को ही कैद कर दे, सोचिए कैसा लगेगा,” शार्दूल ने कहा.

शार्दूल साजिश के सवाल पर कहते हैं, “इस मामले में विपक्षी दल पीड़ित परिवार से मिल चुके हैं. यह केस पूरे भारत में फैल हुआ है. इसके बाद आप कहते हैं अंतरराष्ट्रीय साजिश इसका मतलब क्या है. आप को लगता है कि अंतराष्ट्रीय साजिश के लिए हाथरस जिला, जो ना तो बहुत विकसित है और ना ही राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, उस जिले के एक छोटे से गांव की एक गरीब परिवार के द्वारा अंतराराष्ट्रीय साजिश की गई."


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